World Brain Tumor Day 2024 (ईटीवी भारत चंडीगढ़ रिपोर्टर) चंडीगढ़:आजकल खराब लाइफस्टाइल और खानपान के कारण ब्रेन ट्यूमर के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. ब्रेन ट्यूमर को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी देखी गई है. जिसके चलते 8 जून को हर साल ब्रेन ट्यूमर डे मनाया जाता है. वहीं, इस दिन लोगों को शिक्षित करने के लिए दुनियाभर से पीड़ित मरीजों और परिजनों को प्रोत्साहित भी किया जाता है. ईटीवी भारत की टीम ने इस बीमारी के विषय पर चंडीगढ़ पीजीआई के न्यूरो सर्जन डॉ. एसएस धंदापानी से खास बातचीत की गई. इस दौरान डॉ. धंदापानी ने विस्तारपूर्वक जानकारी दी है.
क्या है ब्रेन ट्यूमर: ब्रेन ट्यूमर में ब्रेन की आसपास की सेल्स अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगते हैं. कई बार तो यह इतने ज्यादा फैल जाते हैं कि यह ब्रेन से शरीर के दूसरे अंगों में भी फैलने लगते हैं. दरअसल, ब्रेन के आसपास के सेल्स और डीएनए में कई तरह के खतरनाक बदलाव के कारण ब्रेन ट्यूमर का जोखिम बढ़ जाता है. आज के समय में ज्यादातर नौजवान इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं.
World Brain Tumor Day 2024 (ईटीवी भारत) ब्रेन ट्यूमर के लक्षण: इस बीमारी से मरीजों को ज्यादातर सिर में दर्द होना या सुबह के समय अचानक से काफी तेज दर्द हो जाता है. मतली या उल्टी होना, आंखों की दिक्कत या ठीक से दिखाई न देना, हाथ या पैर में झुनझुनी होना, हमेशा थकान रहना, किसी भी चीज को याद रखने में परेशानी होना, बोलने में परेशानी होना. इसके मुख्य लक्षण है.
शरीर में हो रहे इन बदलावों से समय रहते पहचानें बीमारी: आपको बता दें कि इस बीमारी के दौरान मरीज के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं. दिमाग का कैंसर बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी उम्र के लोगों को होने का डर रहता है. कई बार मिर्गी का दौरा ब्रेन कैंस का कारण हो सकता है. ब्रेन कैंसर के कारण दिमाग और शरीर पर कई तरह के बदलाव होते हैं. ब्रेन कैंसर का आंखों पर भी असर पड़ता है. यह सबसे ज्यादा ऑप्टिक नर्व पर दबाव पड़ता है जिसके कारण आंख की रोशनी धुंधली और अंधेपन का शिकार हो सकते हैं.
World Brain Tumor Day 2024 (ईटीवी भारत) क्या है ट्यूमर का इलाज: डॉ. धंधा पानीके मुताबिक, ट्यूमर की शिकायत होने पर इसे सर्जरी द्वारा निकाला जा सकता है. लेकिन किसी मरीज को यदि ट्यूमर पूरी तरह से दिमाग में फैल गया है तो उसे निकालना मुश्किल हो जाता है. इसलिए ट्यूमर की सर्जरी समय रहते ही हो जानी चाहिए. इस बीमारी के मरीजों को हर साल अपना एम आर आई करवाना चाहिए. ट्यूमर निकल जाने के बाद भी सर्जरी कराना जरूरी होता है. डॉ. का कहना है कि आज की तकनीकी दुनिया में ट्यूमर आसानी से निकाला जा सकता है. इसके अलावा, रेडिएशन थेरेपी के जरिए बचे हुए कैंसर सेल्स को खत्म किया जाता है. कीमोथेरेपी ऐसी थेरेपी है जिससे कैंसर सेल्स को खत्म करने के लिए कुछ दवा का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, टारगेट थेरेपी जिसे अलग तरह के ट्यूमर के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
World Brain Tumor Day 2024 (ईटीवी भारत) मरीजों की संख्या में इजाफा:डॉ. धंधा पानी ने बताया कि लोगों में जागरूकता की भारी कमी के कारण लोग ब्रेन ट्यूमर के आखिरी स्टेज पर पहुंचने के बाद पीजीआई का रुख करते हैं. इस दौरान मरीजों को बचाना मुश्किल हो जाता है. ये उन बीमारियों में शुमार है जिसका पता काफी देर में चलता है. लोगों को उस वक्त इस बीमारी का पता चलता है जब ये काफी घातक बन चुकी होती है. ऐसे में लोगों का जागरूक होना ज्यादा जरूरी है. बेशक आज के समय में तकनीकी तौर पर ट्यूमर को निकालना आसान हो गया है. लेकिन फिर भी इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों की संख्या में काफी इजाफा देखा जा रहा है. वहीं, बता दें कि इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ कैंसर रजिस्ट्री के मुताबिक भारत में हर साल ब्रेन ट्यूमर के 28 हजार से ज्यादा मामलों की रिपोर्ट दर्ज की जा रही है.
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