रतलाम:मध्य प्रदेश के रतलाम में एक खास आयोजन इन दिनों खेल प्रेमियों का ध्यान आकर्षण कर रहा है. यहां कोई क्रिकेट का टूर्नामेंट नहीं बल्कि प्राचीन भारतीय खेल गिल्ली डंडा का प्रीमियर लीग चल रहा है. इस लीग में बाकायदा 6 टीमें बनाई गई हैं. जिन्हें आईपीएल की तर्ज पर टीम ओनर ने बोली लगाकर खरीदा है. खिलाड़ियों को भी कॉन्ट्रैक्ट मनी देकर टीमों में शामिल किया गया है.
धामनोद कस्बे में अनोखा आयोजन
कस्बाई और ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे स्तर पर ही सही, लेकिन इस प्राचीन पारंपरिक खेल को जिंदा रखने की युवाओं की कोशिश बेमिसाल है. इस खास आयोजन को दर्शकों की वाहवाही भी मिल रही है और यूट्यूब पर इसका लाइव प्रसारण भी किया जा रहा है. दरअसल गिल्ली डंडा प्रीमियर लीग का उद्देश्य युवा पीढ़ी को इस प्राचीन खेल से परिचित करवाना है. रतलाम के धामनोद कस्बे में 6 जनवरी से यह अनोखा आयोजन किया जा रहा है, जो 14 जनवरी तक चलेगा. गिल्ली डंडा लीग का आयोजन धामनोद युवा संगठन करवा रहा है.
IPL की तर्ज पर शुरु हुई गिल्ली डंडा प्रीमियर लीग (ETV Bharat) 14 जनवरी को होगा फाइनल
आयोजन समिति के कमलेश राव ने बताया कि, ''इस लीग में 6 टीमें शामिल हुई हैं. प्रत्येक टीम में 6-6 खिलाड़ी हैं. तीन-तीन टीमों को दो ग्रुप में बांटा गया है. प्रत्येक टीम चार मैच खेलेगी. पॉइंट्स के आधार पर सेमीफाइनल की चार टीमें तय होंगी. 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति के दिन इस लीग का फाइनल मुकाबला खेला जाएगा. इस लीग में महाराणा प्रताप क्लब, जय श्री महाकाल क्लब, वीर शिवाजी दल, धामनोद क्लब, बालाजी दल और स्टार चैंपियन नाम की टीम हिस्सा ले रही हैं. विजेता टीम को 21,000 रुपए एवं शील्ड, उपविजेता टीम को 11,000 रुपए एवं शील्ड और मैन ऑफ द टूर्नामेंट को 551 का पुरस्कार दिया जाएगा.''
गिल्ली डंडा प्रीमियर लीग में 6 टीमें शामिल (ETV Bharat) कितना रोचक है गिल्ली डंडे का खेल
हमारे देश में एक नहीं अनेक प्राचीन खेल हैं, जो क्रिकेट और फुटबॉल से भी अधिक रोचक और मनोरंजक हैं. इसका उदाहरण प्रो कबड्डी लीग और उसके बाद अब भारत में होने जा रहे खोखो वर्ल्ड कप है. इसी तरह गिल्ली डंडा भी हमारा पारंपरिक खेल है. मध्य प्रदेश और खासकर मालवा क्षेत्र में इसे मकर संक्रांति के त्यौहार पर खेला जाता है. लकड़ी से ही बनी गिल्ली और डंडे से इस खेल को खेला जाता है. यह थोड़ा-थोड़ा क्रिकेट से मिलता जुलता भी है. इसे खेलने के लिए 2 टीमें बनाई जाती हैं. दोनों ही टीमों में समान संख्या में खिलाड़ी शामिल होकर इसे खेलते हैं.
खेल के दौरान शॉट लगाता खिलाड़ी (ETV Bharat) आखिर कैसे खेलते हैं गिल्ली डंडा?
