दिल्ली

delhi

ETV Bharat / business

ITR में बड़े पैमाने पर फर्जी रिफंड दावों का खुलासा, आयकर विभाग कर रहा कार्रवाई - REFUND CLAIMS

आयकर विभाग के मुताबिक, 31 दिसंबर 2024 तक करीब 90,000 करदाताओं ने अपने आईटीआर में कटौती के गलत दावों को वापस ले लिया है. ईटीवी भारत के नेशनल ब्यूरो चीफ सौरभ शुक्ला की रिपोर्ट.

Income Tax department verification reveals massive wrongful refund claims
ITR में बड़े पैमाने पर फर्जी रिफंड दावों का खुलासा, आयकर विभाग कर रहा कार्रवाई (Getty Images)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 16, 2025, 10:56 PM IST

नई दिल्ली: आयकर विभाग ने देश भर में कर्मचारियों से जुड़े विभिन्न धाराओं के तहत गलत रिफंड के कई मामलों का पता लगाया है. उच्च पदस्थ आधिकारिक सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि आयकर विभाग द्वारा की गई विभिन्न तलाशी, जब्ती और जांच कार्रवाइयों के दौरान यह पता चला है कि विभिन्न व्यक्ति अपने आईटीआर में धारा 80सी, 80डी, 80ई, 80जी, 80जीजीबी, 80जीजीसी आदि के तहत गलत कटौतियों का दावा कर रहे हैं, जिससे भारत सरकार को देय कर में कमी आ रही है.

सूत्रों ने यह भी बताया कि जांच के दौरान यह बात सामने आई कि ऐसे व्यक्ति सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सरकारी कंपनियों), बड़ी कंपनियों, बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी), एलएलपी, प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों सहित विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत संगठनों के कर्मचारी हैं. इसके अलावा, सत्यापन से पता चला है कि कुछ बेईमान तत्वों ने गलत कटौती या रिफंड के दावे के लिए करदाताओं को गुमराह किया है.

90,000 करदाताओं ने अतिरिक्त टैक्स का भुगतान किया
आयकर विभाग कंपनियों के साथ आउटरीच कार्यक्रम चला रहा है, ताकि आईटीआर में गलत कटौतियों का दावा करने के परिणामों के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके और करदाताओं द्वारा चूक या गलती को सुधारने के लिए उठाए जा सकने वाले सुधारात्मक उपायों के बारे में बताया जा सके. आंकड़ों के अनुसार, 31 दिसंबर 2024 तक करीब 90,000 करदाताओं ने अपने आईटीआर में करीब 1070 करोड़ रुपये की कटौती के गलत दावों को वापस ले लिया है और अतिरिक्त कर का भुगतान किया है.

मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारी ने बताया कि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 139(8A) के प्रावधानों के तहत करदाता प्रासंगिक निर्धारण वर्ष की समाप्ति से दो वर्ष के भीतर कानून के तहत निर्धारित कुछ अतिरिक्त कर के भुगतान पर अपडेटेड रिटर्न दाखिल कर सकते हैं.

सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि विभिन्न तलाशी और जब्ती तथा जांच कार्रवाइयों के दौरान यह पता चला है कि बहुत से लोग अपने आईटीआर में फर्जी कटौती का दावा कर रहे हैं, जिससे भारत सरकार को देय कर में कमी आ रही है. इस फर्जीवाड़े को रोकने के लिए जांच निदेशालयों द्वारा सत्यापन के लिए दिशा-निर्देश और टीडीएस तथा क्षेत्राधिकार निर्धारण अधिकारी (जेएओ) शुल्कों के सत्यापन के लिए एसओपी जारी किए गए.

ईमेल आधारित क्लस्टर्स की जांच
इस मामले में, ईमेल क्लस्टर्स की जांच से पता चला कि ज्यादा मामलों में, क्लस्टर ऐसे व्यक्तियों से संबंधित थे जो किसी सामान्य संगठन में काम कर रहे थे. क्षेत्रीय कार्यालयों से अनुरोध किया गया कि वे ईमेल आधारित क्लस्टर्स की जांच के दौरान पहचाने गए सामान्य कंपनियों या नियोक्ताओं की सूची अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले संबंधित प्रधान आयकर निदेशक (जांच) से प्राप्त करें और आईटीआर में कटौती के गलत दावों के बारे में नियोक्ताओं को जागरूक करने के लिए आउटरीच कार्यक्रम आयोजित करें.

सीबीडीटी की जांच में आईटीआर में कटौतियों के फर्जी दावों के बारे में और जानकारी सामने आई है. विभाग के पास मौजूद जानकारी के विश्लेषण से पता चला है कि करदाताओं द्वारा अपने आईटीआर में धारा 80जीजीबी या 80जीजीसी के तहत दावा की गई कुल कटौतियों और करदाताओं द्वारा अपने आईटीआर में दिखाई गई कुल प्राप्तियों के बीच बहुत बड़ा अंतर है. इसी तरह, धारा 80सी, 80ई, 80जी के तहत दावा की गई कटौतियां भी संदिग्ध प्रतीत होती हैं.

सभी उपलब्ध संसाधनों के गहन विश्लेषण के आधार पर, आम नियोक्ताओं (टीडीएस कटौती करने वालों) की एक सूची बनाई गई है. इसका उद्देश्य अधिक से अधिक ऐसे लोगों तक पहुंचा जाए जिन पर धारा 80ई, 80जी, 80जीजीए, 80जीजीसी और अन्य कटौतियों के तहत फर्जी कटौती का दावा करने का संदेह है.

यह भी पढ़ें-बजट 2025 से पहले केंद्रीय कर्मचारियों को मिली खुशखबरी, सरकार ने 8वें वेतन आयोग को दी मंजूरी

ABOUT THE AUTHOR

...view details