जोधपुर.अक्षय तृतीया के दिन शुभ कामों के लिए अबूझ मुहुर्त माना जाता है. राजस्थान में सबसे उपयुक्त विवाह मुहुर्त अक्षय तृतीया के दिन को ही माना जाता है. राजस्थान में इस दिन हजारों की संख्या में विवाह होते हैं, लेकिन इस बार दस मई को अक्षय तृतीया पर विवाह का महुर्त नहीं है. इसके चलते बाजार से शादी के सीजन की रौनक नदारद है. पंडितों के अनुसार ग्रहों के प्रतिकूलता के कारण बरसों बाद इस तरह का संयोग आया है, जिसमें अक्षय तृतीया पर विवाह का कोई शुभ महुर्त नहीं है. ज्योतिषाचार्य पंडित राजेश दवे के अनुसार इस बार शुक्र ग्रह अस्त होने से विवाह का महुर्त नहीं है. पंचाग में विवाह महुर्त 5 जुलाई के बाद ही है.
पंडित दवे ने बताया कि इस साल वैशाख माह में अक्षय तृतीया पर महुर्त नहीं है. इसका कारण गुरु और शुक्र को मांगलिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना गया है, लेकिन इस वर्ष 28 अप्रैल से 5 जुलाई तक दोनों ग्रह अस्त हैं. ऐसे में बिना गुरु व शुक्र के मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं. माना जाता है कि गुरु और शुक्र के अस्त होने से शुभ कार्यों में इनका प्रभाव नहीं होता है. इससे जीवन में उन्नती व समृद्धि प्रदान नहीं होती है. यही कारण है कि इस बार अक्षय तृतीया पर विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्य नहीं होंगे. एक अनुमान के मुताबिक राजस्थान में अक्षय तृतीया पर पचास से साठ हजार विवाह होते हैं.