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SC ने सेना की समीक्षा याचिका की खारिज, HIV संक्रमित अधिकारी को 1.54 करोड़ भुगतान का दिया था निर्देश - SC Rejects Army Review Petition

SC Junks Review Plea: सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले के खिलाफ भारतीय सेना द्वारा दायर समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्हें एक पूर्व वायु सेना अधिकारी को 1.54 करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा देने का निर्देश दिया गया था. वह पूर्व वायु सेना अधिकारी 2002 में एक सैन्य अस्पताल में चिकित्सकीय लापरवाही के कारण एचआईवी (HIV) से संक्रमित हो गया था.

SC junks review plea against over Rs.1.54 crore compensation to ex-Air Force personnel.
SC ने ब्लड ट्रांसफ्यूशन के दौरान HIV संक्रमित अधिकारी को 1.54 करोड़ का भुगतान करने के आदेश पर याचिका खारिज कर दी.

By Sumit Saxena

Published : Apr 12, 2024, 4:28 PM IST

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने अपने उस फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी, जिसमें पूर्व वायु सेना अधिकारी को 1.54 करोड़ रुपये से अधिक देने का निर्देश दिया गया था. पूर्व वायु सेना अधिकारी 2002 में जम्मू-कश्मीर में 'ऑपरेशन पराक्रम' के दौरान बीमार पड़ने के बाद एक सैन्य अस्पताल में एचआईवी (HIV) संक्रमित रक्त चढ़ाने के कारण एचआईवी से संक्रमित हो गया था.

26 सितंबर, 2023 को न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट (सेवानिवृत्त) और दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा था कि वर्तमान मामले में प्रतिवादियों के व्यवहार में गरिमा, सम्मान और करुणा के मौलिक सिद्धांत स्पष्ट रूप से अनुपस्थित थे. शीर्ष अदालत ने कहा, 'सशस्त्र बलों के भीतर सत्ता के शीर्षों सहित सभी राज्य पदाधिकारियों पर एक समान कर्तव्य लगाया गया है. इससे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सुरक्षा के उच्चतम मानक जो कि शारीरिक और मानसिक कल्याण के साथ-साथ कल्याण भी हैं'.

शीर्ष अदालत ने सितंबर 2023 में अपने फैसले में कहा था कि हालांकि इस अदालत ने ठोस राहत देने का प्रयास किया है. लेकिन दिन के अंत में उसे एहसास होता है कि मौद्रिक संदर्भ में कोई भी मुआवजा ऐसे व्यवहार से होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता है. इसने अपीलकर्ता की गरिमा की नींव को हिला दिया है. उसका सम्मान छीन लिया है. उसे न केवल हताश बल्कि सनकी भी बना दिया.

संबंधित प्राधिकारियों ने सितंबर 2023 के इस फैसले को चुनौती देते हुए फिर से शीर्ष अदालत का रुख किया. न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति पी.एस. वराले की पीठ ने 3 अप्रैल को पारित एक आदेश में कहा, 'हमने सिविल अपील में 26 सितंबर, 2023 के फैसले और आदेश की समीक्षा के लिए प्रार्थना के समर्थन में आग्रह किए गए आधारों सहित समीक्षा याचिका का अध्ययन किया है'.

पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'समीक्षा के तहत निर्णय और आदेश किसी भी त्रुटि से ग्रस्त नहीं है. स्पष्ट त्रुटि तो दूर, इस पर पुनर्विचार की आवश्यकता है. इसके अलावा, समीक्षा याचिका में दावा की गई राहत देने के लिए कोई अन्य पर्याप्त आधार स्थापित नहीं किया गया है. तदनुसार, समीक्षा याचिका खारिज की जाती है. लंबित आवेदन, यदि कोई हो तो इसका निपटारा कर दिया जाएगा'.

शीर्ष अदालत ने इस साल जनवरी में रक्षा मंत्रालय के तहत संबंधित अधिकारियों से जवाब देने को कहा था. वायु सेना के दिग्गज द्वारा उन्हें मुआवजा जारी नहीं करने के लिए अदालत की अवमानना का मामला दायर किया गया था. 26 सितंबर को, शीर्ष अदालत ने माना था कि वायु सेना और भारतीय सेना चिकित्सा लापरवाही के लिए परोक्ष रूप से उत्तरदायी हैं. इन परिस्थितियों में, उन्होंने मुआवजे के लिए राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के समक्ष दावा दायर किया. एनसीडीआरसी ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि रक्त आधान के दौरान चिकित्सीय लापरवाही को स्थापित करने के लिए उसके समक्ष कोई विशेषज्ञ की राय पेश नहीं की गई या साबित नहीं की गई.

याचिकाकर्ता को 2014 में बीमार पड़ने के बाद एचआईवी का पता चला था. 2014 और 2015 में मेडिकल बोर्ड आयोजित किए गए. इसमें जुलाई 2002 में एक यूनिट रक्त चढ़ाए जाने के कारण उनकी विकलांगता को सेवा के लिए जिम्मेदार पाया गया. 2016 में, याचिकाकर्ता को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया. अधिकारियों ने सेवा विस्तार या विकलांगता प्रमाणपत्र देने के उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया.

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