चमोली: उत्तराखंड के चमोली जनपद की उच्च हिमालयी भ्यूडार घाटी में स्थित खूबसूरत राष्ट्रीय उद्यान फूलों की घाटी की ओपनिंग सेरेमनी हेतु नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के डीएफओ IFS बीवी मर्तोलिया पूरी टीम के साथ घांघरिया बेस कैंप पहुंच चुके हैं. आज सुबह वैली ऑफ फ्लावर्स के मुख्य प्रवेश द्वार पूजा अर्चना के बाद पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों की आवाजाही हेतु खोल दिए गए हैं. 31अक्टूबर तक आम पर्यटकों के लिए फूलों की घाटी खुली रहेगी.
खुश गई फूलों की घाटी:जैव विविधता और अल्पाइन पुष्पों की दुर्लभ प्रजातियों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध विश्व प्राकृतिक धरोहर स्थल फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान आज 1 जून से प्रकृति प्रेमियों और देशी विदेशी पर्यटकों के दीदार हेतु खुल गई है.
फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए खुली (File photo) वैली ऑफ फ्लावर्स नेशनल पार्क प्रबंधन ने घाटी को खोलने की सभी ओपचारिक तैयारियां पूरी कर ली थीं. घांघरिया से लेकर बामन ढोड तक के 5 किलोमीटर के पैदल ट्रेक रूट को आवाजाही के लिए वन विभाग ने दुरस्त कर दिया था. ग्लेशियर के आसपास चलने के लिए पगडंडी बनाई गई है.
घांघरिया से लेकर बामन ढोड तक 5 किमी पैदल ट्रेक (Photo- Park Management) फ्रैंक स्मिथ ने खोजी थी फूलों की घाटी:गौरतलब है कि वर्ष 1932 में ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक स्मिथ की खोजी इस विश्व धरोहर फूलों की घाटी में मध्य जुलाई से सितंबर माह तक करीब 500 दुर्लभ प्रजातियों के पुष्प खिलते हैं. साथ ही घाटी में कई प्रजाति के दुर्लभ वन्य जीव जंतुओं का भी दीदार पर्यटक कर सकते हैं.
इन दिनों घाटी में अल्पाइन प्रिमुला पुष्प, जिरेनियम, पोटेंटिला एस्टर, बटर केप सहित कई पुष्पों की क्यारियां अपने प्राकृतिक आवासों के आस पास खिली दिखाई दे रही हैं. प्रति वर्ष देश विदेश के हजारों पर्यटक और प्रकृति प्रेमी फूलों की घाटी का दीदार करने पहुंचते हैं, जिससे वन विभाग को अच्छी आय भी हो जाती है.
वैली में फूलों की ये प्रजातियां पाई जाती हैं (Photo- Park Management) फूलों की घाटी में खिलते हैं 500 किस्म के दुर्लभ पुष्प:आज शनिवार 1 जून को डीएफओ नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क ने फूलों की घाटी जाने वाले पहले पर्यटक दल को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया. उप वन संरक्षक बीवी मर्तोलिया ने घांघरिया बेस कैंप से 48 पर्यटकों के पहले दल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. डीएफओ ने बताया कि सेंचुरी एरिया होने के कारण पर्यटक फूलों की घाटी में रात्रि को नही रुक सकते हैं.
उप वन संरक्षक बीवी मर्तोलिया हरी झंडी दिखाते (Photo- Information Department) पर्यटकों को फूलों की घाटी का ट्रेक करने के बाद उसी दिन बेस कैंप घांघरिया वापस आना अनिवार्य किया गया है. बेस कैंप घांघरिया में पर्यटकों के ठहरने की समुचित व्यवस्था है. उन्होंने बताया कि वैली ऑफ फ्लावर ट्रेकिंग के लिए देशी नागरिकों को 200 रुपये तथा विदेशी नागरिकों के लिए 800 रुपये ट्रेक शुल्क निर्धारित है. ट्रेक को सुगम और सुविधाजनक बनाया गया है. फूलों की घाटी के लिए बेस कैंप घांघरिया से टूरिस्ट गाइड की सुविधा भी उपलब्ध है. इस साल फूलों की घाटी 31अक्टूबर तक पर्यटकों के लिए खुली रहेगी.
फूलों की घाटी जाने का रूट मैप (Photo- Park Management) फूलों की घाटी ट्रेक अपने फूलों के लिए दुनिया भर में मशहूर है. इस घाटी के रोचक बात ये है कि ये घाटी हर 15 दिन में अपना रंग बदल लेती है. फूलों की कुछ प्रजातियां ऐसी हैं, जो आपको सिर्फ यहीं देखने को मिलती हैं. फूलों की घाटी दुर्लभ हिमालयी वनस्पतियों से समृद्ध है और जैव विविधता का अनुपम खजाना है. यहां 500 से अधिक प्रजाति के रंग बिरंगी फूल खिलते हैं.
पर्यटक यहां की ट्रिप जिंदगी भर याद रखते हैं (File photo) हर साल बड़ी संख्या में देश-विदेश से पर्यटक फूलों की घाटी का दीदार करने आते हैं. प्रकृति प्रेमियों के लिए फूलों की घाटी से टिपरा ग्लेशियर, रताबन चोटी, गौरी और नीलगिरी पर्वत के बिहंगम नजारे भी देखने को मिलते हैं.
बता दें कि पर्यटकों को प्रवेश शुल्क के साथ शाम 4 बजे से पूर्व घाटी के दीदार कर वापस लौट कर प्रवेश द्वार पर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी. साथ ही राष्ट्रीय पार्क और वन और वन्य जीव संरक्षण के नियमों के तहत सभी नियमों का पालन करना होगा. इस वर्ष अच्छी बर्फबारी के चलते पर्यटकों को शुरुआती दिनों में घाटी के प्रवेश द्वार के बाद द्वारी ब्रिज, उसके बाद बामन धोड के बीच में प्रकृति दर्शन के साथ साथ ग्लेशियरों के भी दीदार हो सकेंगे.
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