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'जनता दल से राष्ट्रीय जनता दल' आखिर लालू यादव ने क्यों बनाई RJD, जानिए कैसा रहा है अब तक का सियासी सफर - RJD Foundation Day

Rashtriya Janata Dal: 5 जुलाई 2024 को राजद पार्टी 28 साल पूरा कर रही है. इन 28 सालों मे पार्टी ने कई नेता दिए. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव हैं और स्थापना से लेकर अब तक बने हुए हैं. कई बार सवाल उठते रहे हैं कि लालू यादव जनता दल के वरिष्ठ नेताओं में शामिल थे. क्या हो गया था कि लालू यादव को अपनी पार्टी बनानी पड़ी?

राष्ट्रीय जनता दल स्थापना दिवस
राष्ट्रीय जनता दल स्थापना दिवस (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 5, 2024, 11:11 AM IST

Updated : Jul 5, 2024, 1:56 PM IST

पटनाःराष्ट्रीय जनता दल आज 5 जुलाई को 28वां स्थापना दिवस मनाएगा. पटना स्थित प्रदेश कार्यालय में प्रदेश राजद के अध्यक्ष जगदानंद सिंह की अध्यक्षता में स्थापना दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. स्थापना दिवस समारोह में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी शामिल होगें. इस कार्यक्रम में पार्टी के अनेक वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहेंगे. स्थापना दिवस समारोह के लिए पूरे पार्टी कार्यालय सजाया गया है.

कब हुआ आरजेडी का गठनःराष्ट्रीय जनता दल का गठन 5 जुलाई 1997 को हुआ था. लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में पार्टी की स्थापना दिल्ली में हुई थी. लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व में रघुवंश प्रसाद सिंह, कांति सिंह, मोहम्मद शहाबुद्दीन, मुहम्मद तस्लीमुद्दीन, अली असरफ फ़ातिमी, अब्दुल बारी सिद्दीकी समेत 17 लोकसभा और 8 राज्यसभा सांसदों, सैकड़ो वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में राजद की घोषणा की गई थी.

राजद का स्थापना दिवस (ETV Bharat GFX)

राजद मतलब लालू प्रसादः स्थापना के साथ ही लालू प्रसाद यादव को पार्टी का अध्यक्ष चुना गया. लालू प्रसाद यादव पार्टी के 28 वर्ष होने तक लगातार राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हुए हैं. राजद के बारे में कहा जाता है कि राजद मतलब लालू प्रसाद यादव. 11 जून 1948 को लालू प्रसाद यादव का जन्म बिहार के गोपालगंज के फुलवरिया गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम कुंदन राय और मां का नाम मरछिया देवी था. लाल यादव के बड़े भाई कॉलेज में चपरासी की नौकरी करते थे.

ऐसी चमकी राजनीतिः लालू यादव को आगे की पढ़ाई के लिए उनके भाई के पास भेज दिया. लालू प्रसाद ने पटना विश्वविद्यालय के बीएन कॉलेज से एलएलबी और राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री ली. धीरे-धीरे लालू प्रसाद की दिलचस्पी छात्र राजनीति में बढ़ने लगी थी और लालू यादव ने पटना यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन के महासचिव बने. इसके बाद 1973 में वे पटना यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष बने. आपातकाल के दौरान लालू प्रसाद जेपी आंदोलन के साथ जुड़कर जेल भी गए. यहीं से लालू प्रसाद यादव की राजनीति चमकी.

योजना का उद्घाटन करते तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव (ETV Bharat)

लालू यादव की अभी भी धमकः वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव पिछले 35 वर्षों से केंद्र में रहे हैं. जब लालू प्रसाद यादव बिहार की सत्ता में आए थे तब उन्हें गरीबों की आवाज के रूप में पहचान मिली थी जो अब तक बरकरार है. पिछले 18 वर्षों से लालू प्रसाद यादव बिहार की सत्ता से दूर हैं लेकिन उनकी राजनीतिक धमक अभी भी बिहार में बरकरार है.

