जेल में बंद रहकर भी पर्यावरण संरक्षण में मदद कर रहे कैदी, इस हुनर से कर रहे कमाई - gayatri family sagar
Sagar jail prisoners : केंद्रीय जेल में एक बड़ी गौशाला है, जिसमें काफी संख्या में गाये हैं. गायत्री परिवार ने जब केंद्रीय जेल की गौशाला को देखा, तो जेल प्रशासन के सामने समस्त कैदियों को गाय के गोबर के दीए बनाने का प्रस्ताव रखा.
जेल में बंद रहकर भी पर्यावरण संरक्षण में मदद कर रहे कैदी
जेल में बंद रहकर भी पर्यावरण संरक्षण में मदद कर रहे कैदी
सागर. जाने अनजाने में अपराध कर जेल में सजा काट रहे कैदी अपराध की दुनिया से बाहर निकलें और अच्छा जीवन व्यतीत करें, इसके लिए जेल सुधार के अंतर्गत कई तरह के कार्य किए जाते हैं. इसी कड़ी में सश्रम कारावास की सजा पाने वाले कैदी केंद्रीय जेल सागर (central jail sagar) में जहां हुनरमंद हो रहे हैं, तो साथ ही पर्यावरण संरक्षण (environment protection) के साथ कमाई भी कर रहे हैं. केंद्रीय जेल के कैदियों को गायत्री परिवार द्वारा गोबर के दीए बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है. प्रशिक्षण के बाद कैदी गोबर के दीए बनाने का काम कर रहे हैं, जिसके लिए उन्हें गायत्री परिवार द्वारा मेहनताना दिया जा रहा है.
गायत्री परिवार की पहल पर नवाचार
दरअसल, गायत्री परिवार द्वारा वातावरण शुद्ध रखने और घर पर लघु हवन करने के लिए बड़े पैमाने पर गाय के गोबर से बने दिए तैयार कराए जाते हैं. गायत्री परिवार अभी तक ग्रामीण इलाकों में दिए तैयार कराता था. लेकिन गायत्री परिवार को इनकी शुद्धता को लेकर आशंका रहती थी. क्योंकि गायत्री परिवार सिर्फ गाय के गोबर के दिए चाहता था और आशंका रहती थी कि गांव से बना रहे दियों में भैंस का भी गोबर मिलाया जा सकता है. ऐसे में सागर केंद्रीय जेल के कैदियों को इसके लिए प्रशिक्षण दिया गया.
सागर जेल
रोजाना इतनी कमाई कर रहे कैदी
केंद्रीय जेल में एक बड़ी गौशाला है, जिसमें काफी संख्या में गाये हैं. गायत्री परिवार ने जब केंद्रीय जेल की गौशाला को देखा, तो जेल प्रशासन के सामने समस्त कैदियों को गाय के गोबर के दीए बनाने का प्रस्ताव रखा. जिसमें कैदियों को प्रशिक्षण के साथ मेहनताना देने की व्यवस्था थी. केंद्रीय जेल द्वारा प्रस्ताव स्वीकृत होने के बाद गायत्री परिवार द्वारा बाकायदा कैदियों को प्रशिक्षण दिया गया. अब केंद्रीय जेल के कैदी रोजाना डेढ़ हजार तक गोबर के दिए तैयार करते हैं और कमाई भी करते हैं. कैदियों को भविष्य में और भी पूजन सामग्री निर्माण करने का प्रशिक्षण गायत्री परिवार द्वारा दिया जाएगा.
सागर जेल में गाय के गोबर के दिए बना रहे कैदी.
जेल में रोजाना गोबर से बन रहे इतने दिए
सागर केंद्रीय जेल में सश्रम कारावास की सजा भोग रहे बंदी लकोटी मूरतसिंह ने कहा, 'गोबर से दिए बनाना हमने यहीं सीखा है. हमें जेलर साहब ने बताया था कि गोबर के दीए बनाने हैं और सिखाया भी गया. पहले थोड़ी दिक्कत हुई, फिर हमें सांचे बनाकर दिए गए और फिर हम अच्छे दिए बनाने लगे. हम 13- 14 लोग दिया बनाने का काम करते हैं और एक दिन में 1200 से 1500 तक दिए बना देते हैं.
गायत्री परिवार सागर के इंद्रजीत सिंह राय कहते हैं, 'पिछले 20 साल से हम लोग कैदियों के कल्याण के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित करते रहे हैं. कैदियों को योग प्रशिक्षण के अलावा हमने 100 कैदियों को गायत्री परिवार की दीक्षा दी है, जो रोजाना मंत्र लेखन का काम करते हैं. हम लोग लघु हवन के लिए गाय के गोबर के दिए बनवाते हैं. पहले हम गांव में दिए बनाने के ऑर्डर देते थे लेकिन हमेशा शंका रहती थी कि गांव से आने वाले दिए गाय के गोबर के हैं या फिर उनमें भैंस का गोबर भी मिलाया जा रहा है. केंद्रीय जेल में गौशाला है और जब हमने देखा कि काफी संख्या में यहां गाय हैं तो हमारी चिंता दूर हो गई. फिर हमने कैदियों को गाय के गोबर से दिए बनाने का प्रशिक्षण दिया.
जेल में बंद रहकर भी पर्यावरण संरक्षण कर रहे कैदी
पर्यावरण का महत्व जान रहे कैदी
केंद्रीय जेल के अधीक्षक दिनेश नरगावे कहते हैं, 'केंद्रीय जेल सागर में गायत्री परिवार लंबे समय से धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित करते रहे हैं. गायत्री परिवार द्वारा पर्यावरण शुद्धि के लिए गाय के गोबर के दिए तैयार कराए जाते हैं. उनकी पहल पर सागर केंद्रीय जेल के कैदियों को प्रशिक्षित किया गया और अब हमारे बंदी गोबर के दिए बना रहे हैं. जैसा कि हम जानते हैं और कई रिसर्च में भी प्रमाणित हो चुका है कि घर में हवन करने से नेगेटिव एनर्जी और बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं .गायत्री परिवार इसके लिए लघु हवन करता है और लघु हवन के लिए गोबर के लिए तैयार करवाता है, जिनका उपयोग आसानी से घर में किया जा सकता है. इससे हमारे दिए बनाकर एक तरह से पर्यावरण का महत्व जानने से साथ उसके संरक्षण में भी मदद कर रहे हैं.