बिहार के हाजीपुर में अनोखी मछली (Etv Bharat) हाजीपुर : बिहार के वैशाली जिले में कई तरह की मछली 'फिश मार्केट' में उपलब्ध है. मछली लवर भी अपने-अपने पसंदीदा मछलियों को खास तवज्जो देते हैं. आम बाजार में मिलने वाली मछलियों में सबसे ऊपर बंगालियों की पसंदीदा हिलसा और मोए मछली है. कई लोग मोय को सबसे ऊपर का दर्जा देते हैं. बताया गया की मोए जब 2 किलो से ऊपर की हो जाती है तो उसे चीतल भी कहा जाता है. लेकिन यह मछली बाजार में बेहद कम उपलब्ध होती है.
खास फिश बनी मछली मार्केट की कौतूहल: गंगा और गंडक में पाए जाने वाली इस मछली की संख्या बेहद कम है. साल 2 साल के अंतराल पर बाजार में यह मछली आती है. इसी क्रम में सावन शुरू होने से ठीक पहले वैशाली के हाजीपुर मछली मंडी में मोए उर्फ चीतल मछली को बेचने के लिए लाया गया. हालांकि कई लोग इस मछली के बारे में काफी कम जानते हैं, वहीं कुछ लोग जानने के बावजूद ज्यादा कांटे होने की वजह से इसे नहीं ख़रीदते है. जबकि इससे कहीं ज्यादा मोए मछली के शौकीनों की तादाद है.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat) स्वादिष्ट होने की वजह से बिकती है महंगी : चौंकाने वाली बात यह है कि भले ही यह मछली हाजीपुर में पकड़ी जाती है लेकिन इसका सबसे ज्यादा बाजार कोलकाता और सिलीगुड़ी में होता है. जहां पहुंचते ही यह मछली झट से बिक जाती है इसकी औसत कीमत ₹500 से शुरू होती है और जैसे-जैसे मछली का साइज बड़ा होता है वैसे-वैसे इसकी कीमत बढ़ाकर ₹1200 किलो तक पहुंच जाती है. जबकि इस मछली का पेटी ₹3000 से लेकर ₹5000 किलो तक बिकता है. यही कारण है कि इस महंगे मछलियों की श्रेणी में भी रखा गया है.
'कई दिनों बाद दिखी मोए' : मोए मछली के हाजीपुर बाजार में आने से फिश लवर में भी काफी उत्साह दिखा. कई लोगों ने बताया कि काफी दिनों बाद इस मछली को देखा गया है. इस विषय में मछली बेचने आए हीरा साहनी ने बताया कि इसमें खासियत है कि ''मछली बहुत टेस्टी होती है इसके पेटी में खासियत होती है. यह सबसे महंगी मछली होती है. यह मिलती नहीं है, साल दो साल पर एक दो बार बाय चांस मिल जाती है.''
मोय फिश वजन करते व्यापारी (ETV Bharat) ''यह 15 किलो तक हो जाता है. कभी भी इसका रेट ₹500 किलो से ऊपर होता है. यह मछली सिलीगुड़ी जाएगी. इसकी सिलीगुड़ी में ज्यादा डिमांड है. वहां आराम से बिकती है. वहां पर रखिएगा और तुरंत हजार रुपए किलो बिक जाएगी. इसको तैयार करने में 1 साल लगा है. हम गंगा जी से मछली का बच्चा (जीरा) लाए थे उसी में से यह 10 पीस निकल गया था. यह मिलता ही नहीं है.''- हीरा साहनी, मछली व्यापारी
बंगाल में इस मछली की ज्यादा डिमांड : वहीं मछली के खास शौकीन सचिन कुमार ने कहा कि मोए का स्वाद बहुत ही अच्छा होता है. यह कोलकाता में मिलता है, अपने हाजीपुर में भी दिखा है. हम मछली मंडी में डेली आते हैं लेकिन काफी दिनों बाद देखें हैं. जबकि एक अन्य मछली विक्रेता टुनटुन कुमार ने बताया कि मोए मछली बहुत ही अच्छी होती है. बहुत लोग खाते भी नहीं हैं क्योंकि कांटे की वजह से, लेकिन बहुत टेस्टी होती है. यह मिलती भी बहुत कम है. मिलता है तो बंगाल चला जाता है. बंगाली लोग इसको बहुत ज्यादा पसंद करते हैं.
मंडी में आते ही बिक जाती है मोए - बताया जाता है की गंगा और गंडक से मल्लाह बड़ी संख्या में मछलियों का जीरा अर्थात छोटी मछली को पकड़ते हैं. कभी-कभी इन्हीं मछलियों में थोड़ा बहुत मोए का बच्चा भी इन्हें मिल जाता है, जिसे लाकर यह निजी तालाब में पालते हैं. जितनी ज्यादा मात्रा में मोए का बच्चा मिलता है उतनी ज्यादा इन्हें आमदनी होती है. जब इसका वजन 2 किलो से ज्यादा हो जाता है तो इसे बाजार में लाया जाता है. जहां से यह कोलकाता और सिलीगुड़ी के मछली मंडियों में भी भेजा जाता है.
"मोए मछली बहुत ही अच्छा होता है बहुत टेस्टी होती है. बहुत लोग कांटे की वजह से खाते भी नहीं हैं लेकिन यह बहुत टेस्टी होती है. यह मिलती भी बहुत कम है. मिलती है तो बंगाल चली जाती है. बंगाली लोग इसको बहुत ज्यादा पसंद करते हैं" -
टुनटुन कुमार, मछली विक्रेता. ये भी पढ़ें-