हर एक टीम के खिलाड़ी बारी-बारी से मैदान में बनाई गई क्रीज (डंडे से बनाया गया नाली नुमा छोटा गड्ढा) पर गिल्ली रखकर डंडे से उसे प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों से बचाकर दूर तक उछालते हैं. इस दौरान सामने की तरफ विरोधी टीम के खिलाड़ी कैच करने के लिए तैयार रहते हैं. कैच लेने पर खिलाड़ी आउट हो जाता है. गिल्ली उछालने के बाद डंडे को क्रीज पर आड़ा रख दिया जाता है. विरोधी टीम गिल्ली थ्रो कर डंडे को उड़ाने का प्रयास करती है. यदि निशान लग जाता है तो खिलाड़ी आउट हो जाता है. अन्यथा वह तीन चांस लेकर गिल्ली को डंडे से हिट करता है.
क्रिकेट की तरह अंपायर करता है आउट का निर्णय (Gilli danda premier league) गिल्ली डंडा गेम में कैसे मिलती है जीत?
3 शॉट लेने के बाद जितनी दूर गिल्ली जाती है, इतनी दूरी से शॉट लगाने वाला खिलाड़ी डंडे (क्रिकेट की भाषा में रन) की मांग करता है. मांगे गए डंडे विरोधी टीम द्वारा दिए जाने पर दोबारा गिल्ली उछालने का मौका मिलता है. इसी तरह पूरी टीम के आउट होने पर दूसरी टीम अपनी पारी खेलती है. इस खेल में जीत उस टीम की होती है जो पूर्व निर्धारित डंडे की संख्या अर्जित कर लेता है. जैसे कि 500 डंडे या 600 डंडे.
गिल्ली डंडा के अनोखे नियम
इस खेल की रोचकता के साथ ही इसके नियम भी बड़े रोचक और निराले हैं. दोनों टीम में समान संख्या में कितनी भी संख्या में खिलाड़ी रह सकते हैं. क्रिकेट की तरह इसमें रन की बजाय डंडों की काउंटिंग होती है. पहले से निर्धारित संख्या में दोनों टीमों को डंडे अर्जित करने का लक्ष्य रहता है. गिल्ली उछालने अथवा गिल्ली को डंडे से शॉट लगाने के दौरान यदि विरोधी टीम के फील्डर ने कैच ले लिया तो शॉट लगाने वाला खिलाड़ी आउट हो जाता है. गिल्ली उछालने के दौरान यदि वह सामने की बजाए तिरछी चली जाए, तब भी शॉट लगाने वाला खिलाड़ी आउट हो जाता है.
धामनोद कस्बे में अनोखा आयोजन (ETV Bharat) क्रिकेट की तरह अंपायर करता है आउट का निर्णय
क्रीज से शॉट मारकर दूर पहुंचाई गई गिल्ली की दूरी का आकलन कर खिलाड़ी द्वारा मांगे गए डंडों की संख्या की नपती भी विरोधी टीम द्वारा की जाती है. यदि मांगी गई संख्या से डंडों की संख्या कम निकली तो भी शॉट लगाने वाला खिलाड़ी आउट करार दिया जाता है. रतलाम के धामनोद में खेली जा रही गिल्ली डंडा प्रीमियर लीग में बाकायदा अंपायर भी है, जो आउट होने और नियमों से संबंधित निर्णय देता है. इसमें हर टीम में खिलाड़ियों की संख्या 6 निर्धारित की गई है.
हर टीम के खिलाड़ियों के रिकॉर्ड और स्कोर को भी मेंटेन किया गया है. जिसके आधार पर इस प्रीमियर लीग की अंक तालिका तैयार की जाती है. बहरहाल रतलाम के युवाओं द्वारा प्राचीन खेल को फिर से प्रचलन में लाने का यह प्रयास सराहनीय है और इनका उद्देश्य अगले वर्ष राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय लीग शुरू करने का है.