क्या पहाड़ी आरक्षण के बाद बीजेपी में शामिल होंगे कश्मीरी पहाड़ी नेता?
Jammu Kashmir News, Reservation for Pahadis, केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में पहाड़ी जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देकर एक बड़ा दांव खेला है. इस दांव के साथ लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने पहाड़ी नेताओं के लिए अपने दरवाजे भी खोल दिए हैं. अब कई पहाड़ी नेता बीजेपी में शामिल होने पर विचार कर रहे हैं.
श्रीनगर: सत्तारूढ़ भाजपा ने आगामी संसद चुनावों से पहले जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी नेताओं को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देकर उनके लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर में गुज्जर आबादी को नाराज करने की कीमत पर. पार्टी द्वारा पहाड़ी जातियों को एसटी का दर्जा दिए जाने के बाद भाजपा में शामिल होने वाले पहले नेता नेशनल कॉन्फ्रेंस के पूर्व एमएलसी डॉ. शाहनाज गनई थे.
अटकलें लगाई जा रही हैं कि पुंछ, राजौरी, कुपवाड़ा और करनाह के और भी पहाड़ी नेता गनई के नक्शेकदम पर चल रहे हैं. इससे पहले पिछले साल पूर्व मंत्री सैयद मुश्ताक बुखारी समेत दर्जनों पहाड़ी नेता बीजेपी में शामिल हुए थे. शाहनाज गनई सोमवार को नई दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग और मंत्री डॉ. जतिंदर सिंह की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गईं.
साल 2020 में एनसी छोड़ने वाली शाहनाज गनई मंडी से एनसी उम्मीदवार अतीक जान से बड़े अंतर से डीडीसी चुनाव हार गईं. पेशे से मेडिकल डॉक्टर, शहनाज़ अपना पेशा छोड़ने के बाद वर्ष 2007 में एनसी में शामिल हुई थीं. उन्हें 2013 में एनसी द्वारा पंचायत कोटा पर एमएलसी के रूप में चुना गया था.
शाहनाज़ राजनीतिक परिवार से हैं, क्योंकि उनके पिता गुलाम मुहम्मद गनई पुंछ-हवेली विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक थे. हालांकि उनके शामिल होने से बीजेपी पर ज्यादा राजनीतिक प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि पुंछ में उनकी कोई खास पकड़ नहीं है, लेकिन कई पहाड़ी नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं.
तरूण हग ने कहा कि आने वाले सप्ताह में और भी नेता भाजपा में शामिल हो रहे हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने पहाड़ियों की दशकों पुरानी मांग को पूरा किया है. अटकलें लगाई जा रही हैं कि पीरपंचाल क्षेत्र के दोनों कांग्रेस नेता शब्बीर खान, जहांगीर मीर, पीडीपी के वकील मुर्तजा खान, राजा मंजूर, कश्मीर से अपनी पार्टी के जावेद मिर्चल समेत कई नेता बीजेपी में जा रहे हैं.
बहुसंख्यक पहाड़ी आबादी वाले करनाह के पहाड़ी नेता राजा मंजूर खान ने ईटीवी भारत को बताया कि वह बीजेपी में शामिल नहीं हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि 'मैं पहाड़ी को एसटी का दर्जा देने का स्वागत करता हूं, लेकिन मैंने भाजपा नेतृत्व से उनकी पार्टी में शामिल होने के लिए कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई है. मैं अपनी पार्टी के साथ रहूंगा.'
जम्मू-कश्मीर के नौशेरा, कालाकोट-सुंदरबनी, राजौरी, थानमंडी, सुरनकोट, पुंछ-हवेली, मेंढर, उरी और करनाह विधानसभा क्षेत्रों में पहाड़ी बहुसंख्यक हैं. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि भाजपा ने भारत और जम्मू-कश्मीर में आगामी संसद चुनावों के मद्देनजर पहाड़ी और अन्य जातियों को एसटी आरक्षण दिया है. बीजेपी अनंतनाग-राजौरी सीटें जीतना चाहती है, जहां पहाड़ी और गुज्जर वोट महत्वपूर्ण हैं. यह संसदीय सीट पिछले साल परिसीमन आयोग द्वारा अनंतनाग और जम्मू संसदीय सीट का पुनर्गठन करके बनाई गई थी.
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक और लेखक जफर चौधरी ने कहा कि अनंतनाग-राजौरी एक उच्च जोखिम वाली सीट है और यह जम्मू-कश्मीर में राजनीति के भविष्य की दिशा को परिभाषित करेगी. चौधरी ने कहा कि बीजेपी अनंतनाग-राजौरी सीट के लिए पहाड़ी के बजाय गुज्जर उम्मीदवार पर विचार कर सकती है. पहाड़ों का एक अच्छा वर्ग पहले से ही भाजपा को वोट देने के लिए प्रतिबद्ध है.
उन्होंने आगे कहा कि एक गुज्जर उम्मीदवार जीत की संभावनाओं को और उज्ज्वल कर सकता है और दो समुदायों के बीच सामाजिक विभाजन को भी संतुलित कर सकता है. पहाड़ी आरक्षण ने भाजपा, कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के लिए एक दिलचस्प चुनौती खड़ी कर दी है, जो आगामी संसद चुनावों में अनंतनाग-राजौरी सीट पर नजर गड़ाए हुए हैं. संसद चुनाव आते ही इस सीट पर राजनीतिक दलों के लिए कौन सा क्रमपरिवर्तन और संयोजन काम करेगा.