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मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में जोगी डोंगरी, ग्रामीणों का मानना यहां रहते हैं रहस्यमयी बाबा - MANENDRAGARH CHIRMIRI BHARATPUR

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में जोगी डोंगरी ग्रामीणों की आस्था का केंद्र है. दूर दूर से श्रद्धालु पूजा करने आते हैं.

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 11, 2024, 6:45 AM IST

Updated : Dec 11, 2024, 7:46 AM IST

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर बंजी ग्राम पंचायत के पास स्थित जोगी डोंगरी सिर्फ एक स्थान नहीं, बल्कि ग्रामीणों की आस्था और चमत्कारों का केंद्र है. चारों ओर जंगल से घिरा यह स्थान एक समय में महामारी से त्रस्त गांववालों के लिए उम्मीद की किरण बना था. ग्रामीण बताते हैं कि यहां के रहस्यमय बाबा कभी छाया बनकर दिखते तो कभी अचानक गायब हो जाते थे.

महामारी का अंत और आस्था का जन्म: गांव के बुजुर्ग नन्हई सिंह बताते हैं कि ग्राम बंजी में जोगी डोंगरी के नाम से स्थान प्रसिद्ध है. पूर्वजों ने बताया कि यहां के बाबा कभी गायब हो जाते थे कभी दिख जाते थे. किसी जमाने में यहां रहने वाले वैद्य भैरव सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र में महामारी का प्रकोप हुआ. उस दौरान जोगी डोंगरी में गांव वालों ने पूजा अर्चना की जिसके बाद महामारी पर काबू पाया गया.

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में जोगी डोंगरी (ETV Bharat Chhattisgarh)

चमत्कारी कुंड और मेले की परंपरा: नन्हई सिंह बताते हैं कि तब से जोगी डोंगरी में पूजा अर्चना हो रही है. हर साल महाशिवरात्रि में मेला लगता है. राम नवमी के समय मातेश्वरी के नाम से जवारा बोया जाता है. यहां से कुछ दूर केरा झरिया है. कहा जाता है कि यदि किसी को त्वचा संबंधित कोई रोग है तो महाशिवरात्रि के दिन उस झरिया में स्नान करने से राहत मिलती है. मंदिर के उत्तर में महादेव कुंड में 12 महीने पानी रहता है.

Manendragarh Chirmiri Bharatpur
केरा झरिया कुंड और महादेव कुंड में स्नान का महत्व (ETV Bharat Chhattisgarh)

बुंदेली ग्राम पंचायत में कोई महामारी हो तो वे अगर जोगी डोंगरी आ जाए तो उन्हें राहत मिलती है. मान्यता है कि यहां कुछ भी मांगने पर मनोकामना जरूर पूरी होती है: नन्हई सिंह, गांव के बुजुर्ग

मंदिर का निर्माण और बाबा की स्मृति: समय के साथ जोगी डोंगरी में बाबा की याद में एक मंदिर का निर्माण किया गया. इसमें भगवान शिव, मां दुर्गा और गांव की देवी की मूर्तियां स्थापित की गईं. मंदिर के पास स्थित एक बरगद के पेड़ को भी चमत्कारिक माना जाता है. कहा जाता है कि एक बार कुछ महावत हाथी लेकर यहां आए थे और अपमानजनक व्यवहार किया. इसके बाद उनके हाथी अनियंत्रित हो गए. जब उन्होंने इस स्थान पर पूजा की और क्षमा मांगी, तो हाथी शांत हुए.

Manendragarh Chirmiri Bharatpur
ग्रामीणों की आस्था का केंद्र जोगी डोंगरी (ETV Bharat Chhattisgarh)

ग्रामीणों की अविस्मरणीय आस्था: ग्रामीण देवेंद्र सिंह बताते हैं कि यहां एक सन्यासी बाबा रहते थे कभी मनुष्य जैसे दिखते थे कभी विलुप्त हो जाते थे. बताया जाता है कि काफी समय पहले बुंदेली और बंजी में महामारी फैला था. यहां के वैद्य ने चिन्हांकित किया कि जोगी डोंगरी में पूजा अर्चना करें तो महामारी कंट्रोल हो सकता है. तब से जोगी डोंगरी ग्रामीणों की आस्था का केंद्र है.

यहां बाबा दिखाई दिए. उनकी पूजा अर्चना शुरू की. फिर मंदिर भी बनाया गया. तब से यहां पूजा की जा रही है. काफी समय से पूजा की जा रही है: मंदिर के पुजारी

आस्था का प्रतीक: जोगी डोंगरी न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह लोगों की भावनाओं और विश्वास का केंद्र भी है. आज भी यहां की कहानियां ग्रामीणों के जीवन का अभिन्न हिस्सा बनी हुई हैं.

