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हेल्थ सेक्टर में होने वाले खर्चों में बढ़ी सरकार की हिस्सेदारी: आर्थिक सर्वे - HEALTH EXPENDITURE

ECONOMIC SURVEY: हेल्थ सेक्टर में वित्त वर्ष 2015 और वित्त वर्ष 2022 के बीच सरकारी खर्च में काफी बढ़ोतरी हुई है.

Nirmala Sitharaman
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Getty Images)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 31, 2025, 4:32 PM IST

नई दिल्ली:वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वे 2024-25 पेश कर दिया, इसके मुताबिक सरकार का सोशल सर्विस एक्पेंडेचर वित्त वर्ष 2021 से वित्त वर्ष 2025 तक 15 प्रतिशत के कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट के साथ बढ़ा है. सर्वे के अनुसार कंजप्शन एक्पेंडेचर में भी हाल के वर्षों में घट रहा है. यह ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह 2022-23 में 0.266 से घटकर 2023-24 में 0.237 हो गया है.

वहीं, अगर बात करें हेल्थ सेक्टर की तो वित्त वर्ष 2015 और वित्त वर्ष 2022 के बीच कुल स्वास्थ्य व्यय में सरकारी खर्चा 29.0 से बढ़कर 48.0 प्रतिशत हो गया है. सर्वे में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2015 और वित्त वर्ष 2022 के बीच देश के कुल स्वास्थ्य व्यय में सरकारी स्वास्थ्य व्यय की हिस्सेदारी 29.0 प्रतिशत से बढ़कर 48.0 प्रतिशत हो गई है. इसी अवधि के दौरान टोटल हेल्थ एक्पेंडेचर में जेब से किए गए खर्च की हिस्सेदारी 62.6 प्रतिशत से घटकर 39.4 प्रतिशत हो गई."

हेल्थ सेक्टर में खर्चे का अनुमान
आर्थिक सर्वे के अनुसार वित्त वर्ष 2022 में कुल हेल्थ एक्पेंडेचर 9,04,461 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. यह जीडीपी का 3.8 प्रतिशत है और मौजूदा कीमतों पर 6,602 प्रति व्यक्ति होने का अनुमान है. प्रति व्यक्ति कुल स्वास्थ्य व्यय (स्थिर कीमतों पर) में वित्त वर्ष 19 से वृद्धि का रुझान देखा गया है. टोटल हेल्थ ऐक्पेंडेचर में से चालू स्वास्थ्य व्यय 7,89,760 करोड़ रुपये है. यह टोटल हेल्थ ऐक्पेंडेचर का 87.3 प्रतिशत है.वहीं, पूंजीगत व्यय1,14,701 करोड़ रुपये है, जो कुल हेल्थ खर्च का 12.7 प्रतिशत हिस्सा है.

कुल हेल्थ खर्चे में पूंजीगत व्यय का हिस्सा वित्त वर्ष 16 में 6.3 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 22 में 12.7 प्रतिशत हो जाना एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि इससे व्यापक और बेहतर स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे का निर्माण होगा.

आयुष्मान भारत योजना में 40 प्रतिशत लोगों को कवरेज
सर्वे में कहा गया है कि आयुष्मान भारत योजना ने देश की सबसे कमजोर आबादी के 40 प्रतिशत लोगों को स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करके स्वास्थ्य सेवा में क्रांति ला दी है. स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च में वृद्धि से परिवारों द्वारा झेली जाने वाली वित्तीय कठिनाई में कमी आने की महत्वपूर्ण संभावना है. 15 जनवरी 2025 तक 40 लाख से अधिक वरिष्ठ नागरिकों को इस योजना में नामांकित किया जा चुका है.

आर्थिक सर्वे में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) के तहत 72.81 करोड़ आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते बनाए गए हैं. इसमें यह भी बताया गया है कि ई-संजीवनी - राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा में दुनिया की सबसे बड़ी टेलीमेडिसिन कार्यान्वयन के रूप में उभरी है.

इसने 1.29 लाख एएएम स्पोक्स के माध्यम से 31.19 करोड़ से अधिक रोगियों की सेवा की है, जिन्हें 16,447 हब और 676 ऑनलाइन ओपीडी द्वारा सेवा दी जाती है. आर्थिक सर्वे में आगे कहा गया है कि यू-विन पोर्टल पर 1.7 करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं और 5.4 करोड़ बच्चों ने डिजिटल रूप से पंजीकरण किया है और वास्तविक समय में 26.4 करोड़ से अधिक वैक्सीन खुराक को ट्रैक किया है.

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