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दिल्ली हाईकोर्ट से बिभव कुमार को झटका, गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज - HC dismisses Bibhav Kumar plea - HC DISMISSES BIBHAV KUMAR PLEA

HC dismisses Bibhav Kumar plea: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी बिभव कुमार की याचिका खारिज कर दी, जिसमें सीएम आवास पर AAP सांसद स्वाति मालीवाल पर कथित हमले के सिलसिले में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी.

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न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं बिभव कुमार. (Etv Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 2, 2024, 4:09 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के करीबी सहयोगी बिभव कुमार की याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया. बिभव कुमार ने आम आदमी पार्टी (आप) सांसद स्वाति मालीवाल पर मुख्यमंत्री आवास पर कथित हमले के सिलसिले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी. न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने कहा, “याचिका खारिज की जाती है.” बिभव वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं.

कोर्ट ने 8 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसके पहले 1 जुलाई को जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की बेंच ने बिभव कुमार की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को सुनवाई योग्य मानते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस कर जवाब तलब किया था. आरोप हैं कि बिभव कुमार ने 13 मई को केजरीवाल के सरकारी आवास पर मालीवाल पर हमला किया था. उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया गया था.

गिरफ्तारी को बताया था अवैध:बिभव के वकील ने उनकी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए दलील दी थी कि प्राथमिकी दर्ज करने में देरी हुई और उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया गया. जबकि, इसी दिन बिभव ने स्वेच्छा से जांच में शामिल होने के लिए पुलिस को आवेदन दिया था." कुमार ने अपनी याचिका में अपनी गिरफ्तारी को अवैध और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए (पुलिस अधिकारी के समक्ष पेश होने का नोटिस) के प्रावधानों का घोर उल्लंघन और कानून के आदेश के खिलाफ घोषित करने का निर्देश देने की मांग की थी.

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16 मई को दर्ज की गई थी प्राथमिकी:दिल्ली पुलिस ने याचिका का विरोध किया था. बिभव के खिलाफ 16 मई को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के विभिन्न प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से उस पर आपराधिक धमकी, हमला या आपराधिक बल का प्रयोग और गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास शामिल है. उनकी जमानत याचिका पहले ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी और अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

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