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आंध्र प्रदेश से हल्द्वानी पहुंची 18 इंच ऊंची पुंगनूर गाय-बैल की जोड़ी, लक्ष्मी विष्णु बने आकर्षण का केंद्र - Punganur cow and bull

Haldwani family brought a pair of Punganur cow and bull from Andhra Pradesh हमारे देश में गाय को गौमाता का दर्जा प्राप्त है. भारत में गायों की 30 से ज्यादा नस्लें पाई जाती हैं. इनमें उत्तराखंड की बदरी गाय, गिर, देवनी, थारपारकर, साहिवाल और लाल सिंधी प्रमुख नस्लें हैं. आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में पुंगनूर गाय पाई जाती है. इन गायों की खासियत ये है कि ये बहुत छोटी होती हैं. इनके लिए डेढ़ से 2 किलो चारा पर्याप्त होता है. इन्हें अपने रहने वाले कमरे में भी रख सकते हैं. हल्द्वानी का एक परिवार काकीनाडा से पुंगनूर गायों का जोड़ा लाया है, जो इन दिनों आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.

Punganur cow
पुंगनूर गाय (Photo- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 24, 2024, 9:51 AM IST

Updated : Jun 24, 2024, 10:54 AM IST

पुंगनूर गाय-बैल की जोड़ी (वीडियो- ईटीवी भारत)

हल्द्वानी:एक गाय प्रेमी परिवार डेढ़ फुट की ऊंचाई की गाय बैल की जोड़ी लाया है. ये जोड़ी आसपास के क्षेत्रों में कौतूहल का विषय बन गयी है. कालाढूंगी रोड स्थित आदर्श नगर निवासी ज्वैलर्स कारोबारी घनश्याम रस्तोगी आंध्र प्रदेश के काकीनाडा के डॉ. कृष्णम राजू की नाड़ीपति गौशाला से माइक्रो मिनिएचर गाय-बैल की जोड़ी लेकर आए हैं.

हल्द्वानी का परिवार लाया पुंगनूर गाय: घनश्याम रस्तोगी बताते हैं कि पांच जून को वह तिरुपति बालाजी दर्शन को गए थे. उनके बेटे वेदांत के गाय पालने के शौक और डॉ. राजू की माइक्रो मिनिएचर पुंगनूर गाय को लेकर घर पर चल रही चर्चा को बल मिल गया. इसके चलते वह अपने को रोक नहीं पाए और आंध्र प्रदेश के काकीनाडा पहुंचे और डॉ. राजू से मुलाकात कर गौवंश का जोड़ा लेकर आये.

गाय बैल की जोड़ी बनी आकर्षण का केंद्र:करीब दो हजार किमी दूर से गौवंश का यह जोड़ा हल्द्वानी स्थित उनके घर पहुंचा तो इन्हें देखने वालों का तांता लग गया. रस्तोगी परिवार ने इन गाय-बैल का नाम लक्ष्मी विष्णु रखा है. यहां भीषण गर्मी का देखते हुए दोनों के लिए कूलर लगाया गया है. दोनों अब यहां के वातावरण के अनुकूल हो चुके हैं. घर का प्रत्येक सदस्य आध्यात्मिक है, जिससे लक्ष्मी और विष्णु को भरपूर प्यार तो मिल ही रहा है, पड़ोसियों को भी इनकी जोड़ी खूब भा रही है.

गाय बैल की जोड़ी का नाम लक्ष्मी-विष्णु: परिवार के लोग गौ सेवा को मानव धर्म बताते हुए कहते हैं कि जब से यह जोड़ा घर पर आया है, मानो एक सकारात्मक ऊर्जा का संचालन शुरू हो गया है. वहीं, घनश्याम की पत्नी दिव्या का कहना है कि परिवार बारह ज्योर्तिलिंग की यात्रा कर चुका है. घर परिवार में शुरू से आध्यात्मिक माहौल रहा है. ऐसे में हमें इस जोड़े को रखकर बेहद खुशी हो रही है. ऐसा लग रहा मानो परिवार पूरा हो गया है. शास्त्रों में गौ पालन से तमाम रोग-दोषों का भी निदान भी बताया गया है, तो हमारा उद्देश्य यही है कि उत्तराखंड के अन्य परिवारों में भी हमारी तरह लोग इन्हें अपनाएं.

सिर्फ डेढ़ किलो चारा है पर्याप्त:घनश्याम रस्तोगी के मुताबिक लक्ष्मी और विष्णु के लिए मात्र 1.5 किलो चारा पर्याप्त है. तरबूज-खरबूज के अलावा अन्य फल, हरी सब्जियां इनके पसंदीदा आहार हैं. इनकी उम्र डेढ़ साल की है. आपको बता दें कि दुनिया की सबसे छोटी गाय पुंगनूर, गाय की 112 साल पुरानी ब्रीड है. मिनिएचर पुंगनूर को साल 2019 में विकसित किया गया है. 14 साल की मेहनत के बाद पुंगनूर गाय की छोटी नस्ल में सुधार किया गया है. इसके लिए आंध प्रदेश के काकीनाडा के डॉ. कृष्णम राजू ने 1600 गायों पर रिसर्च की और आज पूरे विश्व में अपने इन प्रयासों के लिए विख्यात हैं.
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Last Updated : Jun 24, 2024, 10:54 AM IST

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