नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश की ओर से दायर याचिका पर केंद्र सरकार और भारतीय चुनाव आयोग (ECI) से जवाब मांगा. इस याचिका में चुनाव संचालन नियमों में हाल ही में किए गए संशोधनों को चुनौती दी गई है और साथ ही चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर चिंता भी जताई गई है.
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना और संजय कुमार की पीठ ने दोनों प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए और अगली सुनवाई 17 मार्च को तय की. रमेश का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने संशोधन पर हमला करते हुए कहा कि यह कदम महत्वपूर्ण मटेरियल तक लोगों की पहुंच को कम करने के लिए चालाकी से उठाया गया है.
रमेश की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने चुनाव संचालन नियमों के तहत फॉर्म 17ए और 17सी का हवाला दिया, जिसमें चुनाव आयोग को दो फॉर्म की जरूरत होती है. इनमें वोटर्स की संख्या और डाले गए वोटों की डिटेल होती है. उनकी प्रारंभिक दलीलों के बाद पीठ ने मामले पर विचार करने पर सहमति जताई और नोटिस जारी किए.
संशोधनों पर आशंका व्यक्त की
बता दें कि कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. उन्होंने संशोधनों पर आशंका व्यक्त की थी. इनके बारे में उनका दावा है कि ये नियम चुनावों की अखंडता को कमजोर करते हैं. रमेश अपनी आलोचना में मुखर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संशोधन महत्वपूर्ण सूचनाओं तक जनता की पहुंच को प्रतिबंधित करते हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता खत्म हो जाती है.
संभावित दुरुपयोग पर चिंताओं का दिया हवाला
केंद्रीय कानून मंत्रालय ने दिसंबर में भारत के चुनाव आयोग की सिफारिश पर चुनाव नियम 1961 के नियम 93 (2) (ए) में संशोधन किया था. संशोधन उन दस्तावेजों को सीमित करता है जो सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खुले हैं. विशेष रूप से यह संभावित दुरुपयोग पर चिंताओं का हवाला देते हुए सीसीटीवी फुटेज, वेबकास्टिंग वीडियो और उम्मीदवारों की रिकॉर्डिंग जैसी इलेक्ट्रॉनिक सामान तक एक्सेस को प्रतिबंधित करता है.