पानीपत: चुनाव आयोग के मुताबिक 1957 में संसद में महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 5.4 प्रतिशत थी. 2019 तक ये बढ़कर 14.4 प्रतिशत हुई. अब उम्मीद है कि ये भागीदारी और बढ़ेगी. वैसे तो चुनाव में महिला उम्मीदवारों की भागीदारी बहुत कम रही है, लेकिन जो महिलाएं अभी तक सांसद बनी हैं. उन्होंने दिग्गजों को पटखनी दी है. ऐसी ही एक महिला सांसद थी सुभद्रा जोशी. जिन्होंने उत्तर प्रदेश की बलरामपुर सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को हराकर सबको हैरान कर दिया था.
करनाल लोकसभा सीट से जीता था पहला चुनाव: सुभद्रा जोशी ने अपना पहला चुनाव हरियाणा की लोकसभा सीट से जीता था. जिसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. हरियाणा की करनाल लोकसभा सीट पहले पंजाब राज्य में आती थी. तब सुभद्रा जोशी इस सीट से जीतकर पहली बार सांसद बनी थी. साल 1957 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें करनाल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया. इस सीट पर सुभद्रा जोशी ने भारतीय जनसंघ के वीरेंद्र सत्यवादी को बड़ी मात दी.
सामाजिक कार्यों से लोकप्रिय हुई सुभद्रा जोशी: करनाल लोकसभा सीट से सुभद्रा जोशी पहली बार सांसद चुनी गई. इस जीत के बाद सुभद्रा जोशी ने अपने वक्तव्य और कार्यों से सबका मन जीत लिया. बता दें कि सुभद्रा जोशी का जन्म पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ. उन्होंने अपनी शिक्षा भी पाकिस्तान से पूरी की, लेकिन बंटवारे के वक्त वो और उनका परिवार भारत आ गया. भारत आकर उन्होंने सामाजिक कार्यों को में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. जिसकी वजह से वो लोगों में लोकप्रिय हो गई.
करनाल के बाद कांग्रेस ने बलरामपुर सीट से दिया टिकट: 1962 में फिर से लोकसभा चुनाव का बिगुल बज उठा. कांग्रेस और भारतीय जनसंघ पार्टी के बीच फिर से चुनावी माहौल कड़ा हो गया. इस बार उत्तर प्रदेश की बलरामपुर सीट से अटल बिहारी वाजपेई को जनसंघ पार्टी ने उम्मीदवार बनाया था. दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के पास उस समय कोई बड़ा चेहरा नहीं था, जो अटल बिहारी वाजपेई को हरा सके. तब कांग्रेस पार्टी ने करनाल से सांसद रही सुभद्रा जोशी पर दांव खेला और अटल बिहारी वाजपेई के सामने बलरामपुर से उन्हें चुनावी मैदान में उतार दिया.