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इस साल शुरू होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा, उत्तराखंड से 11 दिन में पूरा होगा सफर, जानिए क्या रहेगा खास - KAILASH MANSAROVAR YATRA 2025

चीन और भारत के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 को लेकर सहमति बन गई है. पूरे पांच बाद ये यात्रा शुरू होगी.

Kailash Mansarovar Yatra 2025
कैलाश मानसरोवर (GETTY IMAGE)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 13, 2025, 7:29 PM IST

देहरादून (किरण कांत शर्मा): भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए अच्छी खबर है. लंबे समय से बंद पड़ी कैलाश मानसरोवर की यात्रा फिर से शुरू होने जा रहा है. भारत सरकार और चीन के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा के लेकर सहमति बन गई है. अब बस तारीख का ऐलान होने की देरी है. कैलाश मानसरोवर की यात्रा उत्तराखंड के लिए कई मायनों में अहम करती है. इसीलिए उत्तराखंड सरकार भी ब्रेसबी से इस यात्रा को शुरू होने का इंतजार कर रही है.

साल 2019 में चीन से बिगड़े रिश्तों के कारण कैलाश मानसरोवर यात्रा को बंद कर दिया गया था. इसके बाद कोरोना महामारी और अन्य कारणों से कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर शुरू ही नहीं हो पाई थी. हालांकि अब करीब पांच साल बाद फिर से भारत-चीन के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघली और कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर दोनों देशों के बीच सहमति बनी.

पिथौरागढ़ प्रशासन तैयारियों में जुटा: बता दें कि कैलाश मानसरोवर यात्रा में उत्तराखंड का अहम रोल रहता है. कैलाश मानसरोवर जाने वाले भक्त उत्तराखंड से ही होकर गुजरते है और चीन सीमा में एंट्री के लिए सीमांत जिले पिथौरागढ़ से जाना पड़ता है. इसीलिए पिथौरागढ़ प्रशासन ने भी अपने स्तर पर कैलाश मानसरोवर यात्रा की तैयारियां शुरू कर दी है.

यात्रा की तारीख के एलान का इंतजार: पिथौरागढ़ की एसपी रेखा यादव बताती है कि

उनके लिए ये खुशी की बात है. भक्तों को लंबे समय बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने का मौका मिलेगा. हालांकि अभीतक भारत सरकार की तरफ से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होने की तारीख का ऐलान नहीं किया गया है.

पिथौरागढ़ एसपी रेखा यादव ने बताया कि

उन्होंने कैलाश मानसरोवर यात्रा के रास्ते का हाल ही में फीडबैक लिया था. कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग मार्च तक बर्फबारी के कारण अवरुद्ध रहेगा. बर्फबारी के कारण इलाके में किसी भी तरह की आवाजाही नहीं हो पाएगी. यात्रा मार्ग को लेकर जल्द ही पिथौरागढ़ जिला अधिकारी की तरफ से बड़ी बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें संबंधित विभागों के अधिकारी शामिल होगे. उसके बाद ही यह तय हो पाएगा कि यात्रा किस तरह से और कैसे चलेगी?

एसपी रेखा यादव ने साफ किया है कि कैलाश मानसरोवर यात्रा पर पिथौरागढ़ आने वाले श्रद्धालुओं की किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होगी.

पहले से कम समय में पूरी होगी यात्रा: कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर इस बार एक और अच्छी बात होगी, वो यह है कि 24 दिनों में होने वाली ये यात्रा इस बार 10 से 11 दिनों में ही हो जाएगी. बीते दिनों दिल्ली में हुई बैठक में भी यात्रा का पूरा ब्लूप्रिंट पर्यटन विभाग की तरफ से विदेश मंत्रालय और तमाम बड़े विभागों को दिया गया है.

