अडाणी एंटरप्राइजेज QIP के जरिए 16,500 करोड़ रुपये तक धनराशि जुटाएगी - Adani Enterprises
Adani Enterprises Fundraise: अडाणी एंटरप्राइजेज ने आज एक्सचेंज फाइलिंग के माध्यम से शेयर बाजार को सूचना दी कि उसके निदेशक मंडल ने QIP और अन्य तरीकों से 16,600 करोड़ रुपये तक जुटाने की मंजूरी दे दी है. पढ़ें पूरी खबर...
मुंबई: अडाणी एंटरप्राइजेज ने 28 मई मंगलवार को बड़ा ऐलान किया है. एक अहम बैठक में अडाणी एंटरप्राइजेज ने 16,600 करोड़ रुपये का फंड जुटाने की योजना को मंजूरी दे दी है. कंपनी ने घोषणा की कि उसके बोर्ड ने QIP के माध्यम से 16,600 करोड़ रुपये के धन जुटाने को मंजूरी दी है. अडाणी एंटरप्राइजेज ने यह जानकारी एक्सचेंज फाइलिंग के माध्यम से दी है.
वहीं, बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद अब कंपनी को 24 जून को होने वाली एनुअल जनरल मीटिंग में शेयरधारकों से परमिशन लेनी होगी. इससे पहले अडाणी एंटरप्राइजेज ने पिछले साल 2023 के मई महीने में 12,500 करोड़ रुपये जुटाने के लिए बोर्ड की मंजूरी ली थी, लेकिन फिर फंड नहीं जुटाया था.
बता दें, 28 मई को अडाणी एंटरप्राइजेज के शेयर बीएसई पर दोपहर 12:30 बजे के आसपास 0.67 प्रतिशत की गिरावट के साथ 3,266.20 रुपये पर कारोबार कर रहे थे. साल-दर-साल आधार पर स्टॉक में 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. अडाणी एनर्जी सॉल्यूशंस का स्टॉक सोमवार को लगभग स्थिर 1,104.70 रुपये पर बंद हुआ.
अडाणी एनर्जी सॉल्यूशंस ने कहा कि उसके बोर्ड ने Qualified Institutional Placement (क्यूआईपी) या अन्य तरीकों से एक या एक से ज्यादा किश्तों में 12 हजार 500 करोड़ रुपये तक की फंड जुटाने की मंजूरी दे दी है, जिसके एक दिन बाद फंड जुटाने की बात सामने आई है.
अडाणी एनर्जी सॉल्यूशंस ने पिछले हफ्ते ऐलान किया था कि उसने 1,900 करोड़ रुपये में एस्सार ट्रांसको लिमिटेड में 100 फीसदी हिस्सेदारी हासिल कर ली है. अधिग्रहण में पूरी तरह से चालू 400 KV, 673 सीकेटी KM (सर्किट किलोमीटर) इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन लाइन शामिल है, जो मध्य प्रदेश में महान को छत्तीसगढ़ में सिपत पूलिंग सबस्टेशन से जोड़ती है. यह अधिग्रहण एईएसएल के संचयी नेटवर्क को 21,000 सीकेटी किमी से अधिक तक ले जाता है.
क्या होता है QIP? क्यूआईपी या क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट मोटे तौर पर सूचीबद्ध कंपनियों के लिए धन जुटाने का एक उपकरण है. क्यूआईपी एक प्रक्रिया है जिसे सेबी द्वारा शुरू किया गया था ताकि सूचीबद्ध कंपनियों को योग्य संस्थागत खरीदारों (क्यूआईबी) को प्रतिभूतियां जारी करके आय जुटाने में सक्षम बनाया जा सके. पहले, चूंकि घरेलू बाजार में वित्त जुटाने में बहुत सारी कॉम्प्लिकेशन होती थीं, इसलिए भारतीय कंपनियां विदेशी बाजारों से धन जुटाती थीं. इसलिए इसे रोकने के लिए सेबी ने यह प्रक्रिया शुरू की ताकि घरेलू बाजार में धन जुटाना आसान हो सके.