अहमदाबाद: गुजरात हाइकोर्ट ने राजकोट टीआरपी गेम जोन अग्निकांड पर सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि, फैक्ट फाइंडिंग समिति की रिपोर्ट आने के बाद अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के लिए विभागीय जांच का आदेश दिया जाएगा. मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति प्रणव त्रिवेदी की खंडपीठ 26 मई को दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. सीजे ने राज्य सरकार से सोमवार तक शहरी विकास एवं शहरी आवास विभाग के प्रधान सचिव के अधीन एक फैक्ट फाइडिंग समिति गठित करने को कहा. कोर्ट ने राज्य सरकार से 4 जुलाई तक रिपोर्ट सौंपने को कहा है. हाईकोर्ट ने कहा कि, एक फैक्ट फाइडिंग रिपोर्ट दी जाए, जिसमें किसने लापरवाही की, किसकी क्या भूमिका रही, कौन जिम्मेदारी नहीं निभा रहा था, इन सभी प्रश्नों के जवाब शामिल होने चाहिए. कोर्ट ने कहा, 'ऐसी घटनाओं में जिम्मेदार अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा.'
साथ ही, पीठ ने राज्य शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को राज्य में प्री-स्कूलों सहित सभी श्रेणियों के स्कूलों में अग्नि सुरक्षा निरीक्षण करने के लिए टीमें गठित करने और एक महीने में कार्य पूरा करने को भी कहा. सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता अमित पांचाल, जिनके अग्नि सुरक्षा के बारे में नागरिक आवेदन को इस स्वत: संज्ञान जनहित याचिका के साथ जोड़ दिया गया है, ने पीठ को सूचित किया कि राजकोट के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, जिला कलेक्टर, राजकोट के नगर निगम आयुक्त और जिला विकास अधिकारी ने टीआरपी गेम जोन का उद्घाटन समारोह में भाग लिया था.
महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने पीठ को सूचित किया कि राज्य सरकार ने पहले ही एक विशेष जांच दल नियुक्त कर दिया है और उसकी जांच का तरीका वही है जो पीठ उम्मीद कर रही थी. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सरकार केवल निचले स्तर के अधिकारियों को पकड़ रही है और बड़े पैमाने पर बड़ी मछलियों को छोड़ रही है. कोर्ट ने कहा, 'हम एसआईटी रिपोर्ट में शामिल नहीं हैं. एक अनुशासनात्मक जांच और तथ्यान्वेषी फैक्ट फाइंडिंग) जांच होनी चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि गेम जोन के निर्माण शुरू होने से लेकर इसके पूरे कब्जा होने तक गलती किसकी थी. सीजे अग्रवाल ने कहा, टशीर्ष अधिकारियों ने गेम जोन में कार्यक्रमों में भाग लिया था और आपने केवल निचले स्तर के अधिकारियों को निलंबित किया... शीर्ष अधिकारियों को जाना होगा.'
हाई कोर्ट ने आज कहा, 'मोरबी समेत वडोदरा के हरणी में ऐसी घटनाएं होती रहती हैं.' सरकार ऐसे मामलों में केवल ठेकेदारों को ही दोषी क्यों ठहराती है? नगर निगम आयुक्त सो रहे हैं इसलिए उनकी लापरवाही के कारण ऐसी घटनाएं होती हैं. अब किसी भी नगर निगम आयुक्त को बख्शा नहीं जाएगा. न्यायाधीश ने कहा, राजकोट अग्निकांड आपको छोटा लगता है, अब आप अधिकारियों को नहीं बचा सकते. कोर्ट ने हलफनामा दाखिल करने का आदेश देते हुए कहा, 'क्या आपको शर्म नहीं आती? हलफनामा दाखिल करें.' हाई कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें दावा किया गया था कि राज्य में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अग्नि सुरक्षा अधिनियम का पालन नहीं किया जा रहा है. याचिका में यह भी दावा किया गया कि घटना की जांच में नर्म रवैया अपनाया गया है.
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