पटना : 26 साल बाद बिहार के तत्कालीन मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मुन्ना शुक्ला समेत एक अन्य को दोषी ठहराते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. वहीं पूर्व सांसद सूरजभान सिंह समेत 5 को बरी कर दिया है. बता दें कि 26 साल पहले इस हत्याकांड में निचली अदालत ने आरोपियों को सना सुनाई थी. इसके बाद साल 2014 में पटना हाईकोर्ट ने पूर्व सांसद सूरजभान समेत आठ आरोपी को बरी कर दिया था.
बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट का फैसला :1998 में बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड मामले में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी रमा देवी और सीबीआई द्वारा पटना उच्च न्यायालय के 2014 के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की, जिसमें साक्ष्य के अभाव में आरोपियों को बरी कर दिया गया था. बुधवार की सुनवाई अधूरी रही थी यह बृहस्पतिवार को भी जारी रहेगी. न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि पीठ खुली अदालत में अपना फैसला सुना सकती है.
आतंक का दशक :सुप्रीम कोर्ट का फैसला आए इससे पहले ये जान लेना जरूरी है कि ये हत्याकांड को अंजाम कैसे दिया गया था. बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड का जिक्र होता है तो उस समय बिहार के अंडरवर्ल्ड की भी चर्चा शुरू हो जाती है. 90 के दशक में बिहार में माफियाओं का कालजयी काल था. इस दौरान बिहार के अलग-अलग इलाकों में बड़े-बड़े माफिया स्थापित हो चुके थे. तब बिहार में सम्राट, मुन्ना शुक्ला, बृज बिहारी प्रसाद, राजन तिवारी, सूरजभान सिंह की तूती बोलती थी.
डीडी बनाम बृज बिहारी प्रसाद :भले चंपारण को महात्मा गांधी की कर्मस्थली कहा जाता हो लेकिन, 90 के दशक में यहां माफियाओं का राज था. पूरे चंपारण में देवेंद्र दुबे का एकछत्र राज हुआ करता था. दूर-दूर तक उन्हें कोई चुनौती देने वाला नहीं था. उन पर लगभग 35 हत्याओं का आरोप था. देवेंद्र दुबे को अंडरवर्ल्ड में डीडी के नाम से बुलाया जाता था और उनकी सबसे अच्छी दोस्ती यूपी के आतंक के पर्याय बन चुके श्री प्रकाश शुक्ला से थी.
रेलवे के ठेके को लेकर थी दोस्ती :यह दोस्ती रेलवे के ठेका के कारण हुई थी. रेलवे और इलाके में वर्चस्व देवेंद्र दुबे का लगातार बढ़ता जा रहा था. 1995 के विधानसभा चुनाव में देवेंद्र दुबे ने बड़ी जीत हासिल की थी. चुकी देवेंद्र दुबे जेल में रहकर चुनाव लड़े थे और उन पर यह आरोप था कि उन्होंने चुनाव के नॉमिनेशन के दिन दिन 6 लोगों को जहर देकर मार दिया था. इस चुनाव को जिताने में श्री प्रकाश शुक्ला और राजन तिवारी का अहम रोल माना जाता था.
डीडी के भतीजे ने कसम खायी : इस दरमियान बृज बिहारी प्रसाद देवेंद्र दुबे के बड़े विरोधी बन गए. डीडी चुनाव जीतने के बाद जेल से बाहर आए और 25 फरवरी 1998 को अरेराज ब्लॉक जो की बृज बिहारी प्रसाद का इलाका था, वहां प्लानिंग करके देवेंद्र दुबे को घेर कर एक-47 से छलनी कर दिया गया. उनकी हत्या का पूरा आरोप बृज बिहारी प्रसाद पर लगा. उसे समय बृज बिहारी प्रसाद ऊर्जा मंत्री थे. देवेंद्र दुबे की हत्या के बाद उनका भतीजा मंटू तिवारी जो अंडरवर्ल्ड में अपनी एक अलग पहचान बन चुका था. उसने ऐलान कर दिया कि जब तक वह देवेंद्र दुबे की हत्या का बदला नहीं ले लेगा तब तक शादी नहीं करेगा.
हत्या के लिए यूपी से आया था श्रीप्रकाश शुक्ला : देवेंद्र दुबे की हत्या के महज 3 महीने बाद ही राजद के कद्दावर मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या आईजीआईएमएस में कर दी गई. उस समय बृज बिहारी प्रसाद राबड़ी देवी सरकार में ऊर्जा मंत्री थे. एडमिशन घोटाले में बृज बिहारी प्रसाद अरेस्ट हो चुके थे. जेल में सीने में दर्द की शिकायत कहकर पटना के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज में उनको भर्ती कराया गया था.
राबड़ी सरकार के मंत्री को गोलियों से किया छलनी : बृज बिहारी प्रसाद 13 जून को आईजी आईजीआईएमएस की परिसर में टहल रहे थे. उनके बॉडीगार्ड भी उनके साथ थे. तब अचानक एक एंबेसडर गाड़ी और एक सूमो उनके पास पहुंची. गर्दनीबाग थाना (अब शास्त्रीनगर) कांड संख्या 336/98 में दर्ज FIR में लिखा गया है कि मंटू तिवारी, भूपेंद्र नाथ दुबे, श्रीप्रकाश शुक्ला सहित कई लोग बृजबिहारी प्रसाद और बॉडीगार्ड के पास आ गए. पहले भूपेंद्र नाथ दुबे ने गोली चलाई. उसके बाद मंटू तिवारी ने स्टेनगन से गोली चलानी शुरू कर दी. श्रीप्रकाश शुक्ला ने भी पिस्टल से अंधाधुंध फायरिंग की. उस समय बृज बिहारी प्रसाद और उनके बॉडीगार्ड वहीं गिर गए.