देहरादून (रोहित सोनी): उत्तराखंड चारधाम यात्रा इस बार वो मुकाम हासिल नहीं कर पाई, जो मुकाम पिछले कुछ सालों से लगातार हासिल करती रही है. दरअसल, कोरोना काल के बाद से ही उत्तराखंड चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. लेकिन इस साल चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या पिछले साल का रिकॉर्ड तोड़ने में कामयाब नहीं हो पाई.
2023 का रिकॉर्ड नहीं टूटा: इसके पीछे तमाम वजहें हैं. इन वजहों की अब सरकार भरपाई करने की कवायद में जुट गई है. यानी राज्य सरकार अब शीतकालीन चारधाम यात्रा के जरिए अपने रिकॉर्ड को पूरा करना चाह रही है. इसके साथ ही आगामी साल 2025 में उत्तराखंड चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हो, इसकी तैयारियां विभागीय स्तर पर तेज हो गई हैं. आखिर कैसी रही साल 2024 की चारधाम यात्रा, रिकॉर्ड न बन पाने के पीछे क्या रही है वजह? पेश है हमारी खास रिपोर्ट.
चारधाम यात्रा 2024 में 2023 के मुकाबले कम श्रद्धालु आए (PHOTO- ETV BHARAT) सरकार ने की थी विशेष व्यवस्था: उत्तराखंड चारधाम की यात्रा के दौरान देश के कोने-कोने से श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं. पिछले कुछ सालों से चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए ये उम्मीद जताई जा रही थी कि 2024 की चारधाम यात्रा भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड दर्ज करेगी. साथ ही सरकार और पर्यटन विभाग को ये उम्मीद थी कि इस साल यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं का आंकड़ा 80 लाख तक पहुंच जाएगा. लेकिन ऐसा होना तो दूर साल 2023 में चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं का रिकॉर्ड भी नहीं टूट पाया. जबकि, सरकार की ओर से इस साल यात्रा के दौरान पिछले सालों की तुलना में काफी अधिक व्यवस्थाएं की गई थी.
भगवान केदारनाथ की चल विग्रह मूर्ति (PHOTO- ETV BHARAT) 10 मई से शुरू हुई थी चारधाम यात्रा: उत्तराखंड चारधाम इस साल मई महीने से शुरू हुई थी. इस साल 10 मई 2024 को अक्षय तृतीया के दिन तीन धामों, गंगोत्री, यमुनोत्री और बाबा केदारनाथ धाम के कपाट खुले थे. इसके साथ ही उत्तराखंड चारधाम की यात्रा भी शुरू हो गई थी. 12 मई 2024 को बदरीनाथ धाम और 25 मई को हेमकुंड साहिब के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुले थे. यात्रा के शुरुआती 21 दिन में ही धामों के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के आंकड़े ने नया कीर्तिमान दर्ज कर दिया था. मात्र 21 दिन में ही 1,403,376 श्रद्धालु चारधाम के दर्शन कर चुके थे. धामों के कपाट खुलने के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी अधिक उमड़ी की, मानो इस यात्रा सीजन के दौरान श्रद्धालुओं का आंकड़ा 80 लाख का आंकड़ा पार कर लेगा.
केदारनाथ धाम आए तीर्थयात्रियों की संख्या (ETV Bharat Graphics) शुरुआत में श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब: चारधाम यात्रा के शुरुआती दौर में ही पिछले सालों की तरह ही रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था शुरू कर दी गई थी. लेकिन ये व्यवस्था अनिवार्य नहीं थी. धामों में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या जब तेजी से बढ़ने लगी, तो चारधाम यात्रा के लिए की गई व्यवस्थाएं पटरी से उतर गईं, यात्रा मार्गों पर वाहनों का लंबा जाम लगने लगा. जिसके चलते सरकार ने चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रजिस्ट्रेशन को पूर्ण रूप से अनिवार्य कर दिया. साथ ही बिना रजिस्ट्रेशन चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के साथ ही टूर ऑपरेटरों पर भी सख्ती करनी शुरू दी. बावजूद इसके धामों में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ कम नहीं हुई, बल्कि बढ़ती चली गई.
बदरीनाथ धाम पहुंचे तीर्थयात्रियों की संख्या (ETV Bharat Graphics) भीड़ के कारण ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन बंद करना पड़ा: चारधामों में लगती अत्यधिक भीड़ के चलते उत्तराखंड सरकार को ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को बंद करना पड़ा. तेजी से बढ़ रही श्रद्धालुओं की भीड़ को कंट्रोल करने के लिए ऋषिकेश और हरिद्वार में बने ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन काउंटर को सरकार ने 15 मई से 31 मई 2024 तक के लिए बंद कर दिया था. ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया बंद होने के बाद हरिद्वार और ऋषिकेश में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ एकत्र हो गई और बैकलॉग करीब 30 हज़ार के पार चला गया. हालांकि, एक जून से ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया तो शुरू की गई, लेकिन उसमें भी रोजाना हर धाम के लिए 1500 ही रजिस्ट्रेशन करने का निर्णय लिया गया. लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या इतनी अधिक थी कि कुछ ही घंटे में ही धामों के लिए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन का स्टाल फुल हो जा रहा था.
