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फोन पे और गूगल पे से यूपीआई को खतरा ! क्या है इसकी वजह, जानें

UPI market, डिजिटल पेमेंट क्षेत्र में पेटीएम,अमेजन, भीम और व्हाट्सएप जैसी कंपनियों के बाद भी गूगल और फोनपे का वर्चस्व है.

By ETV Bharat Hindi Team

Published : 4 hours ago

Updated : 34 minutes ago

UPI is facing a big threat
UPI के सामने है बड़ा खतरा (फोटो - Getty Images)

हैदराबाद : यूपीआई के आने से काफी परिवर्तन हुआ है. कुछ साल पहले तक जहां कहीं भी पैसा भेजना काफी कठिन होता था, वहीं अब महज चंद सेकंड में आप कहीं भी और कभी भी रकम को भेज सकते हैं. हालत यह है कि गांवों की छोटी से छोटी दुकानों से लेकर बड़ी दुकानों को इसे आराम से स्वीकार किया जाता है. सात साल पहले अस्तित्व में आए यूपीआई (UPI) के सामने एक बड़ा खतरा खड़ा है, जिसके बारे में जानते हुए भी अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है. यह खतरा और कोई नहीं बल्कि फोनपे (PhonePe) और गूगल पे (Google Pay) के रूप में है.

गूगल पे और फोनपे के पास बाजार की 85 प्रतिशत हिस्सेदारी
गूगल पे और फोनपे डिजिटल पेमेंट सेक्टर की दो प्रमुख कंपनियां हैं. इस दोनों के पास बाजार की करीब 85 प्रतिशत हिस्सेदारी है. यही वजह है इन दोनों कंपनियों ने डिजिटल पेमेंट सेक्टर में अपनी डुओपॉली खड़ी कर ली है. इतना ही नहीं इन दोनों की टक्कर में कोई और कंपनी अपना स्थान नहीं बना पा रही है. हालांकि पेटीएम (Paytm) इनके सामने मजबूती से खड़ी थी, लेकिन पेटीएम पेमेंट्स बैंक (Paytm Payments Bank) पर आरबीआई के द्वारा प्रतिबंध लगा दिए जाने से उसकी स्थिति कमजोर हो गई है. इस वजह से इस बात का डर पैदा हो गया है कि यदि कभी फोनपे या गूगल पे के साथ ऐसी किसी तरह की समस्या आती है तो स्थिति काफी गंभीर हो जाएगी.

UPI नेटवर्क पर कब्जा जमाने वाली दोनों कंपनियों पर विदेशी कंट्रोल
सितंबर 2017 में यूपीआई को लॉन्च किया गया था. उस समय यूपीआई ट्रांजेक्शन की संख्या 0.4 अरब के करीब थी, जो सितंबर 2024 में 15 अरब से अधिक हो गई है. वहीं लेनदेन का आंकड़ा भी 140 लाख करोड़ रुपये को पार कर चुका है. साथ ही इसका प्रयोग 30 करोड़ से अधिक लोग और 5 करोड़ व्यापारी कर रहे हैं. इतने बड़े यूपीआई नेटवर्क पर अपना कब्जा जमाए दोनों कंपनियां विदेशी कंट्रोल में हैं. गौरतलब है कि फोने की बाजार में हिस्सेदार जहां करीब 48.36 प्रतिशत है वहीं गूगल पे की 37.3 प्रतिशत और पेटीएम की 7.2 प्रतिशत है. वहीं सरकारी यूपीआई ऐप भीम (BHIM) की स्थिति बेहद खराब है. इसका बाजार में हिस्सा एक फीसदी से भी कम है.

बाजार में अन्य कंपनियां काफी पीछे
बाजार में इन दो बड़ी कंपनियों की मौजूदगी की वजह से किसी और को मौका नहीं मिल पा रहा है. हालांकि इस सेक्टर में अमेजन (Amazon) और व्हाट्सएप (Whatsapp) ने एंट्री ली है लेकिन उन्होंने काफी विलंब कर दिया. इसी वजह से वह दौड़ में शामिल नहीं हैं. दूसरी तरफ इन्हीं सब कारणों को मद्देनजर यूपीआई का मैनेजमेंट करने वाली संस्था नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने चार साल पूर्व से ही सिस्टम में बदलाव करना शुरू कर दिया था. इसी कड़ी में एनपीसीआई ने अधिकतम बाजार शेयर 30 प्रतिशत का कैप निर्धारित किया था. साथ ही इसके लिए दो वर्ष की डेडलाइन तय की गई थी. लेकिन इसके बाद इसे फिर से 2 साल के लिए बढ़ाकर 31 दिसंबर 2024 तक टाल दिया था.

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