Kailash Mansarovar Yatra 2025
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ स्थित लिपुलेख दर्रे से जाया जाता है कैलाश मानसरोवर (ETV Bharat)

भारत की सीमा से 65 किमी दूर है कैलाश मानसरोवर: कैलाश मानसरोवर की ऊंचाई समुद्र तल से करीब 21,778 फुट है, जहां जाने का प्रमुख रास्ता उत्तराखंड के पिथौरागढ़ स्थित लिपुलेख दर्रे से जाता है. चीना सीमा पर बसे पिथौरागढ़ जिले के आखिर गांव यानी भारत के बार्डर से कैलाश मानसरोवर की दूरी करीब 65 किमी है. इसके अलावा सिक्किम के नाथुला दर्रे और नेपाल से भी कैलाश मानसरोवर जाया जा सकता है, लेकिन सबसे कम दूरी उत्तराखंड के रास्ते ही है.

कैलाश मानसरोवर यात्रा के बारे में कुछ अहम जानकारियां: दिल्ली से चलने वाले तीर्थयात्री परंपरागत रूट टनकपुर से होते हुए पिथौरागढ़ पहुंचेंगे. टनकपुर और पिथौरागढ़ में तीर्थयात्री एक-एक दिन रुकेंगे. इसके बाद धारचूला और गुंजी होते हुए तीर्थयात्री गाड़ियों से चीन सीमा पर पहुंचेंगे. इसके बाद चीन में एंट्री होने के बाद वहां भी तीर्थयात्री गाड़ियों से ही जाएंगे और कैलाश मानसरोवर यात्रा के दर्शन करेंगे.

कैलाश मानसरोवर यात्रा की यात्रा अमूमन जून महीने से लेकर सितंबर महीने तक चलती है. इस यात्रा में 18 साल से लेकर 70 साल की उम्र के श्रद्धालु जा सकते है. यात्रा में जाने से पहले दिल्ली में श्रद्धालुओं की पूरी ट्रेनिंग होगी, जहां उन्हें यात्रा के बारे में बताया जाता है. इसके बाद ही श्रद्धालुओं की कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होती है. कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने के लिए एक श्रद्धालु का करीब एक लाख 80 हजार से ढाई लाख रुपए तक खर्च करने पड़ते है. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से तिब्बत की सीमा तक पहुंचाने का जिम्मा जिला प्रशासन और बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के साथ-साथ दूसरी एजेंसी का होता है.

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देहरादून (किरण कांत शर्मा): भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए अच्छी खबर है. लंबे समय से बंद पड़ी कैलाश मानसरोवर की यात्रा फिर से शुरू होने जा रहा है. भारत सरकार और चीन के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा के लेकर सहमति बन गई है. अब बस तारीख का ऐलान होने की देरी है. कैलाश मानसरोवर की यात्रा उत्तराखंड के लिए कई मायनों में अहम करती है. इसीलिए उत्तराखंड सरकार भी ब्रेसबी से इस यात्रा को शुरू होने का इंतजार कर रही है.

साल 2019 में चीन से बिगड़े रिश्तों के कारण कैलाश मानसरोवर यात्रा को बंद कर दिया गया था. इसके बाद कोरोना महामारी और अन्य कारणों से कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर शुरू ही नहीं हो पाई थी. हालांकि अब करीब पांच साल बाद फिर से भारत-चीन के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघली और कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर दोनों देशों के बीच सहमति बनी.

पिथौरागढ़ प्रशासन तैयारियों में जुटा: बता दें कि कैलाश मानसरोवर यात्रा में उत्तराखंड का अहम रोल रहता है. कैलाश मानसरोवर जाने वाले भक्त उत्तराखंड से ही होकर गुजरते है और चीन सीमा में एंट्री के लिए सीमांत जिले पिथौरागढ़ से जाना पड़ता है. इसीलिए पिथौरागढ़ प्रशासन ने भी अपने स्तर पर कैलाश मानसरोवर यात्रा की तैयारियां शुरू कर दी है.