गंगोत्री धाम पहुंचे तीर्थयात्रियों की संख्या (ETV Bharat Graphics) सरकार को करनी पड़ी अपील: हरिद्वार और ऋषिकेश में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ की वजह से श्रद्धालुओं को ही काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. घंटों लाइन में खड़े होने के बाद भी श्रद्धालुओं का ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा था. जिसके चलते हरिद्वार और ऋषिकेश में श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ एकत्र हो गई थी. साथ ही चारधाम यात्रा मार्गों पर भी वाहनों की लंबी-लंबी कतार लगने लगी, जिससे श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. चारधाम यात्रा पर उमड़ी श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ के चलते सरकार की व्यवस्थाएं भी चरमरा गईं. उत्तराखंड सरकार को देश भर से आने वाले श्रद्धालुओं से अपील करनी पड़ी कि अभी चारधाम यात्रा की शुरुआत हुई है. यात्रा अगले 6 महीने तक चलेगी. ऐसे में श्रद्धालु आराम से चारधाम की यात्रा पर आ सकते हैं, जल्दबाजी नहीं करें.
इस साल इतने यात्री पहुंचे हेमकुंड साहिब (ETV Bharat Graphics) बदरीनाथ रूट पर तीन दिन फंसे रहे श्रद्धालु: उत्तराखंड चारधाम यात्रा पर तेजी से बढ़ रहे श्रद्धालुओं की संख्या धीरे-धीरे सामान्य होने लगी. इसी बीच 6 जुलाई को बदरीनाथ यात्रा मार्ग पर हुए भूस्खलन के चलते बदरीनाथ धाम की यात्रा पर आए श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. दरअसल, भूस्खलन होने के चलते तीन दिन तक बदरीनाथ यात्रा मार्ग बाधित रहा. इसके चलते श्रद्धालुओं को करीब 84 घंटे जाम में फंसना पड़ा. हालांकि, प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं के लिए तमाम व्यवस्थाएं की गईं. धीरे-धीरे यात्रियों की संख्या में और अधिक कमी आने लगी. जिसकी एक मुख्य वजह यह भी रही कि मानसून सीजन ने दस्तक दे दी थी.
इन दिनों शीतकालीन चारधाम यात्रा चल रही है (PHOTO- ETV BHARAT) केदार घाटी में भी आई आपदा: मानसून सीजन के दौरान चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बेहद कम हो जाती है. लेकिन इस यात्रा सीजन में मानसून सीजन के दौरान भी चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं का जोश काम नहीं हुआ. 31 जुलाई को केदार घाटी में हुई भारी बारिश के चलते केदारनाथ यात्रा मार्ग काफी अधिक क्षतिग्रस्त हो गया. जिसके चलते करीब 1 महीने तक केदारनाथ धाम की यात्रा बाधित रही. आपदा के चलते केदारनाथ धाम यात्रा मार्गों पर फंसे करीब 18 हज़ार यात्रियों और स्थानीय निवासियों को सुरक्षित निकालने के लिए ऑपरेशन चलाना पड़ा. हालांकि, 15 से 20 दिन बाद ही प्रशासन ने केदारनाथ यात्रा को वैकल्पिक मार्ग के जरिए शुरू कर दिया था. लेकिन इस दौरान धाम में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी घट गई थी.
पुनर्निर्माण कार्यों के बाद अगले साल बदले-बदले दिखेंगे ये धाम (PHOTO- ETV BHARAT) मानसून के बाद यात्रा ने पकड़ी रफ्तार: उत्तराखंड में इस सीजन मानसून का असर सितंबर महीने के अंत तक चला गया. जिसके चलते भी श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से नहीं बढ़ पाई. लेकिन, अक्टूबर महीने की शुरुआत से ही चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु की संख्या ने फिर रफ्तार पकड़ी. तब तक उत्तराखंड चारधाम के कपाट बंद होने की तिथि भी बेहद नजदीक आ गई थी. मानसून सीजन के बाद एक महीने तक चली यात्रा के बाद 2 नवंबर को गंगोत्री धाम और फिर 3 नवंबर को यमुनोत्री और बाबा केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए. 17 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद हो गए. कुल मिलाकर इस साल उत्तराखंड चारधाम की यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की संख्या वो ऐतिहासिक रिकॉर्ड नहीं बना पाई, जिसकी उम्मीद सरकार और उत्तराखंडवासियों को थी.
