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लोकसभा चुनाव 2024: महाराष्ट्र में दूसरे चरण में कम हुई वोटिंग, जानें क्या है कारण - Lok Sabha Election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

percentage of votes decrease in Maharashtra: लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण में महाराष्ट्र में वोटिंग प्रतिशत में कमी दर्ज की गई. यहां पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले कम मतदान हुआ जो चिंता का विषय है.

Why did the vote percentage decrease in Maharashtra in Lok Sabha elections (Photo IANS)
लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में क्यों घटा वोट प्रतिशत (फोटो आईएएनएस)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 28, 2024, 9:10 AM IST

मुंबई: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में महाराष्ट्र में वोटों का प्रतिशत एक बार फिर गिर गया. हालांकि, जहां देश के अन्य राज्यों में वोट प्रतिशत बढ़ रहा है, वहीं महाराष्ट्र में गिरता प्रतिशत चिंताजनक है. इसकी वजह महाराष्ट्र की गर्मी और राजनीतिक उदासीनता है. इसलिए राजनीतिक नेताओं को विश्वास पैदा करना चाहिए, राजनीतिक गलियारों से इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है.

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में महाराष्ट्र के आठ सीटों को शामिल किया गया. इन आठ सीटों पर 59.63 प्रतिशत मतदान हुआ. अन्य राज्यों में 65 से 77 फीसदी मतदान हुआ है. वहीं, राज्य में मतदान का कम प्रतिशत निश्चित तौर पर चिंताजनक है. महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशील राज्य में वोटों का प्रतिशत लगातार गिर रहा है तो यह चिंता की बात है. राजनीतिक दलों के साथ चुनाव आयोग भी यह राय व्यक्त कर रहा है कि वोटों का प्रतिशत बढ़ाने के प्रयास किये जाने चाहिए.

कोई आशाजनक चेहरा नहीं :महाराष्ट्र चुनाव में उम्मीदवारों के बीच मुकाबला हमेशा चुनौतीपूर्ण रहता है. हालांकि, हाल ही में राजनीति में वोट देने के लिए कई महत्वपूर्ण नेता नहीं हैं. केवल नरेंद्र मोदी ही प्रधानमंत्री और नेता के रूप में एक आशाजनक चेहरा हैं. चूँकि इससे आगे देखने को कुछ नहीं है, इसलिए मतदाता मतदान से विमुख होते दिख रहे हैं. विदर्भ में दूसरे चरण का मतदान था. गर्मी के कारण प्रतिशत गिरा है. शिवसेना शिंदे समूह के प्रवक्ता किरण पावस्कर ने भी यही राय व्यक्त की. हालाँकि,उन्होंने मतदान को लेकर अपील की.

सत्ता पक्ष से जताई नाराजगी:इस संबंध में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आम आदमी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष एडवोकेट धनंजय शिंदे ने कहा, 'राज्य में इस बार वोट प्रतिशत पांच से छह फीसदी कम हुआ है. 2019 में मतदान प्रतिशत करीब 63 फीसदी था, जो अब घटकर 59 फीसदी हो गया. यह राज्य में सत्तारूढ़ दल की विफलता है.

सत्ताधारी दल ने लोगों को आश्वस्त नहीं किया है. घटक दलों और उनके नेताओं को लेकर काफी नाराजगी है. इसके अलावा मतदाता घर से बाहर नहीं निकले. उनसे कोई उम्मीद नहीं थी अब वे मतदान केंद्र से मुंह मोड़ रहे हैं. हालाँकि, इसके लिए बहुत अधिक जनजागरण होना चाहिए, अन्यथा महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशील राज्य में वोटों का यह प्रतिशत निश्चित रूप से सोचने पर मजबूर करने वाला है.

नए मतदाता भाजपा की नीति को लेकर सशंकित: इस संबंध में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए वंचित बहुजन अघाड़ी नेता एडवोकेट प्रकाश अंबेडकर ने कहा, 'केंद्र सरकार की नीतियां हर स्तर पर प्रभावित कर रही हैं. कई लोगों को ईडी के नोटिस और अन्य एजेंसियों के नोटिस जारी किए जा रहे हैं. इसके चलते 50 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति रखने वाले लोग भारत की नागरिकता छोड़ रहे हैं. हमारे पास चौंकाने वाली जानकारी है कि करीब 17 लाख परिवार भारत की नागरिकता छोड़ चुके हैं. इन गलत नीतियों की मार देश पर पड़ रही है. इसलिए युवाओं ने इस गलत नीति से मुंह मोड़ लिया है. इसलिए करीब 10 से 12 फीसदी वोट गिरने का दावा भी अंबेडकर ने किया.

मतदान प्रतिशत बढ़ाने के प्रयास: मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए नए मतदाताओं को जागरूक करने का प्रयास किए गए. इसके लिए निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया. साथ ही कॉलेजों व अन्य संस्थानों में भी मतदान के प्रति जागरूकता पैदा की गयी. संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोहर पारकर ने कहा, 'हमने विज्ञापनों के माध्यम से बड़ी संख्या में मतदाताओं को वोट देने और अपना राष्ट्रीय कर्तव्य निभाने के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया. हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि शेष चरणों में अच्छे मतदान हो.'

आरक्षण की मार? : मराठा प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज के बाद मराठा आरक्षण का मुद्दा गरमा गया. इसके बाद धनगर और मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर भी चर्चा हुई. मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जारांगे पाटिल ने आक्रामक रुख अपनाया और सीधे तौर पर सत्ताधारी नेताओं को चुनौती दी. लोकसभा के लिए प्रत्याशियों के नामांकन की तैयारियां भी शुरू कर दी गईं. जारांगे पाटिल ने मराठा समुदाय को भी चुनाव में चुनौती दी थी. इसलिए चर्चा है कि आरक्षण के मुद्दे की वजह से वोटिंग प्रतिशत कम हुआ.

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