यात्रा की तारीख के एलान का इंतजार: पिथौरागढ़ की एसपी रेखा यादव बताती है कि

उनके लिए ये खुशी की बात है. भक्तों को लंबे समय बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने का मौका मिलेगा. हालांकि अभीतक भारत सरकार की तरफ से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होने की तारीख का ऐलान नहीं किया गया है.

पिथौरागढ़ एसपी रेखा यादव ने बताया कि

उन्होंने कैलाश मानसरोवर यात्रा के रास्ते का हाल ही में फीडबैक लिया था. कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग मार्च तक बर्फबारी के कारण अवरुद्ध रहेगा. बर्फबारी के कारण इलाके में किसी भी तरह की आवाजाही नहीं हो पाएगी. यात्रा मार्ग को लेकर जल्द ही पिथौरागढ़ जिला अधिकारी की तरफ से बड़ी बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें संबंधित विभागों के अधिकारी शामिल होगे. उसके बाद ही यह तय हो पाएगा कि यात्रा किस तरह से और कैसे चलेगी?

एसपी रेखा यादव ने साफ किया है कि कैलाश मानसरोवर यात्रा पर पिथौरागढ़ आने वाले श्रद्धालुओं की किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होगी.

पहले से कम समय में पूरी होगी यात्रा: कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर इस बार एक और अच्छी बात होगी, वो यह है कि 24 दिनों में होने वाली ये यात्रा इस बार 10 से 11 दिनों में ही हो जाएगी. बीते दिनों दिल्ली में हुई बैठक में भी यात्रा का पूरा ब्लूप्रिंट पर्यटन विभाग की तरफ से विदेश मंत्रालय और तमाम बड़े विभागों को दिया गया है.

Kailash Mansarovar Yatra 2025
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ स्थित लिपुलेख दर्रे से जाया जाता है कैलाश मानसरोवर (ETV Bharat)

भारत की सीमा से 65 किमी दूर है कैलाश मानसरोवर: कैलाश मानसरोवर की ऊंचाई समुद्र तल से करीब 21,778 फुट है, जहां जाने का प्रमुख रास्ता उत्तराखंड के पिथौरागढ़ स्थित लिपुलेख दर्रे से जाता है. चीना सीमा पर बसे पिथौरागढ़ जिले के आखिर गांव यानी भारत के बार्डर से कैलाश मानसरोवर की दूरी करीब 65 किमी है. इसके अलावा सिक्किम के नाथुला दर्रे और नेपाल से भी कैलाश मानसरोवर जाया जा सकता है, लेकिन सबसे कम दूरी उत्तराखंड के रास्ते ही है.

कैलाश मानसरोवर यात्रा के बारे में कुछ अहम जानकारियां: दिल्ली से चलने वाले तीर्थयात्री परंपरागत रूट टनकपुर से होते हुए पिथौरागढ़ पहुंचेंगे. टनकपुर और पिथौरागढ़ में तीर्थयात्री एक-एक दिन रुकेंगे. इसके बाद धारचूला और गुंजी होते हुए तीर्थयात्री गाड़ियों से चीन सीमा पर पहुंचेंगे. इसके बाद चीन में एंट्री होने के बाद वहां भी तीर्थयात्री गाड़ियों से ही जाएंगे और कैलाश मानसरोवर यात्रा के दर्शन करेंगे.

कैलाश मानसरोवर यात्रा की यात्रा अमूमन जून महीने से लेकर सितंबर महीने तक चलती है. इस यात्रा में 18 साल से लेकर 70 साल की उम्र के श्रद्धालु जा सकते है. यात्रा में जाने से पहले दिल्ली में श्रद्धालुओं की पूरी ट्रेनिंग होगी, जहां उन्हें यात्रा के बारे में बताया जाता है. इसके बाद ही श्रद्धालुओं की कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होती है. कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने के लिए एक श्रद्धालु का करीब एक लाख 80 हजार से ढाई लाख रुपए तक खर्च करने पड़ते है. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से तिब्बत की सीमा तक पहुंचाने का जिम्मा जिला प्रशासन और बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के साथ-साथ दूसरी एजेंसी का होता है.

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