आपदा और पाबंदी से अयोध्या को डायवर्ट हुए तीर्थयात्री: उत्तराखंड चारधाम यात्रा पर श्रद्धालुओं की संख्या घटने के पीछे तमाम वजहों के साथ ही अयोध्या स्थित भगवान रामलाल मंदिर को भी एक वजह माना जा रहा है. 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में भगवान रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की गई थी. जिसके बाद से ही लोगों में भगवान रामलाल के दर्शन का बड़ा उत्साह देखा जा रहा था. ऐसे में एक बड़ी वजह ये भी मानी जा रही है. शुरुआती दौर में तो चारधाम यात्रा पर श्रद्धालुओं का बड़ा हुजूम उमड़ा, लेकिन पाबंदियों के बाद श्रद्धालु अयोध्या रामलला दर्शन को डायवर्ट हो गए.
2024 में इतने श्रद्धालु पहुंचे चारधाम: दरअसल, चारों धामों के कपाट खुलने के बाद और धामों के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने तक कुल 4,617,445 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए. राज्य आपातकालीन परिचालक केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, बदरीनाथ धाम का 1,435,341 श्रद्धालुओं, केदारनाथ धाम का 1,652,076 श्रद्धालुओं, गंगोत्री धाम का 815,273 श्रद्धालुओं और यमुनोत्री धाम का 714,755 श्रद्धालुओं ने दर्शन किया. हेमकुंड साहिब का 183,722 श्रद्धालुओं ने दर्शन किया. यानी साल 2024 में चारों धाम और हेमकुंड साहिब का कुल 48,11,279 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए. साल 2023 में चारधाम यात्रा के दौरान 56.13 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे, जिसने एक नया ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया था.
अब शीतकालीन चारधाम यात्रा पर भी जोर: भले ही उत्तराखंड चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं ने इस सीजन ऐतिहासिक रिकॉर्ड ना बनाया हो, लेकिन अब उत्तराखंड सरकार शीतकालीन चारधाम यात्रा पर जोर देते हुए प्रदेश में 12 महीने चारधाम यात्रा संचालित करना चाहती है. ताकि शीतकाल के दौरान भी श्रद्धालु चारों धामों के प्रवास स्थल पर भगवान के दर्शन कर सकें. ऐसे में राज्य सरकार शीतकालीन चारधाम यात्रा को तेजी से बढ़ावा दे रही है. श्रद्धालुओं को लुभाने के लिए जीएमवीएन के गेस्ट हाउस के किराए में 25 फ़ीसदी छूट भी दे रही है. इससे न सिर्फ श्रद्धालुओं को शीतकाल के दौरान चारधाम के दर्शन करने का सौभाग्य मिलेगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार के नए साधन भी मिल सकेंगे.
पर्यटन मंत्री ने बताई ये वजह: पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि भारी बारिश के चलते सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई थी. ऐसे में उनको ठीक करने में समय लगता है. लेकिन फिर भी 2024 में चारधाम यात्रा ठीक रही है. सीमित समय में भी अधिक यात्री आए. महाराज ने श्रद्धालुओं को शीतकालीन यात्रा के लिए भी आमंत्रित किया. उन्होंने कहा कि अयोध्या में रामलला के साथ ही चुनाव भी कम तीर्थयात्रियों के आने की एक वजह रही है. इसके अलावा और भी कई कारण हो सकते हैं, जिनका अध्ययन के बाद पता चलेगा.
आपदा प्रबंधन को सीएम के निर्देश: आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने कहा कि सीएम धामी ने निर्देश दिए हैं कि चारधाम यात्रा बेहतर ढंग से संचालित हो, इसके लिए सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चलती रहें. हालांकि, आपदा विभाग का काम है कि आपदा के दौरान त्वरित राहत पहुंचायी जाए. सड़कें बंद हैं तो उनको खोला जाए. अगर सड़क खोलने में समय लग रहा है, तो यात्रियों के लिए खाने- पीने की व्यवस्था करना उनका काम है. अगर लंबे समय तक रास्ता बंद है, तो यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था करनी है. सुमन ने कहा कि चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या कम इस वजह से रही, क्योंकि यात्रा कुछ समय के लिए बाधित रही. इसके अलावा चारधाम यात्रा के शुरुआती दौर में अत्यधिक भीड़ होना भी एक कारण माना जा रहा है.
पर्यावरण विशेषज्ञों की चिंता पर ध्यान देने की जरूरत: वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र सेठी ने कहा कि उत्तराखंड चारधाम यात्रा की कल्पना को साकार करने के लिए पर्यावरण विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों की चिताओं पर ध्यान देना होगा. चारधाम यात्रा आदिकाल से ही चल रही है. ऐसे में चारधाम में आने वाले श्रद्धालु श्रद्धा भाव से आते हैं. हालांकि, उत्तराखंड राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते आपदा जैसे हालात बनते रहते हैं. ऐसे में दैवीय आपदा के आगे सरकार भी कुछ नहीं कर सकती है.
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