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दंतेवाड़ा शीतला मंदिर में अगहन जात्रा, 185 गांव के लोगों ने की पूजा अर्चना - DANTEWADA AGHAN JATRA

दंतेवाड़ा शीतला मंदिर में वार्षिक अगहन जात्रा में कई गांव के लोगों ने पूजा अर्चना कर देवी देवताओं से खुशहाली का आशीर्वाद मांगा.

DANTEWADA AGHAN JATRA
दंतेवाड़ा शीतला मंदिर (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 11, 2024, 8:00 AM IST

दंतेवाड़ा: शीतला माता मंदिर परिसर में वार्षिक अगहन जात्र का आयोजन किया गया. जात्रा का आयोजन हर साल अगहन माह के तीसरे या अंतिम मंगलवार को किया जाता है. इस जात्रा में क्षेत्र के 36 मंदिर के परगनाओं की उपस्थिति में सालों से चली आ रही परंपरा को निभाया जाता है. 185 गांव के ग्रामीण इस अगहन जात्रा में शामिल होने पहुंचते है.

शीतला माता को नये चावल का भोग: अगहन जात्रा पूजा के दौरान सर्वप्रथम माटी पुजारियों ने शीतला माता को नये चावल का भोग चढ़ाया. इसके बाद माता की विशेष पूजा की गई. अगहन जात्रा को माटी पूजा के नाम से भी जाना जाता है. दंतेश्वरी मंदिर के पुजारियों की उपस्थिति में सर्वप्रथम माता की पूजा होती है जिसके बाद संध्या पहर में 3 बजे से जानवरों की बली दी जाती है. यह परंपरा आदिकाल से चली आ रही है जिसे आज भी निभाया जा रहा है.

शीतला माता मंदिर में अगहन जात्रा (ETV Bharat Chhattisgarh)
84 परगना के लोग अगहन जात्रा में पहुंचे: जात्रा के मद्देजन आज शीतला माता मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ सुबह से लगी रही. लोग कतारबद्ध होकर एक एककर माता के दर्शन पूजन करते देखे गए. अगहन जात्रा के बाद बस्तर में मेला मंडई का आगाज हो जाता है. मान्यता है कि सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार शीतला माता मंदिर में पूजा अर्चना के बाद कई कष्ट दूर हो जाते हैं. माता के स्नान कराए गए पानी से लोगों के बहुत सारे विकार दूर होते हैं.

दंतेवाड़ा से शुरू होती है जात्रा: मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह परंपरा रियासलकाल से चली आ रही है. जो विधि विधान से आज भी निभाई जा रही है. मां शीतला माता को धरती मां भी माना जाता है. क्षेत्र के किसान, धान कटाई के बाद मां से क्षमा याचना के लिए इस जात्रा में आते हैं. इस दौरान मां को कंदफूल, धान्य अर्पण करते हैं. बस्तर संभाग में अगहन जात्रा दंतेवाड़ा से शुरू होती है. इसके बाद पूरे संभाग में जात्रा शुरू हो जाती है. 18 दिसंबर को केसरपाला की जात्रा होगी. मान्यता है कि मां दंतेश्वरी जब वारंगल से आई तो उन्हें पहले मां शीतला माता से अनुमति ली.

मन्नत पूरी होने के बाद मां को बली चढ़ाने की परंपरा: गांव के नकुल राम ने बताया कि अगहन जात्रा की परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ ही है. मन्नत पूरी होने के बाद जानवरों की बली देने की परंपरा है. पहले शीतला माता की पूजा होती है उसके बाद अन्य देवी देवताओं की पूजा की जाती है.

गांव के अन्य भक्त ने बताया कि लोग धान बुआई के समय माता शीतला से मन्नत मांगते हैं. हर चलाते हैं कटाई करते हैं. इन सबके लिए मां से अर्जी मांगते हैं. अच्छी फसल होने के बाद किसान और 84 परगना के लोग मां की जात्रा को सफल बनाते हैं.

185 गांव के लोग मां की पूजा अर्चना करने पहुंचे: शीतला माता मंदिर में अगहन जात्रा पर्व परंपरानुसार पूरे आस्था व श्रद्धा के साथ मनाया गया. इस वार्षिक जात्रा में शामिल होने 185 गांव के ग्रामीण दूर दराज क्षेत्रों से हजारों की संख्या में दंतेवाड़ा शीतला माता मंदिर पहुंचे. और अपनी सुख समृद्धि का आशीर्वाद मां से मांगा. जात्रा मेला में आसपास क्षेत्र से बड़ी संख्या में दुकानदार भी पहुंचते हैं और अपनी अपनी दुकानें लगाते हैं.

