देहरादून: उत्तराखंड में मानसून की अब आधिकारिक रूप से विदाई हो गई है. इस बार के मानसून ने उत्तराखंड में भारी तबाही मचाई. यह मानसून आपदा और लोगों की मौत के आंकड़े की वजह से जाना जाएगा. पिछले साल के मुताबिक इस साल प्रदेश में 10% अधिक बारिश हुई है. मानसून की विदाई के बाद अब प्रदेश के पहाड़ी और मैदानी इलाकों में ठंड सुबह और शाम की बढ़ने लगी है. इस बार मानसून के 3 महीने के दौरान केदारनाथ से लेकर कुमाऊं के पिथौरागढ़, अल्मोड़ा में बड़ी तबाही हुई है.
रिकॉड तोड़ बारिश और भारी तबाही: मौसम विभाग की मानें तो इस बार उत्तराखंड में बारिश ने पिछले साल के रिकॉर्ड भी तोड़े हैं. इस बार उत्तराखंड में 10% अधिक बारिश हुई. इतना ही नहीं बादल फटने की घटना और भूस्खलन की घटनाओं में भी इस बार इजाफा हुआ है. मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि जून महीने में 49% प्रदेश में कम बारिश हुई, लेकिन जैसे ही जुलाई का महीना आया वैसे ही प्रदेश में सामान्य से 20% अधिक बारिश हो गई. इसी तरह अगस्त महीने में भी 9% अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई. सितंबर महीने में सामान्य से 55% अधिक बारिश दर्ज की गई. मानसून के दौरान सबसे अधिक बारिश कुमाऊं के बागेश्वर जिले में रिकॉर्ड की गई. सबसे कम बारिश वाला जिला पौड़ी गढ़वाल रहा.
पिछले साल ऐसा था मानसून: देहरादून स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह ने बताया इस बार मानसून सीजन में अब तक सामान्य बारिश 1163 मिमी से अधिक 1273 मिमी बारिश रिकॉड की गई है. इस आंकड़े के मुताबिक राज्य में इस बार 10% अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई. उनकी मानें तो अब 5 अक्टूबर के बाद से लेकर आने वाले महीने में बर्फबारी शुरू हो जाएगी. धीरे-धीरे इसी महीने से मौसम में ठंड बढ़ जाएगी. मौसम विभाग की माने तो इस बार गढ़वाल और कुमाऊं में अचानक से बारिश के जो समीकरण बने हैं उसने काफी नुकसान पहुंचा है. यह नुकसान न केवल फसलों को पहुंचा है बल्कि पहाड़ों पर भी बारिश से काफी नुकसान हुआ है.