रतलाम (दिव्याराज सिंह):मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के जावरा में बुधवार को लहसुन उत्पादक किसानों ने लहसुन पंचायत का आयोजन किया है. लहसुन के दामों में लगातार आ रही कमी और जावरा क्षेत्र में चीन से लाई गई लहसुन के ट्रक पकड़े जाने के बाद तीन जिलों के किसानों ने अरनिया मंडी में लहसुन पंचायत आयोजित कर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, विदेश मंत्री एस जयशंकर और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के नाम ज्ञापन सौंपा है.
लहसुन पंचायत में निर्णय लिया गया है कि मध्य प्रदेश की मंडियों में चाइना से लाया जा रहा लहसुन नहीं बिकने दिया जायेगा. वहीं, ज्ञापन में किसानों ने मांग की है कि अवैध तरीके से चीन से एक्सपोर्ट किया जा रहे लहसुन की सप्लाई को बंद किया जाए. लहसुन माफियाओं के विरुद्ध देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाए.
मंडियों में नहीं बिकने देंगे चाइना का लहसुन (ETV Bharat) किसानों ने बुलाई लहसुन पंचायत
दरअसल, बीते कुछ दिनों से लहसुन के दामों में गिरावट जारी है. लहसुन व्यापार के विशेषज्ञों के अनुसार विदेश से लहसुन के बंपर आयात की वजह से दामों में गिरावट आने की आशंका जताई गई थी. जिसके बाद मंगलवार रात जावरा के स्थानीय किसानों ने लहसुन से भरे दो ट्रक पकड़े हैं. यह लहसुन अफगानिस्तान से एक्सपोर्ट कर वाघा अटारी बॉर्डर से बेंगलुरु ट्रक द्वारा ले जाया जा रहा था. जिसे लेकर रतलाम, मंदसौर, नीमच और उज्जैन जिले के लहसुन उत्पादक किसानों और किसान नेताओं ने जावरा में लहसुन पंचायत बुलाई थी.
किसानों ने सौंपा सीएम के नाम ज्ञापन (ETV Bharat) अफगानिस्तान से आयत हो रहा लहसुन
जिसमें सभी जिलों से लहसुन उत्पादक किसान शामिल हुए. किसान नेता डीपी धाकड़ ने बताया कि "लहसुन पंचायत में सभी किसानों ने एकमत से चीन और विदेशों से लहसुन के आयत को बंद करने की मांग की है. साथ ही मध्य प्रदेश की मंडियों में चीन का लहसुन नहीं बेचने देने का निर्णय भी लहसुन पंचायत में लिया गया है.
किसान नेता राजेश पुरोहित ने बताया कि "जावरा में जो लहसुन के ट्रक पकड़े गए हैं. वह अफगानिस्तान से आयातित होकर पाकिस्तान के रास्ते भारत के बेंगलुरु ले जाना बताया जा रहा है, लेकिन अफगानिस्तान में लहसुन का उत्पादन नहीं होता है. निश्चित रूप से यह लहसुन चीन से लाकर भारत में बेची जा रही है. लहसुन उत्पादक किसानों ने बताया कि इस तरह से यदि लहसुन के दाम गिरते चले जाएंगे, तो उनकी आने वाली फसल का क्या होगा.
लहसुन के गिरते दामों ने बढ़ाई किसानों की बेचैनी
देश में लहसुन का सर्वाधिक उत्पादन देने वाले मालवा क्षेत्र में इस वर्ष भी बड़े रकबे में लहसुन की बुवाई की गई है. बीते वर्ष लहसुन के अच्छे दाम मिलने से उत्साहित किसानों ने अधिक मात्रा में महंगे दामों पर बीज खरीद कर लहसुन की बुवाई की है, लेकिन पिछले एक महीने से लहसुन के दामों में अचानक से गिरावट आना शुरू हो गई.
रतलाम में किसानों की लहसुन पंचायत (ETV Bharat) जिससे लहसुन उत्पादक किसानों में बेचैनी है. लहसुन व्यापार के विशेषज्ञों की माने तो इस गिरावट के पीछे विदेश से लाई गई लहसुन है. यही वजह है कि लहसुन उत्पादक किसान अपने आने वाली फसल के दामों को लेकर चिंता में पड़ गए हैं. किसानों का कहना है कि इस तरह तो लहसुन उत्पादक किसान बर्बाद हो जाएगा.
चाइना की लहसुन से क्यों गिर रहे दाम
किसान नेताओं के अनुसार 2014 से देश में चीन से लहसुन आयात प्रतिबंधित है. ऐसे में अवैध तरीके से लहसुन अफगानिस्तान और पाकिस्तान के माध्यम से भारत लाई जा रही है. किसान नेता डीपी धाकड़ ने बताया कि "लहसुन के दामों में अचानक 10 से 15 हजार रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई है. यह तभी संभव है, जब बहुत मात्रा में मंडियों में आवक आ जाए.
किसानों ने पकड़े लहसुन भरे दो ट्रक
जबकि भारत में अभी लहसुन का नया उत्पादन आने में 1 से 2 माह की देरी है. फिर भी देश की प्रमुख कृषि मंडियों में लहसुन की बंपर आवक हो रही है. वहीं, इसका जीता जगता सबूत यह है कि किसानों ने मंगलवार को दो ट्रक पड़कर औद्योगिक थाना जावरा पुलिस को सुपुर्द किए हैं. लहसुन के ऊपर अफगानिस्तान के व्यापारी का टैग लगा हुआ है. चीन की लहसुन का संदेह होने पर दोनो ट्रकों को औद्योगिक थाना में खड़ा करवाया गया है. जिसकी जांच हो रही है.
बहरहाल आज जावरा स्थित अरनिया लहसुन मंडी में रतलाम, मंदसौर, नीमच और उज्जैन के किसान एकत्रित हुए और लहसुन पंचायत में निर्णय लिया गया कि मध्य प्रदेश की मंदिरों में विदेश से आयात किया हुआ लहसुन नहीं बिकने देंगे. किसानों ने तहसीलदार को केंद्रीय कृषि मंत्री विदेश मंत्री और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंप कर मांग की है कि चीन से लहसुन लाकर भारत में बेचने वाले लहसुन माफिया पर सख्त कार्रवाई हो और देशद्रोह का प्रकरण दर्ज किया जाए.