सागर।भारतीय संस्कृति में योग का कितना महत्व है और योग का लोगों के जीवन पर कितना प्रभाव पड़ता है यह पिछले 7 दशकों से जाने माने योगाचार्य विष्णु आर्य लोगों को सिखा और बता रहे हैं. विष्णु आर्य 93 साल की उम्र में पिछले 70 सालों से लगातार योग साधना में जुटे हैं. देश और दुनिया के कई शहरों में लोगों को योग का प्रशिक्षण दे चुके योगाचार्य विष्णु आर्य आज भी लगातार सक्रिय हैं और सैंकड़ों लोग उनसे योग सीख रहे हैं. योग साधना सिखाने के अलावा योगाचार्य कई मुश्किल रोगों का इलाज भी योग के जरिए करते हैं. अपनी 70 साल की योग साधना के लिए कई बार सम्मानित भी हो चुके हैं.
कैसे शुरू की योग साधना?
योगाचार्य विष्णु आर्य बताते हैं, '' मुझे बचपन से ही योग, व्यायाम और अखाड़े में जाने का शौक था. साल 1954 में आर्य समाज के संत सागर आए थे. संतों द्वारा कराए गए योगाभ्यास से मेरे शरीर में विशेष क्षमताएं बढ़ी. योग के कारण हम कई तरह के करतब दिखाने लगे. जैसे सीने पर पत्थर रखकर फोड़ना, लोहे की सरिया को मोड़ देना. 1968 में स्वामी सत्यानंद सरस्वती जो कि स्वामी शिवानंद के शिष्य थे, उनसे रायगढ़ में विश्व योग सम्मेलन में मुलाकात हुई और उनसे मैंने योग की दीक्षा ली. उन्होंने आसन, प्राणायाम के साथ क्रिया कुंडली योग और योग की महत्वपूर्ण शक्तिपाद विधा सिखाई. इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए गुरु जी के साथ पूरे भारत का भ्रमण किया और लोगों को योग सिखाने का काम किया.''
1968 में स्थापित किया योग निकेतन
योगाचार्य विष्णु आर्य ने बताया, '' मैंने 1968 में सागर में योग निकेतन की स्थापना की और तब से यहां योग साधना लगातार चल रही है. हम यहां पर योग के जरिए ही असाध्य रोग जैसे- डायबिटीज, अस्थमा, सर्वाइकल और सायटिका को भी ठीक करते हैं. मानसिक तनाव के कारण शरीर में कई बीमारियां जन्म लेती हैं. ऐसे रोगों को हम योग के जरिए ठीक करते हैं. यहां पर कर्नाटक, हरियाणा, महाराष्ट्र और बहुत दूर-दूर से लोग योग के जरिए अपनी बीमारी ठीक कराने के लिए आते हैं. भगवान और गुरु की कृपा से हम उनका इलाज भी करते हैं.''
योग केवल आसन या प्राणायाम नहीं