नई दिल्ली:वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वे 2024-25 पेश कर दिया, इसके मुताबिक सरकार का सोशल सर्विस एक्पेंडेचर वित्त वर्ष 2021 से वित्त वर्ष 2025 तक 15 प्रतिशत के कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट के साथ बढ़ा है. सर्वे के अनुसार कंजप्शन एक्पेंडेचर में भी हाल के वर्षों में घट रहा है. यह ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह 2022-23 में 0.266 से घटकर 2023-24 में 0.237 हो गया है.
वहीं, अगर बात करें हेल्थ सेक्टर की तो वित्त वर्ष 2015 और वित्त वर्ष 2022 के बीच कुल स्वास्थ्य व्यय में सरकारी खर्चा 29.0 से बढ़कर 48.0 प्रतिशत हो गया है. सर्वे में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2015 और वित्त वर्ष 2022 के बीच देश के कुल स्वास्थ्य व्यय में सरकारी स्वास्थ्य व्यय की हिस्सेदारी 29.0 प्रतिशत से बढ़कर 48.0 प्रतिशत हो गई है. इसी अवधि के दौरान टोटल हेल्थ एक्पेंडेचर में जेब से किए गए खर्च की हिस्सेदारी 62.6 प्रतिशत से घटकर 39.4 प्रतिशत हो गई."
हेल्थ सेक्टर में खर्चे का अनुमान
आर्थिक सर्वे के अनुसार वित्त वर्ष 2022 में कुल हेल्थ एक्पेंडेचर 9,04,461 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. यह जीडीपी का 3.8 प्रतिशत है और मौजूदा कीमतों पर 6,602 प्रति व्यक्ति होने का अनुमान है. प्रति व्यक्ति कुल स्वास्थ्य व्यय (स्थिर कीमतों पर) में वित्त वर्ष 19 से वृद्धि का रुझान देखा गया है. टोटल हेल्थ ऐक्पेंडेचर में से चालू स्वास्थ्य व्यय 7,89,760 करोड़ रुपये है. यह टोटल हेल्थ ऐक्पेंडेचर का 87.3 प्रतिशत है.वहीं, पूंजीगत व्यय1,14,701 करोड़ रुपये है, जो कुल हेल्थ खर्च का 12.7 प्रतिशत हिस्सा है.
कुल हेल्थ खर्चे में पूंजीगत व्यय का हिस्सा वित्त वर्ष 16 में 6.3 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 22 में 12.7 प्रतिशत हो जाना एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि इससे व्यापक और बेहतर स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे का निर्माण होगा.