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दुश्मन नहीं इंसानों के दोस्त हैं भेड़िए, दहशत का पर्याय बने वुल्फ पर WII के वैज्ञानिक करेंगे स्टडी

आधिकारिक रूप से भेड़ियों पर लेकर कभी राष्ट्रीय स्तर का सेंसस (जनगणना) नहीं हुआ. अब WII भेड़ियों की संख्या और इनकी गतिविधियों पर रिसर्च करेगा.

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 4 hours ago

Updated : 2 hours ago

WILDLIFE INSTITUTE OF INDIA
भेड़ियों पर अध्ययन (Photo- ETV Bharat)

देहरादून:उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में दहशत का पर्याय बने भेड़िए अब वैज्ञानिकों के अध्ययन का हिस्सा बन गए हैं. देश के कई राज्यों में इंसानों पर हमले की घटनाओं के बाद भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) भेड़ियों की संख्या और इनकी गतिविधियों पर रिसर्च करने जा रहा है. खास बात ये है कि अबतक आधिकारिक रूप से भेड़ियों को लेकर कभी राष्ट्रीय स्तर का सेंसस ही नहीं हुआ है. ऐसे में WII के इस अध्ययन को बेहद अहम माना जा रहा है. ईटीवी भारत की भेड़ियों को लेकर होने वाले अध्ययन पर स्पेशल रिपोर्ट.

भेड़िए इंसानों के दोस्त: पिछले दिनों देश भर में भेड़ियों के आतंक की खबर खूब छाई रही. उत्तर प्रदेश समेत देश के कुछ दूसरे राज्यों में भी भेड़ियों के हमले की खबरें सुनाई देती रही. अचानक सामने आई इन घटनाओं ने भेड़ियों को विलेन की भूमिका में ला खड़ा किया. लेकिन हकीकत यह है कि भेड़िए इंसानों के दुश्मन नहीं बल्कि दोस्त हैं और जैव विविधता की साइकिल में इनका अपना एक अहम योगदान है. खासतौर पर खेती में ये भेड़िए परोक्ष रूप से किसानों के मददगार साबित होते हैं.

रिसर्च पेपर तो आए लेकिन आधिकारिक रूप से नहीं हुई गणना:देश में अब तक कभी भी आधिकारिक रूप से भेड़ियों की संख्या को लेकर कोई रिकॉर्ड तैयार नहीं किया गया है. हालांकि वैज्ञानिकों के स्तर पर कुछ रिसर्च पेपर पब्लिश हुए हैं, जिसमें भेड़ियों की संख्या का आकलन किया गया है. इसके अलावा आईयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ़ नेशन) ने हिमालयन भेड़ियों पर पहली बार रिकॉर्ड तैयार किया है, जिसकी रिपोर्ट अभी सार्वजनिक होना बाकी है.

भेड़ियों पर होगा अध्ययन. (Photo- ETV Bharat)

भेड़ियों की संख्या देश में कम होने का है आकलन: भारतीय वन्यजीव संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर बिलाल हबीब बताते हैं कि रिसर्च पेपर के आकलन के अनुसार देश में इस समय भेड़ियों की संख्या 2,500 से 3,000 ही बची है. जबकि करीब 100 साल पहले इनकी संख्या 2 लाख तक होने की बात कही जाती है.

भारतीय वन्यजीव संस्थान के अध्ययन के माध्यम से भेड़ियों की संख्या के करीब पहुंचने की कोशिश हो रही है. हालांकि यह अध्ययन भी भारत सरकार के आधिकारिक गणना के रूप में नहीं है, लेकिन WII काफी गहनता से भेड़ियों पर रिसर्च करने जा रहा है, जिसके अगले 6 महीने में पूरा करने की संभावना है.

भेड़ियों की ब्रीडिंग से शिकार तक अध्ययन करेंगे एक्सपर्ट:भेड़ियों के अचानक उत्तर प्रदेश समेत देश के दूसरे राज्यों में हमलावर होने की वजह का वैज्ञानिक आकलन कर रहे हैं. खास बात यह है कि भेड़िया जंगलों में रहने वाला वन्य जीव नहीं है, बल्कि 80% भेड़िए जंगलों से बाहर ग्रास लैंड में रहते हैं. इस दौरान उनके वास स्थल प्रभावित होने के कारण भेड़िए इंसानी बस्तियों के करीब पहुंच रहे हैं. चिंता की बात यह है कि भेड़ियों का शिकार करने का इलाका ही नहीं बल्कि उनका ब्रीडिंग करने वाला क्षेत्र भी प्रभावित हो रहा है.

