रांचीः साइबर अपराध के लिए बदनाम झारखंड में अब साइबर अपराध को अंजाम दिलवाने के लिए कबूतरबाजी शुरू हो गई है. झारखंड के होनहार छात्रों को विदेश में बेहतरीन नौकरी का झांसा देकर उन्हें अपने जाल में फंसा कर विदेशी उनसे साइबर अपराध को अंजाम दिलवा रहे हैं. मामले में दो भारतीय एजेंटों की गिरफ्तारी के बाद सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच साइबर अपराध के लिए हो रही कबूतरबाजी के तह तक पहुचने में लग गई है.
जांच में जुटी साइबर क्राइम ब्रांच
झारखंड से ही देश के कई शहरों से दूसरे देशों में साइबर अपराध को अंजाम दिलवाने के लिए मानव तस्करी करने वाले गिरोह में कौन-कौन शामिल हैं, इसकी जांच झारखंड सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच ने शुरू कर दी है. बीते बुधवार को सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच ने झारखंड के गिरिडीह और कोडरमा में छापेमारी कर गिरोह के दो एजेंट्स को गिरफ्तार किया था. सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच से मिली जानकारी के अनुसार साइबर अपराध के लिए कबूतरबाजी करवाने वाले गिरोह का सरगना उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. वर्तमान में वह झारखंड, यूपी, बिहार में फैले गिरोह के सदस्यों को कंबोडिया और मलेशिया से ऑपरेट कर रहा है.
एक युवक को फंसाने के लिए 50 हजार का कमीशन
जेल भेजने से पहले हुई पूछताछ में आरोपी वसीम खान और यमुना कुमार ने साइबर क्राइम ब्रांच की टीम के समक्ष खुलासा किया है कि एक बेरोजगार युवा को कंबोडिया और थाइलैंड जैसे देशों में भेजने के एवज में सरगना उन्हें 50 हजार से एक लाख रुपए कमीशन देता है. वे लोग अब तक बिहार और झारखंड के एक दर्जन से अधिक युवाओं को कॉल सेंटर में नौकरी का झांसा देकर विदेश भेज चुके हैं. आरोपियों ने यह भी बताया कि विदेश पहुंचते ही युवाओं का पासपोर्ट और वीजा को जब्त कर लिया जाता है. सभी को साइबर क्राइम करने का तरीका सिखाया जाता है, विरोध करने वाले युवाओं को प्रताड़ित भी किया जाता है. आरोपियों ने साइबर क्राइम ब्रांच को यह भी जानकारी दी कि झारखंड और बिहार में गिरोह के आधा दर्जन से ज्यादा सदस्य हैं.
नौकरी के लिए सोशल मीडिया में विज्ञापन निकाल फंसाते हैं बेरोजगारों को