देहरादून:उत्तराखंड में पहली बार सांपों के रेस्क्यू करने से जुड़ी विस्तृत गाइडलाइन तैयार की गयी है. इसमें कुछ ऐसे खास नियम जोड़े गए हैं, जो सांपों पर इंसानी दखल को सीमित करते हैं. दरअसल, वन्यजीवों के लिहाज से उत्तराखंड में जहरीले सांप लोगों की मौत का सबसे बड़ा कारण हैं. यही वजह है कि वन विभाग ने सांपों से जुड़ी गाइडलाइन तैयार कर ना केवल सांपों की बेवजह नुमाइश को रोकने की कोशिश की है, बल्कि इसके लिए मानक भी तय कर दिए हैं.
अक्सर सोशल मीडिया पर सांपों की नुमाइश के वीडियो आपने देखे ही होंगे. हालांकि अब उत्तराखंड में वन विभाग के नए नियमों के तहत सांपों के वीडियो को बैन कर दिया जाएगा. जी हां महकमे ने पहली बार इसको लेकर एक विस्तृत गाइडलाइन तैयार की है, जो सांपों को रेस्क्यू करने के नए नियमों से जुड़ी है.
इसके तहत बिना वन विभाग की अनुमति के कोई भी सांपों का रेस्क्यू नहीं कर सकेगा. गाइडलाइन के अनुसार वन महकमे के अलावा एनजीओ या दूसरे संबंधित लोगों को विभाग में रजिस्ट्रेशन के बाद ही सांपों को रेस्क्यू करने की अनुमति होगी. उत्तराखंड में वन विभाग द्वारा तैयार की गई गाइडलाइन के क्या हैं मुख्य बिंदु जानिए.
उत्तराखंड वन विभाग सांपों के काटने से हो रही मौतों को लेकर बेहद चिंतित है. महकमे को गाइडलाइन बनने के बाद राज्य भर से सांपों से जुड़ी सटीक जानकारी भी मिल पाएगी. इसके बाद किसी के द्वारा भी सांप को रेस्क्यू करने की पुरानी स्थिति भी खत्म होगी, जिसके कारण हमेशा लोगों को सांप के काटने का एक खतरा बना रहता है.
आंकड़ों की सही जानकारी मिलेगी:अब इस नई गाइडलाइन को तैयार किया गया है, उसके कारण भविष्य में सांपों के रेस्क्यू के सटीक आंकड़े और घटनाओं की भी सही जानकारी मिल सकेगी. उत्तराखंड में सांपों को लेकर इस गाइडलाइन को बनाए जाने की जरूरत इसलिए भी महसूस की गई, क्योंकि प्रदेश में वाइल्डलाइफ के लिहाज से सबसे ज्यादा मौत सांप के काटने से ही हो रही हैं. वन विभाग इन आंकड़ों को कम करने के प्रयास में जुटा हुआ है. राज्य में विभाग के कर्मचारियों द्वारा सांपों को रेस्क्यू करने की तो सटीक जानकारी मिल रही थी, लेकिन निजी व्यक्तियों द्वारा सांपों के रेस्क्यू का आंकड़ा मिलना मुश्किल हो रहा था.