Manendragarh Chirmiri Bharatpur
मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में जोगी डोंगरी (ETV Bharat Chhattisgarh)
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मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर बंजी ग्राम पंचायत के पास स्थित जोगी डोंगरी सिर्फ एक स्थान नहीं, बल्कि ग्रामीणों की आस्था और चमत्कारों का केंद्र है. चारों ओर जंगल से घिरा यह स्थान एक समय में महामारी से त्रस्त गांववालों के लिए उम्मीद की किरण बना था. ग्रामीण बताते हैं कि यहां के रहस्यमय बाबा कभी छाया बनकर दिखते तो कभी अचानक गायब हो जाते थे.

महामारी का अंत और आस्था का जन्म: गांव के बुजुर्ग नन्हई सिंह बताते हैं कि ग्राम बंजी में जोगी डोंगरी के नाम से स्थान प्रसिद्ध है. पूर्वजों ने बताया कि यहां के बाबा कभी गायब हो जाते थे कभी दिख जाते थे. किसी जमाने में यहां रहने वाले वैद्य भैरव सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र में महामारी का प्रकोप हुआ. उस दौरान जोगी डोंगरी में गांव वालों ने पूजा अर्चना की जिसके बाद महामारी पर काबू पाया गया.

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चमत्कारी कुंड और मेले की परंपरा: नन्हई सिंह बताते हैं कि तब से जोगी डोंगरी में पूजा अर्चना हो रही है. हर साल महाशिवरात्रि में मेला लगता है. राम नवमी के समय मातेश्वरी के नाम से जवारा बोया जाता है. यहां से कुछ दूर केरा झरिया है. कहा जाता है कि यदि किसी को त्वचा संबंधित कोई रोग है तो महाशिवरात्रि के दिन उस झरिया में स्नान करने से राहत मिलती है. मंदिर के उत्तर में महादेव कुंड में 12 महीने पानी रहता है.

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बुंदेली ग्राम पंचायत में कोई महामारी हो तो वे अगर जोगी डोंगरी आ जाए तो उन्हें राहत मिलती है. मान्यता है कि यहां कुछ भी मांगने पर मनोकामना जरूर पूरी होती है: नन्हई सिंह, गांव के बुजुर्ग

मंदिर का निर्माण और बाबा की स्मृति: समय के साथ जोगी डोंगरी में बाबा की याद में एक मंदिर का निर्माण किया गया. इसमें भगवान शिव, मां दुर्गा और गांव की देवी की मूर्तियां स्थापित की गईं. मंदिर के पास स्थित एक बरगद के पेड़ को भी चमत्कारिक माना जाता है. कहा जाता है कि एक बार कुछ महावत हाथी लेकर यहां आए थे और अपमानजनक व्यवहार किया. इसके बाद उनके हाथी अनियंत्रित हो गए. जब उन्होंने इस स्थान पर पूजा की और क्षमा मांगी, तो हाथी शांत हुए.

Manendragarh Chirmiri Bharatpur
ग्रामीणों की आस्था का केंद्र जोगी डोंगरी (ETV Bharat Chhattisgarh)

ग्रामीणों की अविस्मरणीय आस्था: ग्रामीण देवेंद्र सिंह बताते हैं कि यहां एक सन्यासी बाबा रहते थे कभी मनुष्य जैसे दिखते थे कभी विलुप्त हो जाते थे. बताया जाता है कि काफी समय पहले बुंदेली और बंजी में महामारी फैला था. यहां के वैद्य ने चिन्हांकित किया कि जोगी डोंगरी में पूजा अर्चना करें तो महामारी कंट्रोल हो सकता है. तब से जोगी डोंगरी ग्रामीणों की आस्था का केंद्र है.

यहां बाबा दिखाई दिए. उनकी पूजा अर्चना शुरू की. फिर मंदिर भी बनाया गया. तब से यहां पूजा की जा रही है. काफी समय से पूजा की जा रही है: मंदिर के पुजारी

आस्था का प्रतीक: जोगी डोंगरी न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह लोगों की भावनाओं और विश्वास का केंद्र भी है. आज भी यहां की कहानियां ग्रामीणों के जीवन का अभिन्न हिस्सा बनी हुई हैं.

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Last Updated : Dec 11, 2024, 7:46 AM IST
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