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आयकर अधिनियम 1961 में चाहते हैं बदलाव ? तो IT विभाग को तुरंत दें सुझाव

आयकर विभाग ने आयकर अधिनियम 1961 बदलाव को लेकर जनता से सुझाव मांगे हैं.

आयकर अधिनियम 1961 में बदलाव के लिए सुझाव
आयकर अधिनियम 1961 में बदलाव के लिए सुझाव (Getty Images)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 7, 2024, 7:19 PM IST

नई दिल्ली: आयकर विभाग ने सोमवार को छह दशक पुराने आयकर अधिनियम की समीक्षा के लिए भाषा को आसान बनाने, मुकदमेबाजी में कमी, कॉम्पलीकेशन रिडक्शन और अप्रचलित प्रावधानों के बारे में जनता से सुझाव मांगे है. बता दें कि आयकर अधिनियम 1961 की यात्रा 1922 में शुरू हुई थी. इसके वर्तमान स्वरूप में 298 धाराएं, 23 अध्याय और अन्य प्रावधान शामिल हैं.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से आयकर अधिनियम 1961 की व्यापक समीक्षा के लिए बजट घोषणा के तहत, सेंट्र बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) ने समीक्षा की देखरेख करने और अधिनियम को संक्षिप्त, स्पष्ट और समझने में आसान बनाने के लिए एक इंटरनल समिति का गठन किया था, जिससे विवाद, मुकदमेबाजी कम होगी और टैक्सपेयर्स को अधिक टैक्स निश्चितता मिलेगी.

सीबीडीटी ने कहा, "समिति चार कैटेगरी में जनता से इनपुट और सुझाव आमंत्रित करती है . इनमें भाषा का सरलीकरण, मुकदमेबाजी में कमी, कॉम्पलीकेशन में कमी और अनावश्यक/अप्रचलित प्रावधान शामिल हैं.

ई-फाइलिंग पोर्टल पर वेबपेज
इसके लिए https://eportal.incometax.gov.in/iec/foservices/#/pre-login/ita-comprehensive-review लॉन्च किया गया है और जनता अपना मोबाइल नंबर दर्ज करके और ओटीपी के माध्यम से इस पेज तक पहुंच सकती है.सुझावों में आयकर अधिनियम 1961 या आयकर नियम 1962 (स्पेसिफिकेशन सेक्शन, सब सेक्शन, खंड, नियम, उपनियम या फॉर्म संख्या का उल्लेख करते हुए) के प्रासंगिक प्रावधान को निर्दिष्ट करना होगा.

गौरतलब है कि जुलाई में पेश किए गए 2024-25 के बजट में वित्त मंत्री ने प्रस्ताव दिया था कि आयकर कानून की समीक्षा छह महीने में पूरी की जाएगी. यह देखते हुए कि छह महीने की समयसीमा जनवरी 2025 में समाप्त हो रही है, यह व्यापक रूप से उम्मीद की जा रही है कि संशोधित आयकर अधिनियम संसद के बजट सत्र में लाया जा सकता है.

1961 का आयकर अधिनियम क्या है?
1961 का आयकर अधिनियम भारत की कराधान प्रणाली की आधारशिला है. यह देश में आयकर के रेगूलेशन, प्रशासन, कलेक्शन और रिकवरी को नियंत्रित करने वाले नियमों, विनियमों और प्रक्रियाओं की रूपरेखा तैयार करता है. यह अधिनियम कराधान के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करता है, जिसमें विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है.

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