पटना:बिहार एनडीए में सीट बंटवारे के साथ ही घमासान शुरू हो गया है. राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को एक भी सीट नहीं मिलने से नाराज केंद्रीय मंत्रीपशुपति पारस ने इस्तीफा दे दियाहै. इसके साथ ही वह एनडीए से भी अलग हो गए हैं. आज शाम को वह दिल्ली से पटना लौटेंगे. सूत्रों के मुताबिक वह आरजेडी के संपर्क में हैं. अगर सीट शेयरिंग पर बात बन गई तो वह जल्द ही इंडिया गठबंधन में शामिल हो जाएंगे. हालांकि उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं के साथ बैठक के बाद ही भविष्य को लेकर कोई फैसला लेंगे.
"5-6 दिन पहले मैंने प्रेस वार्ता में कहा था कि मैं तब तक इंतजार करूंगा, जब तक एनडीए सीटों की घोषणा नहीं करता. मैंने बहुत ईमानदारी से एनडीए की सेवा की. पीएम नरेंद्र मोदी देश के बड़े नेता हैं, लेकिन हमारी पार्टी और व्यक्तिगत रूप से हमारे साथ नाइंसाफी हुई, इसलिए मैं केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देता हूं."- पशुपति कुमार पारस, अध्यक्ष, आरएलजेपी
बीजेपी से नाराज हैं पशुपति पारस: जैसे ही एनडीए ने बिहार में सीट बंटवारे का ऐलान किया, वैसे ही साफ हो गया कि भारतीय जनता पार्टी ने पशुपति पारस को एनडीए से आउट कर दिया, क्योंकि उनकी पार्टी आरएलजेपी को एक भी सीट नहीं दी गई, जबकि चिराग पासवान को सारी मांगें मान ली गई. न केवल उनको 5 सीटें मिलीं बल्कि हाजीपुर सीट भी दे दी गई. हाजीपुर को लेकर पारस लगातार दावा करते रहे हैं कि यह सीट उनकी है और वही वहां से लड़ेंगे.
आरजेडी के संपर्क में पारस गुट:जब से इस बात की चर्चा शुरू हुई थी कि पारस को एनडीए में एक भी सीट नहीं मिलेगी, तब से ही पारस गुट गठबंधन पर सभी दरवाजे खुले रहने की बात कहना शुरू कर दिया था. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पशपति पारस लगातार आरजेडी नेतृत्व के संपर्क में हैं. लालू यादव और तेजस्वी यादव से उनकी बातचीत चल रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि आरएलजेपी जल्द ही इंडिया गठबंधन में एंट्री का ऐलान कर सकती है.
सीटिंग सीट पर अड़े पारस:केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने स्पष्ट कर दिया है कि उनके सभी सांसद अपनी सीटिंग सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा,"नहीं, हमने किसी से बात नहीं की है लेकिन मैं हाजीपुर से (लोकसभा चुनाव) लड़ूंगा. हमारे सभी मौजूदा सांसद अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ेंगे. यह हमारा और हमारी पार्टी का निर्णय है. अगर हमें उचित सम्मान नहीं दिया गया तो हमारी पार्टी कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र है."
लालू के साथ जाने के संकेत: कुछ दिन पहले ही नवादा से आरएलजेपी सांसद चंदन सिंह ने कहा था कि राजनीति में कभी कोई दरवाजा बंद नहीं होता है. वैसे भी लालू यादव से हमलोगों का पुराना संबंध रहा है. उन्होंने याद दिलाया कि जब उनके बड़े भाई सूरजभान सिंह 2004 और 2009 में बलिया से चुनाव लड़े थे, तब लालू यादव और रामविलास पासवान का गठबंधन था. वहीं सूरजभान ने भी लालू के प्रति नरमी दिखाई है.