नई दिल्ली: देशभर में लोकसभा का चुनाव जारी है. इस बार आम चुनाव के लिए सात चरणों में वोटिंग होनी है. अब कुल 5 चरण के वोट डाले जा चुके हैं. चुनाव के बीच सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें हर मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों का प्रतिशत 48 घंटे के भीतर सार्वजनिक किए जाने की मांग की गई थी. यह याचिका एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से दायर की गई है.
मामले में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ शुक्रवार 24 मई को सुनवाई करेगी. इससे पहले बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग (ECI) ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसकी वेबसाइट पर फॉर्म 17सी अपलोड करने पर उससे छेड़छाड़ हो सकती है.
आयोग ने सुप्रीम को बताया कि फिलहाल फॉर्म 17सी स्ट्रॉन्ग रूम में उपलब्ध है और इसकी एक कॉपी मतदान एजेंटों के पास है. ईसीआई ने अपने हलफनामे में कहा कि फॉर्म को वेबसाइट पर सार्वजनिक करने से मतगणना परिणामों के साथ छेड़छाड़ की संभावना बढ़ सकती है और इससे पूरी चुनावी प्रक्रिया को लेकर अविश्वास पैदा हो सकता है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर यह फॉर्म 17सी है क्या और यह कितना अहम है?
क्या है फॉर्म 17सी?
फॉर्म 17सी में वोटों का लेखा-जोखा दर्ज होता है. यह वोटिंग खत्म होने पर उम्मीदवारों के पोलिंग एजेंटों को जारी किया जाता है. इसमें पूलिंग बूथ में ईवीएम की पहचान संख्या और मतदान केंद्र को सौंपे गए वोटर्स की कुल संख्या दर्ज होती है.