नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की उस याचिका पर कई राज्य सरकारों और शिकायतकर्ताओं से जवाब मांगा, जिसमें सनातन धर्म पर उनकी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को एक साथ जोड़ने का निर्देश देने की मांग की गई है.
तमिलनाडु में युवा कल्याण और खेल मंत्री स्टालिन एक प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता और मुख्यमंत्री व डीएमके प्रमुख एम के स्टालिन के बेटे हैं. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने स्टालिन द्वारा दायर याचिका में संशोधन की अनुमति दे दी है. न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि 'संशोधन आवेदन की अनुमति है... रिट याचिका को रिकॉर्ड पर लिया जाएगा और नोटिस दिया जाएगा...'
शीर्ष अदालत के समक्ष स्टालिन का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी और पी विल्सन ने किया. बता दें कि 1 अप्रैल को बेंच ने सवाल किया था कि स्टालिन ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 406 (मामलों और अपीलों को स्थानांतरित करने की सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति) को लागू करने के बजाय संविधान के अनुच्छेद 32 (मौलिक अधिकारों को लागू करने के उपाय) के तहत याचिका क्यों दायर की थी.