नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजबीर सेहरावत की अध्यक्षता वाली एकल पीठ द्वारा पारित आदेश के संबंध में की गई अनावश्यक टिप्पणियों से दुखी है. शीर्ष अदालत ने विवादास्पद और अनुचित टिप्पणियों को हटा दिया, लेकिन उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने से परहेज किया.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ जिसमें न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय शामिल थे, ने न्यायाधीश को चेतावनी देते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का अनुपालन करना पसंद का मामला नहीं बल्कि न्यायिक अनुशासन का मामला है.
शुरुआत में सीजेआई ने कहा कि "पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश द्वारा की गई टिप्पणियों से हम दुखी हैं. ये टिप्पणियां सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के संबंध में की गई हैं." सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा जारी एक असामान्य आदेश का स्वतः संज्ञान लिया, जिन्होंने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पहले पारित स्थगन आदेश की आलोचना की थी.
उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की थी कि सर्वोच्च न्यायालय स्वयं को वास्तविकता से अधिक सर्वोच्च मानता है और उच्च न्यायालयों को संवैधानिक रूप से जितना वे हैं, उससे कम उच्च मानता है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि पदानुक्रमिक न्याय वितरण प्रणाली के प्रमुख के रूप में अपनी स्थिति की पृष्ठभूमि में, उच्च न्यायालयों और जिला न्यायालयों सहित सभी को उसके आदेशों का अनुपालन करना होगा.