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दंतेवाड़ा: शीतला माता मंदिर परिसर में वार्षिक अगहन जात्र का आयोजन किया गया. जात्रा का आयोजन हर साल अगहन माह के तीसरे या अंतिम मंगलवार को किया जाता है. इस जात्रा में क्षेत्र के 36 मंदिर के परगनाओं की उपस्थिति में सालों से चली आ रही परंपरा को निभाया जाता है. 185 गांव के ग्रामीण इस अगहन जात्रा में शामिल होने पहुंचते है.

शीतला माता को नये चावल का भोग: अगहन जात्रा पूजा के दौरान सर्वप्रथम माटी पुजारियों ने शीतला माता को नये चावल का भोग चढ़ाया. इसके बाद माता की विशेष पूजा की गई. अगहन जात्रा को माटी पूजा के नाम से भी जाना जाता है. दंतेश्वरी मंदिर के पुजारियों की उपस्थिति में सर्वप्रथम माता की पूजा होती है जिसके बाद संध्या पहर में 3 बजे से जानवरों की बली दी जाती है. यह परंपरा आदिकाल से चली आ रही है जिसे आज भी निभाया जा रहा है.

शीतला माता मंदिर में अगहन जात्रा (ETV Bharat Chhattisgarh)
84 परगना के लोग अगहन जात्रा में पहुंचे: जात्रा के मद्देजन आज शीतला माता मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ सुबह से लगी रही. लोग कतारबद्ध होकर एक एककर माता के दर्शन पूजन करते देखे गए. अगहन जात्रा के बाद बस्तर में मेला मंडई का आगाज हो जाता है. मान्यता है कि सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार शीतला माता मंदिर में पूजा अर्चना के बाद कई कष्ट दूर हो जाते हैं. माता के स्नान कराए गए पानी से लोगों के बहुत सारे विकार दूर होते हैं.

दंतेवाड़ा से शुरू होती है जात्रा: मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह परंपरा रियासलकाल से चली आ रही है. जो विधि विधान से आज भी निभाई जा रही है. मां शीतला माता को धरती मां भी माना जाता है. क्षेत्र के किसान, धान कटाई के बाद मां से क्षमा याचना के लिए इस जात्रा में आते हैं. इस दौरान मां को कंदफूल, धान्य अर्पण करते हैं. बस्तर संभाग में अगहन जात्रा दंतेवाड़ा से शुरू होती है. इसके बाद पूरे संभाग में जात्रा शुरू हो जाती है. 18 दिसंबर को केसरपाला की जात्रा होगी. मान्यता है कि मां दंतेश्वरी जब वारंगल से आई तो उन्हें पहले मां शीतला माता से अनुमति ली.

मन्नत पूरी होने के बाद मां को बली चढ़ाने की परंपरा: गांव के नकुल राम ने बताया कि अगहन जात्रा की परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ ही है. मन्नत पूरी होने के बाद जानवरों की बली देने की परंपरा है. पहले शीतला माता की पूजा होती है उसके बाद अन्य देवी देवताओं की पूजा की जाती है.

गांव के अन्य भक्त ने बताया कि लोग धान बुआई के समय माता शीतला से मन्नत मांगते हैं. हर चलाते हैं कटाई करते हैं. इन सबके लिए मां से अर्जी मांगते हैं. अच्छी फसल होने के बाद किसान और 84 परगना के लोग मां की जात्रा को सफल बनाते हैं.

185 गांव के लोग मां की पूजा अर्चना करने पहुंचे: शीतला माता मंदिर में अगहन जात्रा पर्व परंपरानुसार पूरे आस्था व श्रद्धा के साथ मनाया गया. इस वार्षिक जात्रा में शामिल होने 185 गांव के ग्रामीण दूर दराज क्षेत्रों से हजारों की संख्या में दंतेवाड़ा शीतला माता मंदिर पहुंचे. और अपनी सुख समृद्धि का आशीर्वाद मां से मांगा. जात्रा मेला में आसपास क्षेत्र से बड़ी संख्या में दुकानदार भी पहुंचते हैं और अपनी अपनी दुकानें लगाते हैं.

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