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उल्फा (आई) ने बंदी जासूस मानस बोरगोहेन की मौत की सजा को किया रद्द

उल्फा (आई) ने मानस बोर्गोहेन को मौत की सजा नहीं देने का फैसला किया है. यह निर्णय आज सुबह प्रतिबंधित संगठनों के संगठनात्मक निचले सदन में बोर्गोहेन के खिलाफ मुकदमे के अंत में लिया गया.

ULFA(I) cancels death sentence of captive spy Manas Borgohain
उल्फा (आई) ने बंदी जासूस मानस बोरगोहेन की मौत की सजा को किया रद्द

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 19, 2024, 3:34 PM IST

गुवाहाटी : म्यांमार में उल्फा (आई) के एक शिविर में बंधक बनाए गए मानस बोरगोहेन को आखिरकार थोड़ी राहत मिली है. विद्रोही संगठन ने बोरगोहेन की मौत की सजा को रद्द करने का फैसला किया है, जिसे पहले संगठन के कैडर के भेष में संगठन के शिविरों में जासूसी करने के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी.

सोमवार सुबह एक बयान जारी कर उल्फा (आई) ने मानस बोर्गोहेन को मौत की सजा नहीं देने के फैसले का खुलासा किया है. यह निर्णय आज सुबह प्रतिबंधित संगठनों के संगठनात्मक निचले सदन में बोर्गोहेन के खिलाफ मुकदमे के अंत में लिया गया. मानस बोरगोहेन को 21 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था. उल्फा (आई) द्वारा भेजे गए बयान में कहा गया है कि मानस पांच साल तक संगठन की सदस्यता के लिए अयोग्य रहेगा. यानी मानस पांच साल तक उल्फा (आई) का सदस्य नहीं रहेगा. मानस को बिना सदस्य पद के उल्फा (आई) खेमे में रहना होगा.

उल्फा (आई) ने मानस बोरगोहेन का एक और वीडियो भी मीडिया को भेजा है. वीडियो में मानस ने एक बार फिर असम पुलिस पर उन्हें उल्फा (आई) कैंप में भेजने का आरोप लगाया है. उल्फा (आई) के बयान में दावा किया गया कि संगठन की जांच के दौरान सबूतों के साथ गिरफ्तार किए गए मानस बोरगोहेन ने जांच अधिकारी के सामने साजिश योजना के विवरण का खुलासा किया था और खुले तौर पर कई गंभीर अपराधों को कबूल किया था.

उल्फा (आई) ने एक बार फिर दावा किया है कि 2021 से असम पुलिस के स्पेशल सेल का एक अंडरकवर अधिकारी मानस, उल्फा (आई) को नष्ट करने की योजना में शामिल था, जिसे पुलिस महानिदेशक जीपी सहित कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने तैयार किया था. इसने यह भी दोहराया कि पुलिस के विशेष सेल के जोनल अधिकारी कुख्यात मानश चालिहा ने पिछले साल जून से संगठन में शामिल होने से पहले तक बोरगोहेन और कई अन्य युवाओं को ऑपरेशन के लिए प्रशिक्षित किया था.

मुकदमा 13 फरवरी को उल्फा (आई) के म्यांमार शिविर में गैरकानूनी संगठन की निचली परिषद के अध्यक्ष की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जूरी सदस्य की उपस्थिति में आयोजित किया गया था. इस मुकदमे की प्रक्रिया में, जासूसी और गुप्त साजिश में शामिल अपराधों को दोषी ठहराया गया और मौत की सजा सुनाई गई क्योंकि अंतिम सजा मानस बोरगोहेन को दी गई थी.

हालांकि, उल्फा (आई) प्रमुख परेश बरुआ ने मानवीय कारणों से और विभिन्न मीडिया में परिलक्षित असम के लोगों के विचारों का सम्मान करते हुए, संवैधानिक विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए मौत की सजा को उलट दिया.

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