CHEETAL SHIFTED IN PENCH RESERVE: पेंच टाइगर रिजर्व के बफर जोन से लगे कई गांवों में बाघों को अपनी भूख मिटाने के लिए पालतू जानवरों के शिकार करना पड़ता है. ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं. कई बार तो बाघ इंसानों पर भी हमला कर देते हैं. नेशनल पार्क के भीतर ही बाघों को पेटभर खाना मिल सके, इसलिए पेंच नेशनल पार्क में चीतलों की शिफ्टिंग की जा रही है. जिस इलाके में ज्यादा शीतल हैं, उस बीट से दूसरे बीट में चीतलों को ट्रांसफर किया जा रहा है.
पेंच टाइगर रिजर्व में हैं सबसे ज्यादा चीतल
पेंच टाइगर रिजर्व में चीतलों की संख्या देश के दूसरे टाइगर रिजर्व से काफी ज्यादा है. किसी भी टाइगर रिजर्व में चीतलों की अधिक संख्या ज्यादा होना, वहां के बाघों के विकास में बेहतर साबित होती है, क्योंकि चीतल ही बाघों का खाना होता है. मगर दूसरी ओर चीतलों के अत्यधिक संख्या से जंगल के घास के मैदानों की क्वालिटी को खराब करता है. जिससे दूसरे शाकाहारी जीवों के खाने की दिक्कत होती है. इसलिए चीतलों को शिफ्ट किया जाता है.
अब तक 8000 से ज्यादा चीतल हो चुके हैं शिफ्ट
पेंच टाइगर रिजर्व के उपसंचालक रजनीश सिंह ने बताया कि 'पेंच टाइगर रिजर्व के अलावा ऐसे कई और टाइगर रिजर्व हैं. जहां पर बाघों की संख्या तो है, लेकिन उनके खाने के लिए पर्याप्त मात्रा में चीतल नहीं होते हैं. इसलिए पेंच टाइगर रिजर्व से चीतलों को शिफ्ट किया जाता है. प्रबंधकीय कारणों से एक दशक में मध्य प्रदेश के एक वन क्षेत्र से दूसरे वन क्षेत्र में 8000 से ज्यादा की संख्या में चीतल शिफ्ट किए जा चुके हैं. इनमें से 4000 से ज्यादा संख्या में चीतल मात्र पेंच टाइगर रिजर्व से दूसरे क्षेत्र जैसे सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, कूनो राष्ट्रीय उद्यान और नौरादेही अभयारण्य जिसे अब वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व के नाम से जाना जाता है, इन जगहों मे भेजे जा चुके हैं.'
इसी प्रक्रिया के अंतर्गत मध्य प्रदेश शासन ने पेंच के अधिक चीतल वाले क्षेत्र से 200 चीतल रुखड़ परिक्षेत्र और 100 चीतल अरी भेजने की अनुमति दी है. रुखड़ एवं अरी परिक्षेत्र में चीतलों की संख्या बढ़ने पर जंगल के भीतर ही बाघों को खाना मिल सकेगा. जंगल से लगे वन क्षेत्र एवं राजस्व क्षेत्र में बाघों के पालतू जानवरों के शिकार में कमी आएगी.