भेडियों के बारे में कुछ अहम जानकारियां. (Photo- ETV Bharat)

भेड़ियों पर प्राकृतिक आपदाओं की मार: वैज्ञानिक मानते हैं कि भेड़ियों का ब्रीडिंग स्थल एक से डेढ़ किलोमीटर का क्षेत्र पूरी तरह से भेड़ियों के लिए अनुकूल होना चाहिए. इसी तरह भेड़ियों के समूह के लिए करीब 200 स्क्वायर किलोमीटर का क्षेत्र उपलब्ध होना चाहिए, लेकिन लगातार इंसानी प्रभाव इन इलाकों को भी प्रभावित कर रहा है. इसके अलावा प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी कई बार भेड़ियों को अपना वास स्थल बदलना पड़ता है.

भेड़ियों की मौजूदा गणना की विधि पर WII कर रहा काम: भेड़ियों की संख्या को जानने के लिए मौजूदा विधि पर भारतीय वन्यजीव संस्थान काम कर रहा है. इसके तहत संस्थान के वैज्ञानिक सबसे पहले पूरे देश में भेड़ियों के वास स्थल चिन्हित करते हैं. यानी ऐसी जगह को तलाशा जाता है, जहां भेड़िए निवास करते हैं. भेड़िए करीब 200 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में रहते हैं. इसीलिए वास स्थल पर इतने इलाके को उनके अध्ययन के लिए चिन्हित किया जाता है.

इस दौरान यह भी देखा जाता है कि कौन से वास स्थल कितने बेहतर हैं. इसका आकलन उस क्षेत्र में भेड़ियों संख्या और वहां भोजन की स्थिति से लेकर डिस्टर्बेंस की संभावना को देखते हुए लगाए जा सकता है. इसके बाद एक एवरेज ग्रुप साइज लेते हुए उनके अध्ययन को पूरा किया जाता है.

किसानों के लिए मददगार होते हैं भेड़िए: हाल ही में हुई घटनाओं के बाद भेड़ियों को दुश्मन की नजर से देखा जाने लगा है, लेकिन हकीकत यह है कि भेड़िए इंसानों के दुश्मन नहीं बल्कि दोस्त हैं. खेती में भेड़ियों की काफी अहम भूमिका होती है और यह ग्रास लैंड सिस्टम को मेंटेन करने में मददगार होते हैं. किसानों की खेती के लिए तो इनका बेहद ज्यादा रोल होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि भेड़िए नील गाय, काला हिरण, जंगली सूअर और चिंकारा जैसे ग्रास लैंड में रहने वाले वन्यजीवों की संख्या को नियंत्रित करता है. इस तरह खेती को नुकसान पहुंचाने वाले इन वन्य जीवों की संख्या नियंत्रण के लिए भेड़िए किसानों के लिए वरदान है.

बहराइच में भेड़ियों ने मचाया था आतंक: बता दें कि उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले से भेड़ियों के आतंक का सिलसिला शुरू हुआ था और इसके बाद उत्तर प्रदेश में ही प्रतापगढ़, सीतापुर, कौशांबी, संभल और जौनपुर तक में भेड़ियों के हमले सुनाई देने लगे. इस दौरान मार्च से सितंबर तक कुल 10 लोगों की मौत भी रिकॉर्ड की गई बात यहीं तक नहीं रुकी मध्य प्रदेश के सीहोर और खंडवा में भी भेड़ियों के कुछ ऐसे ही मामले आए. इतना ही नहीं महाराष्ट्र से भी कुछ ऐसी घटनाएं सुनाई दी. हालांकि भेड़ियों की मौजूदगी को लेकर बात करें तो ये देश में दक्षिण भारत से लेकर उत्तर भारत तक कई राज्यों में मिलते हैं. इसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और कर्नाटक राज्य शामिल है.

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