"जिस समय लालू प्रसाद यादव ने राष्ट्रीय जनता दल का गठन किया उस समय बिहार का दूसरा माहौल था. भ्रष्टाचार के मामले में उन पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का दबाव था. दूसरी तरफ लाल यादव को लग रहा था कि गरीबों का साथ उनके साथ हैं. यही कारण है कि एक तरफ उन्होंने अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बनाया और तमाम भरे सहयोगियों के साथ मिलकर राष्ट्रीय जनता दल का गठन किया. बिहार की राजनीति में अभी भी राष्ट्रीय जनता दल एक बड़े वजूद के साथ अपनी उपस्थिति बनायी हुई है."-रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

राजद का स्थापना दिवस (ETV Bharat GFX)

सबसे कम उम्र में सांसद बनेःलालू यादव लालू यादव 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर सारण से चुनाव लड़ा और सबसे कम उम्र (29 साल) में सांसद बने. उसके बाद लालू प्रसाद यादव ने राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. मार्च 1990 में बिहार में जनता दल की सरकार बनी. भारतीय जनता पार्टी की सहायता से लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने. बिहार की सत्ता में आने के बाद लालू प्रसाद यादव सोशल इंजीनियरिंग का एक नया MY फार्मूला तैयार किया. इस फार्मूले के कारण लालू प्रसाद यादव बिहार की सत्ता में 15 वर्षों तक काबिज रहे, 15 वर्षों के शासन में लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी भी मुख्यमंत्री बनी.

इसलिए बनायी राजदः बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव पर चारा घोटाले का आरोप लगा. इस आरोप के बाद उन्होंने 25 जुलाई 1997 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. लालू प्रसाद यादव के लिए यह टर्निंग प्वाइंट था. इसी घटना के बाद राबड़ी देवी प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं. चारा घोटाले में नाम आने के बाद लालू यादव ने मुख्यमंत्री पद तो छोड़ दिया, लेकिन उनकी इच्छा थी कि उन्हें जनता दल का अध्यक्ष रहने दिया जाय. लेकिन ऐसा नहीं हुआ जनता दल के अनेक नेताओं ने इसका विरोध किया. इसके बाद लालू यादव ने 5 जुलाई 1997 को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का गठन किया.

लालू प्रसाद यादव के साथ में राबड़ी देवी (ETV Bharat)

CM रहते लालू का सबसे बड़ा फैसलाः90 के दशक में भारतीय जनता पार्टी का सबसे बड़ा मुद्दा राम मंदिर का था. उस समय भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से रथयात्रा निकाली थी. केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह और बिहार में लालू प्रसाद यादव की सरकार चल रही थी, जब आडवाणी रथयात्रा लेकर बिहार पहुंचे तो तब तक लालू यादव ने उनकी रथयात्रा रोकने की ठान ली. 23 अक्टूबर को बिहार के समस्तीपुर में लाल कृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया. भाजपा ने केंद्र की वीपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई. इससे लालू यादव मजबूत हुए.

केंद्र में भी व्यापक प्रभावःपत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनने के बाद लालू प्रसाद यादव केंद्र की राजनीति की तरफ अपना रुख किया. मधेपुरा और छपरा से वह कई बार सांसद बने. 2004 में केंद्र में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार बनी. लालू प्रसाद यादव देश के रेल मंत्री बने. 5 वर्ष तक लगातार वह देश के रेल मंत्री बने और उन्हीं के रेल मंत्री के समय में देश में पहला गरीब रथ ट्रेन की शुरुआत हुई थी. 2009 लोकसभा चुनाव में पार्टी को अपेक्षाकृत सफलता नहीं मिली सिर्फ चार सांसद जीत कर सदन में गए.

अपने परिवार के साथ लालू प्रसाद यादव (ETV Bharat)

लालू यादव हुए थे अयोग्यः 22 अक्टूबर 2013 को सजायाप्ता होने के कारण लालू प्रसाद यादव की संसद सदस्यता खत्म कर दी गई. घोटाले मामले में जेल की सज़ा काट रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को लोकसभा ने अयोग्य करार दिया है. लालू प्रसाद यादव और 44 अन्य लोगों को चाइबासा कोषागार से 90 के दशक में 37.7 करोड़ रुपए निकालने के मामले में अभियुक्त बनाया गया था. इसी मामले में कोर्ट द्वारा उनको सजा सुनाई गई थी.

लालू प्रसाद यादव (ETV Bharat)

विधानसभा चुनाव की तैयारी में पार्टीः आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर आज होने वाली स्थापना दिवस समारोह बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस समारोह के माध्यम से लालू प्रसाद यादव अपने समर्थकों को आगामी विधानसभा चुनाव में कमर कसने को लेकर संदेश देंगे. क्योंकि आरजेडी को लग रहा है कि 2025 में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में यदि सभी कार्यकर्ता एकजुट होकर मेहनत करते हैं तो बिहार में एक बार फिर से उनकी सरकार बन सकती है.

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Last Updated : Jul 5, 2024, 1:56 PM IST

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