नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को होने वाली नीट-पीजी परीक्षा को स्थगित करने की मांग से संबंधित याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी. इसमें दावा किया गया था कि अभ्यर्थियों को ऐसे शहर आवंटित किए गए हैं, जहां पहुंचना उनके लिए बेहद असुविधाजनक है. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि वह पांच छात्रों के लिए दो लाख छात्रों के करियर को खतरे में नहीं डाल सकते.
बेंच ने कहा, "हम ऐसी परीक्षा को कैसे स्थगित कर सकते हैं. श्री संजय हेगड़े, आजकल लोग बस परीक्षा स्थगित करने के लिए कहते हैं. यह एक आदर्श दुनिया नहीं है. हम अकादमिक विशेषज्ञ नहीं हैं." याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (स्नातकोत्तर) (नीट-पीजी) को पुनर्निर्धारित करने की आवश्यकता है, क्योंकि एक परीक्षा सुबह और एक दोपहर बाद होनी है.
याचिका में कहा गया कि अनेक अभ्यर्थियों को ऐसे शहर आवंटित किए गए हैं, जहां पहुंचना उनके लिए बेहद असुविधाजनक है. इसमें कहा गया कि परीक्षा संबंधी शहर 31 जुलाई को आवंटित किए गए थे और विशिष्ट केंद्र आठ अगस्त को घोषित किए जाएंगे. यह परीक्षा पहले 23 जून को आयोजित होनी थी. कुछ अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे एहतियाती उपाय के रूप में स्थगित कर दिया था.
सुनवाई के दौरान, हेगड़े ने कहा कि चार याचिकाकर्ता हैं जो अदालत के समक्ष हैं लेकिन उन्हें इस मामले के संबंध में लगभग 50 हजार लोगों से फोन कॉल आए हैं.सीजेआई ने कहा, "पांच याचिकाकर्ताओं के लिए, हमें पूरी परीक्षा पुनर्निर्धारित करनी होगी?" हेगड़े ने जवाब दिया कि दो परीक्षाएं हैं और दो पेपर होंगे, सामान्यीकरण होगा, और सामान्यीकरण डकवर्थ लुईस प्रणाली की तरह है, यह स्वाभाविक रूप से समस्याग्रस्त हो जाता है और इस परिदृश्य में प्रत्येक अंक मायने रखता है."
हेगड़े ने कहा, "मुझे परीक्षाओं के परसों आयोजित होने पर कोई आपत्ति नहीं है. सीजेआई ने कहा कि अदालत परीक्षा को पुनर्निर्धारित नहीं करेगी और इसमें दो लाख छात्र हैं, और "पांच याचिकाकर्ताओं के आदेश पर हमने लाखों छात्रों के करियर को खतरे में डाल दिया है.... हम ऐसा नहीं करेंगे! अब इन मेडिकल छात्रों के लिए निश्चितता होनी चाहिए.''
विशाल सोरेन और अन्य द्वारा वकील अनस तनवीर के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि, याचिकाकर्ताओं और कई समान पद वाले उम्मीदवारों को ऐसे शहर आवंटित किए गए हैं जहां तक पहुंचना उनके लिए बेहद असुविधाजनक है. इसमें आगे कहा किया गया है कि प्रतिवादी संख्या 01 (नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज) ने घोषणा की थी कि परीक्षा की तारीख 11 अगस्त 2024 होगी और दो बैचों में आयोजित की जाएगी. याचिका में कहा गया है कि तथ्य यह है कि परीक्षाएं दो बैचों में आयोजित की जाएंगी और सामान्यीकरण का फार्मूला उम्मीदवारों के लिए अज्ञात है, जिससे याचिकाकर्ताओं को आशंका हो रही है.
याचिका में कहा गया है कि "ऐसी संभावना है कि अभ्यर्थियों के एक बैच को दूसरे बैच की तुलना में अधिक कठिन प्रश्नपत्र का सामना करना पड़ सकता है इसलिए, यह प्रार्थना की जाती है कि परीक्षाओं के आयोजन से पहले सामान्यीकरण के फार्मूले का खुलासा किया जाना चाहिए, जिससे मनमानी की किसी भी आशंका को दूर किया जा सके”
याचिका में आगे कहा गया कि परीक्षा में दो लाख से अधिक छात्र शामिल होने वाले हैं. "परीक्षा 185 परीक्षण शहरों में आयोजित होने वाली है. याचिका में कहा गया है कि, ऐसे में ट्रेन टिकट समय पर नहीं मिलने और गतिशील मूल्य निर्धारण के कारण हवाई किराए में बढ़ोतरी से बड़ी संख्या में छात्रों के लिए अपने परीक्षा केंद्रों तक पहुंचना लगभग असंभव हो गया है. राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (एनईईटी)-स्नातकोत्तर परीक्षा पहले 23 जून को आयोजित होने वाली थी. कुछ प्रतियोगी परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे "एहतियाती उपाय" के रूप में स्थगित कर दिया था.
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