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बिहार के भागलपुर की अनोखी साड़ी, जिसकी दुनिया है दीवानी - WORLD SAREE DAY 2024

सिल्क का कपड़ा हर किसी को खूब लुभाता है. भागलपुरी सिल्क की पूरी दुनिया दीवानी है. क्या है इसकी खासियत और कीमत जानें.

BIHAR BHAGALPURI SILK
बिहार के भागलपुर की अनोखी साड़ी (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : 16 hours ago

भागलपुर :विश्व साड़ी दिवस पर ईटीवी भारत आपको बिहार की शान यानी कि भागलपुरी सिल्क के बारे में बताने जा रहा है. भारत में साड़ी को आप एक तरह से अघोषित राष्ट्रीय परिधान भी कह सकते हैं. जब भी कोई खास अवसर या त्योहार होता है, लड़कियां और महिलाएं अधिकांश साड़ी पहनना ही पसंद करती हैं. इसीलिए साड़ी महज़ एक परिधान नहीं, हमारी परंपरा है.

भागलपुर की अनोखी साड़ी:साड़ी के महत्व और खूबसूरती को दर्शाने के लिए 21 दिसंबर का दिन दुनियाभर में इस भारतीय परिधान के लिए निश्चित है. भारत देश में साड़ी की हजारोंं वैरायटी उपलब्ध है. बनारसी सिल्क,भागलपुरी सिल्क, कांजीवरम, चंदेरी, माहेश्वरी, पोचमपल्ली, तांतकी, पैठणी सहित हर प्रांत की अपनी खास साड़ी होती है. अगर आपको भी रेशमी कपड़े पसंद हैं, तो आपको भागलपुरी सिल्क जरूर पसंद आएगी.

भागलपुर की अनोखी साड़ी (ETV Bharat)

"तसर साड़ी पर कट वर्क डिजाइन ज्यादा अब पसंद किया जा रहा है. ये साड़ी अपने मनपसंद कपड़े, रंग और प्रिंट की साड़ियां आपको कुछ सौ रुपये से लेकर लाखों तक में मिल जाएगी. इसे पहनने के भी सैंकड़ों तरीके हैं. खास अवसर या त्योहार होता पर लड़कियां और महिलाएं अधिकांश ये साड़ी पहनना ही पसंद करती हैं."-हेमंत कुमार,बुनकर

भागलपुरी सिल्क की दुनिया दीवानी:आपको बता दें कि भागलपुरी सिल्क का नाम बिहार के एक शहर भागलपुर के नाम पर रखा गया है. यही नहीं भागलपुर को भारत का रेशम नगरी भी कहा जाता है. भारत में पाए जाने वाले एन्थेरिया पफिया नामक एक रेशमकीट कोकून का इस्तेमाल भागलपुरी रेशम बनाने के लिए होता है.

भागलपुर की अनोखी साड़ी (ETV Bharat)

तसर रेशम की साड़ियों की खासियत: इन रंग-बिरंगे धागों को तसर कोकून से उत्पादित रेशम से बनाया जाता है. जिसके बाद इन्हीं धागों से सुंदर और डिजाइनदार भागलपुरी रेशम साड़ियां तैयार की जाती हैं. भागलपुरी रेशम का एक नाम तसर रेशम भी है. यही वजह है कि यहां की साड़ियों को तसर रेशम साड़ियां भी कहते हैं.

अहिंसक तरीके से तैयार होती है साड़ी: वहीं इन रेशम से बने कपड़ों को अन्य कपड़ों से बेहतर माना जाता है. हालांकि आजकल कई तरह के कपड़े बाजारों में मिलते हैं, जिससे इसकी डिमांड पहले के मुताबिक कम हो गई है. लेकिन पहले इन रेशमी कपड़ों को काफी मान्यता दी जाती थी. आपको बता दें कि इस कला का एक मिशन किसी भी रूप में एनिमल क्रुएलिटी को कम करना भी है. यह प्रकृति के अनुकूल है, जिसमें बिना किसी क्रूरता के रेशम का उत्पादन किया जाता है. इसी कारण से भागलपुर को "द पीस सिल्क" भी कहा जाता है.

डाबा कोकून (ETV Bharat)

"हैंडलूम और पावर लूम में अलग-अलग धागे का उपयोग होता है. मजबूत धागे से ही पावर लूम में साड़ियां तैयार की जा सकती हैं. जबकि हैंडलूम में दोनों तरह के धागे मजबूत और कमजोर धागे से भी साड़ी बनाया जा सकता है. धीरे-धीरे अब फिर से हैंडलूम की ओर लोगों का रुझान बढ़ा है और हैंडलूम की साड़ियां अधिक पसंद की जाने लगी है."- आलोक कुमार, बुनकर

100 करोड़ से ज्यादा का व्यवसाय:भागलपुरी रेशम अपनी बेहतर गुणवत्ता और सुंदरता के कारण पहचानी जाती है. भागलपुर में हर साल करीब 100 करोड़ से ज्यादा का व्यवसाय होता है, जिसमें 50 प्रतिशत स्थानीय बाजार से और 50 प्रतिशत निर्यात बाजार से आता है. कोकून से रेशम के धागे निकालने और कपड़े की बुनाई के लिए सूत कातने का काम लगभग दस लाख लोग करते हैं.

