लखनऊ/प्रयागराज: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और भाजपा संगठन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. प्रदेश कार्य समिति की बैठक में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के सरकार से बड़ा संगठन वाले बयान के बाद से अभी स्थिति ठीक नहीं हो पाई है. सरकार और संगठन के बीच खींचतान चल रही है.
योगी सरकार, भाजपा संगठन और नेताओं के बीच चल रही उठापटक को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भारतीय जनता पार्टी के साथ एक महत्वपूर्ण समन्वय बैठक भी बुलाई गई लेकिन, फिर बैठक को टाल दिया गया. बैठक को टालने के पीछे किसी भी स्तर से कोई कारण नहीं बताया गया है.
इस बीच एक बार फिर केशव प्रसाद मौर्य सीएम योगी की बैठक में नहीं पहुंचे. जबकि वह उसी शहर में थे. दरअसल, सीएम योगी शनिवार को प्रयागराज में कुंभ की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए गए थे. वहीं पर केशव मौर्य का भी एक कार्यक्रम था. लेकिन, केशव मौर्य सीएम योगी की बैठक से पहले ही लखनऊ लौट आए. इसके भी कई मायने निकाले जा रहे हैं.
बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार के पास सरकार और संगठन के बीच समन्वय की जिम्मेदारी है. वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों और सरकार संगठन के कामकाज की समीक्षा, सभी वरिष्ठ नेताओं से फीडबैक लेने के लिए अरुण कुमार की महत्वपूर्ण बैठक सरकार और संगठन के वरिष्ठ लोगों के साथ तय की गई थी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह को राजधानी लखनऊ में ही रहने के निर्देश दिए गए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कल वाराणसी दौरा था. आरएसएस और बीजेपी समन्वय बैठक की वजह से उनका भी दौरा निरस्त किया कर दिया गया. वहीं केशव प्रसाद मौर्य की प्रयागराज में पार्टी की काशी क्षेत्र की बैठक में शामिल होना था. उनका भी कार्यक्रम निरस्त कर दिया गया.
योगी और केशव लखनऊ में ही रुक गए. इसके अलावा अन्य नेता भी लखनऊ में रुक गए. लेकिन बाद में ऐन मौके पर कहा गया कि शनिवार और रविवार को होने वाली समन्वय बैठक रद कर दी गई है. अब यह बैठक अगस्त के प्रथम या द्वितीय सप्ताह में आयोजित की जाएगी, जिसमें सरकार संगठन के बीच चल रही खींचतान, सरकार के कामकाज की समीक्षा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रमों और अभियानों को आगे बढ़ाने जैसे तमाम बिंदुओं पर सरकार और संगठन के स्तर पर बातचीत की जाएगी.
साथ ही उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव और अन्य संगठनात्मक कामकाज पर भी चर्चा की जाएगी. साथ ही योगी सरकार में चल रही खींचतान पर पूरी तरीके से विराम लगाने, नेताओं से उनका फीडबैक लेने और हर स्तर पर सरकार और संगठन के बीच तालमेल बिठाने और बड़ों के बीच चल रहे मनमुटाव को दूर करने का काम किया जाएगा.
अगस्त में होने वाली बैठक में लोकसभा चुनाव में हुई स्थिति, योगी सरकार में अफसरों की मनमानी, कार्यकर्ताओं की नहीं सुने जाने जैसे विषयों को लेकर लगातार नेताओं की तरफ से सरकार पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. ऐसे तमाम विषयों पर चर्चा करते हुए इन पर विराम लगाने की बात की जा सकती है.
आरएसएस के एक वरिष्ठ प्रचारक ने नाम ना लिखने की शर्त पर बताया कि अचानक इस बैठक को बुलाए जाने के पीछे एक ही मंशा थी कि सब कुछ ठीक हो. जैसा कि चल रही खींचतान को लेकर पानी सर के ऊपर जा रहा था.