नई दिल्ली :विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने राजस्थान के तीन विश्वविद्यालयों को आगामी पांच साल तक पीएचडी पाठ्यक्रम शुरू करने पर रोक लगा दी है. अधिकारियों के अनुसार, इन विश्वविद्यालयों में डिग्री की शुचिता से समझौता किया गया है.
जिन तीन विश्वविद्यालय पर रोक लगाई गई है, इनमें ओपीजेएस विश्वविद्यालय चूरू, सनराइज विश्वविद्यालय, अलवर और सिंघानिया विश्वविद्यालय, झुंझुनू शामिल है.
इस संबंध में यूजीसी सचिव मनीष जोशी ने कहा, "यूजीसी की एक स्थायी समिति ने पाया है कि विश्वविद्यालयों ने यूजीसी के पीएचडी विनियमों और पीएचडी डिग्री प्रदान करने के लिए शैक्षणिक मानदंडों के प्रावधानों का पालन नहीं किया है." उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को डिग्री की अखंडता से समझौता करते हुए पाया गया है और उन्हें अगले पांच साल तक नए पीएचडी छात्रों को दाखिला देने से रोक दिया गया है.
उन्होंने कहा, "संभावित छात्रों और अभिभावकों को सलाह दी जाती है कि वे इन विश्वविद्यालयों द्वारा पेश किए जाने वाले पीएचडी कार्यक्रम में प्रवेश न लें क्योंकि उनकी डिग्री को उच्च शिक्षा और रोजगार के उद्देश्य से मान्यता प्राप्त या वैध नहीं माना जाएगा."
बता दें कि इससे पहले यूजीसी-नेट की 15 जनवरी को प्रस्तावित परीक्षा मकर सक्रांति और पोंगल की वजह से स्थगित कर दी गई थी. पीएचडी कार्यक्रमों में प्रवेश, जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) प्रदान करने और सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति के लिए 85 विषयों में कंप्यूटर आधारित परीक्षा तीन जनवरी से 16 जनवरी तक आयोजित की जा रही थी.
हालांकि एनटीए द्वारा घोषित कार्यक्रम के तहत 15 जनवरी को जनसंचार और पत्रकारिता, संस्कृत, नेपाली, कानून, जापानी, महिला अध्ययन, मलयालम, उर्दू, कोंकणी, अपराध विज्ञान, लोक साहित्य, इलेक्ट्रॉनिक विज्ञान, पर्यावरण विज्ञान और भारतीय ज्ञान प्रणाली सहित 17 विषयों की परीक्षा होनी थी. शिक्षा मंत्रालय को पिछले साल भी संभावित गड़बड़ी की जानकारी मिलने के बाद कि परीक्षा की सुचिता से समझौता रोकने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग -राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (यूजीसी-नेट)पिछले साल स्थगित दी थी.
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