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एक हैं तो सेफ हैं, बंटेंगे तो कटेंगे नारे पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने जताया एतराज

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने रायपुर दौरे में बंटेंगे तो कटेंगे जैसे नारों का विरोध किया.

objection to slogan ek hai to safe hai
बटेंगे तो कटेंगे नारे का शंकराचार्य ने किया विरोध (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 20 hours ago

रायपुर : शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने एक है तो सेफ है बंटोगे तो कटोगे जैसे नारे को लेकर बड़ा बयान दिया है. शंकराचार्य ने ऐसे बयानों की निंदा की और साथ ही साथ इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया. इसके साथ ही शंकराचार्य ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के संभल दौरे को लेकर भी बयान दिया. उन्होंने बागेश्वर धाम के बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के हिंदू राष्ट्र बनाए जाने को लेकर अपना पक्ष रखा.




बंटोगे तो कटोगे पर शंकराचार्य का बड़ा बयान :शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने "एक है तो सेफ है, बंटोगे तो कटोगे" जैसे नारे पर कड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि यह धमकी देना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है. वोट देने के लिए लोगों को धमकाया नहीं जा सकता. यह नारा सीधा चुनाव प्रक्रिया पर हमला कर रहा है. उन्होंने चुनाव आयोग, राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट से इस मुद्दे पर बोलने की अपील की.इसके साथ ही राहुल गांधी के संभल दौरे पर भी टिप्पणी की है.

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का रायपुर दौरा (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

नेताओं का दौरा केवल राजनीति चमकाने का उद्देश्य होता है.नेताओं के आने से किसी भी मामले का वास्तविक समाधान नहीं होगा, और यह केवल एक राजनीतिक प्रदर्शन है.चाहे वहां पहले मंदिर रहा हो या मस्जिद.इस बात को हिंदू और मुस्लिम समुदाय को बैठकर सुलझाना है,या फिर न्यायालय में इसका निराकरण होगा. नेताओं के दौरे और पत्थर फेंक देने से समस्या का समाधान नहीं होगा-स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, शंकराचार्य

बाबा बागेश्वर के हिंदू राष्ट्र पर दी प्रतिक्रिया : शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने बाबा बागेश्वर के हिंदू राष्ट्र के बयान पर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि "बाबा बागेश्वर ने जाति-पात खत्म करने और भेदभाव मिटाने को लेकर यात्रा की .जात-पात हिन्दू धर्म की पहचान है और इसे खत्म करना गलत होगा. उन्होंने ये भी चेतावनी दी कि यदि जाति, वर्ण और आश्रम को खत्म किया गया, तो इससे धर्मान्तरण बढ़ेगा. शंकराचार्य ने अपने गेरुआ वस्त्रों और वर्ण को पहचान का हिस्सा बताते हुए कहा कि हिन्दू धर्म को कोई भी नहीं बदल सका है."

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