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सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग रेप विक्टिम की मेडिकल जांच का दिया आदेश - 28 weeks pregnancy case - 28 WEEKS PREGNANCY CASE

Termination of 28 weeks pregnancy case : सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग रेप विक्टिम की मेडिकल जांच का आदेश दिया है. वह 28 सप्ताह की गर्भवती है. कोर्ट ने अस्पताल को मेडिकल बोर्ड बनाने के भी निर्देश दिए हैं. पढ़ें पूरी खबर.

Termination of 28 weeks pregnancy
सुप्रीम कोर्ट

By Sumit Saxena

Published : Apr 19, 2024, 6:52 PM IST

नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को गर्भपात की मांग करने वाली 28 सप्ताह की गर्भवती 14 वर्षीय रेप विक्टिम की मेडिकल जांच का आदेश दिया. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता की जांच कल सायन अस्पताल में गठित एक मेडिकल बोर्ड द्वारा की जानी चाहिए और अस्पताल के अधीक्षक इस उद्देश्य के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन करेंगे.

शीर्ष अदालत ने दिन की कार्यवाही समाप्त होने के बाद मामले की सुनवाई की. पीठ ने महाराष्ट्र सरकार के स्थायी वकील से याचिकाकर्ता की मां और उसकी पीड़िता बेटी के लिए निवास स्थान से अस्पताल तक वाहन में ले जाने की व्यवस्था करने को कहा.

सीजेआई ने कहा कि रिपोर्ट की प्रति प्रस्तुत की जाए...जो इस अदालत के रिकॉर्ड पर रखी जाएगी...मेडिकल बोर्ड इस पर भी राय देगा कि क्या नाबालिग के जीवन को किसी भी खतरे के बिना इस चरण में गर्भावस्था को समाप्त किया जा सकता है. सोमवार को बोर्ड पर पहला आइटम सूचीबद्ध करें.'

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने अदालत के समक्ष केंद्र का प्रतिनिधित्व किया. सीजेआई ने कहा कि 'बहुत कठिन मामला...' पीड़िता की मां युवा महिला है जिसकी उम्र 34 साल है.

भाटी ने अदालत को सूचित किया कि मेडिकल बोर्ड इस तर्क पर गया है कि कोई जन्मजात असामान्यता नहीं है और गर्भावस्था 28 सप्ताह की एडवांस्ड स्टेज में है. बताया कि बोर्ड ने कहा कि गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए कोई बाध्यकारी मामला नहीं बनता है.

भाटी ने कहा कि 'मुझे लगता है कि उन्हें लड़की के नजरिए से पता लगाने की जरूरत है...और मुझे लगता है कि इसके लिए अनुच्छेद 142 के तहत आदेश की आवश्यकता होगी...' भाटी ने सुझाव दिया कि पीड़िता की भी जांच की जानी चाहिए - क्या इसे जारी रखने या समाप्त करने से उसकी शारीरिक और मानसिक स्थिति पर असर पड़ेगा.

ये है मामला :बॉम्बे हाई कोर्ट ने 4 अप्रैल, 2024 को याचिकाकर्ता महिला की उस अपील को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने 14 वर्षीय बेटी की गर्भावस्था को मेडिकल रूप से समाप्त करने की मांग की थी. एफआईआर में यह आरोप लगाया गया था कि नाबालिग का यौन उत्पीड़न किया गया था. मामला धारा 376 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट ने एक अस्पताल में गठित मेडिकल बोर्ड की राय पर भरोसा किया. 'ऐसा प्रतीत होता है कि दो मेडिकल रिपोर्टें थीं. याचिकाकर्ता की शिकायत यह है कि दो रिपोर्टों में से दूसरी... याचिकाकर्ता की बेटी की जांच के बिना तैयार की गई थी...रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री से एक महत्वपूर्ण बात जो इस अदालत के सामने प्रथम दृष्टया उभर कर सामने आई है, वह यह है कि मेडिकल रिपोर्ट इसमें नाबालिग की शारीरिक और मानसिक स्थिति का मूल्यांकन शामिल नहीं है, विशेष रूप से गर्भावस्था से पहले की पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए, जिसमें कथित यौन उत्पीड़न भी शामिल है.'

शीर्ष अदालत ने कहा कि यह जरूरी होगा कि उसे बताया जाए कि क्या पूरी अवधि तक गर्भधारण करने से नाबालिग के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा. बेंच ने कहा कि 'हमारा विचार है कि याचिकाकर्ता की बेटी की कल सायन अस्पताल में गठित होने वाले मेडिकल बोर्ड द्वारा नए सिरे से जांच की जानी चाहिए.

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