तसर कोकून (ETV Bharat)

भागलपुरी रेशम का दूसरा बड़ा निर्माता भारत:भागलपुरी रेशम कई शैलियों में आती है, इनमें कटिया, एरी, शहतूत और गिचा शामिल हैं. भागलपुर के रेशम का रंग दूसरों की तुलना में हल्का सुनहरा होता है, जिस कारण इसे ज्यादातर शादियों और पार्टियों में भी पहना जाता है. चीन के बाद भारत भागलपुरी रेशम का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता है. दूसरे रेशमी कपड़ों के तुलना में भागलपुर रेशम ज्यादा बेहतर होता है, जिससे कि यह गर्मी के मौसम में ज्यादा आरामदायक साबित होता है.

"यहां मलवरी सिल्क पर कांजीवरम डिजाइन की साड़ियां सबसे महंगी है. इस साड़ी की कीमत 25 हजार तक है. वहीं प्लेन मलवरी सिल्क 11 हजार तक की है. मलवरी सिल्क पर बनी जेकार्ड प्रिंट की साड़ियां 15 हजार तक मिलती हैं. यहां से साड़ियां अमेरिका, बंग्लादेश, चीन, कोरिया, थाईलैंड, सिंगापुर, जापान, श्रीलंका समेत कई देशों में जाता है. यहां पर बने साड़ियों की डिमांड देश के अलग अलग राज्यो में जाती है."- संजीव जैन, सिल्क कारोबारी

भागलपुरी सिल्क (ETV Bharat)

साड़ियों की कीमत:वहीं रेशमी कपड़ों का काम करना काफी मेहनत का काम है. रेशम का काम करने वाले ज्यादातर लोग पढ़े-लिखे होते हैं. तीन दिनों में लगभग 10 मीटर रेशम बनाया जाता है, जिससे कि महीने में कम से कम 10 साड़ियां तैयार की जाती हैं. इन साड़ियों की कीमत की बात करें तो यह तकरीबन 3000 रुपये से लेकर 3500 रुपये की होती हैं.

पेरिस लंदन में भी डिमांड:वहीं इस रेशमी कपड़ो की डिमांड देश सहित फैशन के लिए मशहूर पेरिस और लंदन जैसे शहरों में भी है. भागलपुरी रेशम से निर्मित कपड़ों को अंतरराष्ट्रीय रनवे और फैशन कार्यक्रमों में भी प्रदर्शित किया जाता है, जिससे दुनिया भर के लाखों परिधान निर्माता आकर्षित हुए हैं.

कौन कौन सी साड़ियां यहां होती हैं तैयार:जब इसको लेकर बुनकरों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पहले यहां पर विस्कॉज व सिल्क यही दो कपड़े तैयार किऐ जाते थे. सिल्क में तसर, एड़ी, मलवरी, मूंगा, इरण्डी, कटिया, तसर घिच्चा, खेवा, मलमल, केला रेशम समेत कई तरह के सिल्क की साड़ियां बनती है. सबसे अधिक तसर सिल्क की डिमांड है.

कौन सी है महंगी सिल्क: मलवरी सिल्क पर कांजीवरम डिजाइन की साड़ियां सबसे महंगी है. इस साड़ी की कीमत 25 हजार तक है. प्लेन मलवरी सिल्क की कीमत करीब 11 हजार तक है. मलवरी सिल्क पर बनी जेकार्ड प्रिंट की साड़ियां 15 हजार से अधिक है. एड़ी सिल्क साड़ी 8 हजार तक की है. तसर सिल्क 7 हजार तक की है. इसमें नए नए डिजाइन की साड़ियां तैयार हो रही है और दाम बढ़ रहे हैं. वहीं हैंडलूम पर तैयार साड़ी की कीमत की तो 35 से 40 हजार तक की मिल रही है.

कहां जाती हैं भागलपुर की साड़ियां: आपको बता दें कि यहां से साड़ियां अमेरिका, बंग्लादेश, चीन, कोरिया, थाईलैंड, सिंगापुर, जापान, श्रीलंका समेत कई देशों में जाता है. यहां पर बने साड़ियों की डिमांड देश के अलग अलग राज्यो में जाती है.

"मलवरी सिल्क का कपड़े के लिए धागा मालदा और बेंगलुरु से आता है. यह कपड़ा बनाने के बाद इतना सॉफ्ट हो जाता है कि आप अपने पैंट और शर्ट में कपड़े को मोड़कर रख सकते हैं. यह काफी महंगा होता है. मलवरी सिल्क की डिमांड भी है बहुत बढ़ गयी है."-सुधीर टेकरीवाल, सिल्क कारोबारी

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