देहरादूनःकेदारनाथ यात्रा पैदल मार्ग में 31 जुलाई की रात को आई आपदा से उत्तराखंड सरकार के साथ-साथ पूरा प्रदेश जूझ रहा है. लेकिन पर्यटन विभाग द्वारा किए गए दावों के अनुसार चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों के रजिस्ट्रेशन और उनके वेरिफिकेशन का डाटा धरा का धरा रह गया है. खुद आपदा प्रबंधन के अपर सचिव आनंद स्वरूप ने इस बात की पुष्टि की है.
आनंद स्वरूप का कहना है कि, 'पर्यटन विभाग ने आपदा प्रबंधन विभाग को केदारनाथ धाम पर आने वाले तीर्थ यात्रियों के संबंध में किसी तरह का कोई डेटा साझा नहीं किया है. उन्होंने कहा कि केदारनाथ मार्ग पर फंसे यात्रियों को केवल प्रत्यक्षदर्शियों और मौके पर मौजूद हालातों के आधार पर ही चिन्हित किया जा रहा है. केदारनाथ धाम की तरफ सोनप्रयाग से गए यात्रियों के संबंध में पर्यटन विभाग द्वारा किए गए दावे के अनुसार किसी भी तरह की कोई जानकारी आपदा प्रबंधन के साथ साझा नहीं की गई है'.
2013 आपदा के बाद पंजीकरण और वेरिफिकेशन अनिवार्य: बता दें कि साल 2021 में उत्तराखंड पर्यटन विभाग द्वारा चारधाम यात्रा में आने वाले यात्रियों के रियल टाइम मॉनिटरिंग और परिस्थितियों में यात्रियों की स्थिति जानने के लिए पंजीकरण और उनके वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू की गई थी. इसके लिए 2013 की केदारनाथ आपदा का हवाला दिया गया था. उस दौरान केदारनाथ में कितने यात्री मौजूद थे, इसकी जानकारी किसी विभाग के पास नहीं थी. ऐसे में दोबारा ऐसी स्थिति ना बने, इसके लिए चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों का रजिस्ट्रेशन और उनके वेरिफिकेशन की कवायद की गई थी. लेकिन पिछले दो सालों से यह प्रक्रिया लगातार सवालों के घेरे में रही है.
कांग्रेस ने उठाए सवाल: वहीं, विपक्ष की ओर से भी इस पर लगातार सवाल खड़े किए जा रहे हैं. कांग्रेस का कहना है कि सरकार को इस बात की बिल्कुल भी जानकारी नहीं है कि 31 जुलाई की रात जब केदारनाथ पैदल मार्ग पर बादल फटा तो उस समय केदार घाटी में कितने लोग मौजूद थे? कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि यात्रा शुरू होने से पहले सरकार द्वारा तमाम तरह के दावे किए जाते हैं. यात्रियों की सुरक्षा के लिए पंजीकरण और उनका सत्यापन किए जाने का दावा किया जाता है. लेकिन आज जब आपदा की नौबत आई है तो यह दावे पूरी तरह से खोखले नजर आए हैं.