दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

चुनाव नियमों में संशोधन: जयराम रमेश की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र और ECI को नोटिस - SUPREME COURT

भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और संजय कुमार की पीठ ने चुनाव नियम संशोधन मामले में केंद्र और ECI को नोटिस भेजा है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 15, 2025, 1:37 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश की ओर से दायर याचिका पर केंद्र सरकार और भारतीय चुनाव आयोग (ECI) से जवाब मांगा. इस याचिका में चुनाव संचालन नियमों में हाल ही में किए गए संशोधनों को चुनौती दी गई है और साथ ही चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर चिंता भी जताई गई है.

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना और संजय कुमार की पीठ ने दोनों प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए और अगली सुनवाई 17 मार्च को तय की. रमेश का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने संशोधन पर हमला करते हुए कहा कि यह कदम महत्वपूर्ण मटेरियल तक लोगों की पहुंच को कम करने के लिए चालाकी से उठाया गया है.

रमेश की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने चुनाव संचालन नियमों के तहत फॉर्म 17ए और 17सी का हवाला दिया, जिसमें चुनाव आयोग को दो फॉर्म की जरूरत होती है. इनमें वोटर्स की संख्या और डाले गए वोटों की डिटेल होती है. उनकी प्रारंभिक दलीलों के बाद पीठ ने मामले पर विचार करने पर सहमति जताई और नोटिस जारी किए.

संशोधनों पर आशंका व्यक्त की
बता दें कि कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. उन्होंने संशोधनों पर आशंका व्यक्त की थी. इनके बारे में उनका दावा है कि ये नियम चुनावों की अखंडता को कमजोर करते हैं. रमेश अपनी आलोचना में मुखर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संशोधन महत्वपूर्ण सूचनाओं तक जनता की पहुंच को प्रतिबंधित करते हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता खत्म हो जाती है.

संभावित दुरुपयोग पर चिंताओं का दिया हवाला
केंद्रीय कानून मंत्रालय ने दिसंबर में भारत के चुनाव आयोग की सिफारिश पर चुनाव नियम 1961 के नियम 93 (2) (ए) में संशोधन किया था. संशोधन उन दस्तावेजों को सीमित करता है जो सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खुले हैं. विशेष रूप से यह संभावित दुरुपयोग पर चिंताओं का हवाला देते हुए सीसीटीवी फुटेज, वेबकास्टिंग वीडियो और उम्मीदवारों की रिकॉर्डिंग जैसी इलेक्ट्रॉनिक सामान तक एक्सेस को प्रतिबंधित करता है.

'चुनावों की अखंडता पर आघात'
रमेश ने माइक्रो ब्लोगिंग साइट एक्स पर एक पोस्ट में इस कदम को चुनावों की अखंडता पर आघात बताया. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग, एक संवैधानिक बॉडी है जिस पर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी है, उसे एकतरफा और बिना सार्वजनिक परामर्श के इस तरह के महत्वपूर्ण कानून में बेशर्मी से संशोधन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.

इस दौरान उन्होंने पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की घोषणा की. उन्होंने आगे तर्क दिया कि इन मटेरियल तक सार्वजनिक पहुंच को सीमित करने से पारदर्शिता और जवाबदेही कम होती है, जो एक मजबूत चुनावी प्रक्रिया की आधारशिला हैं. रमेश ने कहा, "यह संशोधन आवश्यक जानकारी तक जनता की पहुंच को समाप्त कर देता है, जो चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाता है." उन्होंने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को बहाल करने के लिए हस्तक्षेप करेगा.

याचिका में इस बात पर चिंता जताई गई है कि संशोधन को पर्याप्त सार्वजनिक परामर्श के बिना पेश किया गया था, कांग्रेस का तर्क है कि यह कदम लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने वाले संस्थानों में विश्वास को कम करता है.

बता दें कि नियम 93(2)(ए) में हाल ही में किए गए बदलावों ने चुनावी प्रक्रिया से संबंधित कुछ दस्तावेजों के सार्वजनिक निरीक्षण पर रोक लगा दी है, जिसमें मॉनिटरिंग फुटेज और रिकॉर्डिंग शामिल हैं. सरकार ने इन मटेरियल के दुरुपयोग को रोकने के लिए इस कदम को आवश्यक बताया है, लेकिन आलोचकों का तर्क है कि यह महत्वपूर्ण जानकारी को जांच से बचाता है और चुनावों की पारदर्शिता को कम करता है.

यह भी पढ़ें- जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने अपने ऑफिस में लगी 1971 युद्ध की पेंटिंग क्यों बदली? सेना प्रमुख ने किया खुलासा

ABOUT THE AUTHOR

...view details