बिलासपुर : पद्मश्री का सम्मान पाने वाले रामलाल बरेठ कत्थक नर्तक हैं. जिन्हें रायगढ़ के महाराज चक्रधर अपने दरबार के नर्तकों में कोहिनूर हीरा मानते थे. रामलाल ने अपनी पूरी जिंदगी कत्थक नृत्य को दी है. जब रामलाल बरेठ का नाम पद्मश्री के लिए आया तो उन्हें अपने पुराने दिन याद आए. जब वो नृत्य के लिए जी तोड़ मेहनत किया करते थे.रामलाल बरेठ को साल 2024 के पद्मश्री सम्मान के लिए शामिल किया गया है.
पद्मश्री सम्मान मिलने पर परिवार खुश :पद्मश्री से सम्मानित रामलाल बरेठ 88 साल की उम्र में आज भी उतना ही अच्छा नृत्य करते हैं. जितना वो अपने जवानी के दिनों में किया करते थे.रामलाल बरेठ ने ईटीवी भारत से बात करते हुए अपने बचपन से लेकर अब तक के सफर को याद करते हुए कहा कि मेहनत और लगन के साथ ही नृत्य की साधना ही उनकी सफलता का मूल मंत्र है. रामलाल बरेठ को पद्मश्री सम्मान मिलने की जानकारी के बाद उनका पूरा परिवार खुश तो है ही साथ ही इस बात की खुशी है कि वे आज भी अपनी इस कला को नई पीढ़ी को सिखाकर अपने पिता और गुरुओं को श्रद्धांजलि दे रहे हैं.
कौन है पद्मश्री रामलाल बरेठ ? :पंडित रामलाल बरेठ का जन्म 6 मार्च सन 1936 को हुआ था. उनका जन्म संगीत परिवार में हुआ था. पंडित रामलाल की कत्थक नृत्य शिक्षा 5 साल की उम्र में अपने पिता के सानिध्य में शुरू हो गई थी. 10 वर्ष की छोटी आयु में ही वे रायगढ़ दरबार में कला के शौकीन लोगों के सामने नृत्य का प्रदर्शन करने लगे. जिसे देखकर महाराजा चक्रधर सिंह बहुत खुश हुए. इसके बाद महाराजा ने जयपुर के गुरू पंडित जयलाल महाराज से उनकी नृत्य शिक्षा की व्यवस्था करवाई. राजा चक्रधर सिंह खुद गायन, वादन एवं नृत्य के विद्वान भी थे.
वाद्य यंत्र और गायन में भी महारथी :पंडित रामलाल नृत्य के अलावा तबला वादन और गायन में भी पारंगत हैं. तबला की शिक्षा अपने पिता पंडित कार्तिकराम और पंडित जयलाल महाराज से ली और गायन की शिक्षा अपने पिता और उस्ताद हाजी मोहम्मद खां बांदावाले से ली है. पंडित रामलाल सन् 1949 में लखनऊ सम्मेलन में पहली बार मंच पर आए थे. जहां से इन्हें ख्याति मिलनी शुरू हुई. साल 1950 में संगीत सम्मेलन बुलंदशहर, 1962 में इटावा के संगीत सम्मेलन में उन्होंने सफल प्रदर्शन किया. जिसके बाद अपने नृत्य का प्रदर्शन कलकत्ता, इलाहाबाद, कटक, नागपुर, भिलाई, रायपुर, इंदौर, स्वर साधना समिति बंबई, संकट मोचन बनारस, दिल्ली, छिंदवाड़ा, पुरुषदेह भारत भवन भोपाल, हैदराबाद जैसे अनेक शहरों में किया.