देहरादून: समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी को लेकर अभी भी लगातार कई बातें ऐसी हैं, जिनको लेकर आम जनमानस कन्फ्यूजन में है. इसी कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए राज्य सरकार अपने स्तर पर वह हर कदम उठा रही है, जो जरूरी है. मसलन राज्य के तमाम अधिकारियों को इस बात के लिए तैयार किया गया है कि वह जगह-जगह जाकर समान नागरिक संहिता से जुड़ी जानकारियां लोगों के बीच साझा करें. उनकी समस्याओं और सवालों का समाधान करें और जवाब दें.
यूसीसी में इन्हें मिलेगी लिव इन रजिस्ट्रेशन में छूट: यूसीसी में जितनी चर्चा लिव इन की हो रही है, शायद ही दूसरे किसी मुद्दे पर लोग चर्चा कर रहे हों. अब इस मामले में एक नई जानकारी और सामने आई है. यह बात किसी से छुपी नहीं है कि समान नागरिक संहिता में जनजातीय समुदाय को अलग रखा गया है. यानी इस कानून के दायरे में जनजातीय समाज नहीं आएगा. ऐसे में अगर लड़का लड़की एक साथ बिना शादी के रहते हैं और वह जनजातीय समाज से आते हैं, तो उनको समान नागरिक संहिता के तहत रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य नहीं होगा.
जनजातीय समुदाय के लिए विशेष प्रावधान: ड्राफ्ट की सदस्य डॉक्टर सुरेखा डंगवाल की मानें तो-
भले ही दो में से एक जनजातीय समुदाय से आता हो, तो उसको इसके दायरे से बाहर रखा गया है. हालांकि अगर उनकी इच्छा है कि वह रजिस्ट्रेशन करवाना चाहते हैं, तो वह करवा सकते हैं. लेकिन जनजातीय समुदाय से होने की वजह से वह इस अनिवार्यता के अंदर नहीं आते. ऐसे में भले ही वह देहरादून में रह रहे हों या विकासनगर या राज्य के किसी भी इलाके में, वह रजिस्ट्रेशन ना भी करवाएं तो उनके ऊपर किसी तरह का कोई एक्शन नहीं होगा.
-डॉक्टर सुरेखा डंगवाल, यूसीसी ड्राफ्ट कमेटी सदस्य-
ड्राफ्ट कमेटी की सदस्य की है ये सलाह: इतना ही नहीं अगर जनजातीय समुदाय से जुड़े लड़की या लड़के में से कोई एक भी अगर राज्य के बाहर भी किसी के साथ रहता है, तो उसको भी रजिस्ट्रेशन करवाने की जरूरत नहीं है. लेकिन डॉक्टर सुरेखा कहती हैं कि अगर लोग अपनी मर्जी से रजिस्ट्रेशन करवाते हैं, तो यह बेहतर रहेगा. क्योंकि रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद बहुत सारी बातें लड़के या लड़की के फेवर में ही रहेंगी. इसके साथ ही हमने यह पहले भी स्पष्ट किया है कि सभी की जानकारी बिल्कुल गोपनीय रखी जाएगी. इसके लिए पूरा एक सिस्टम तैयार हुआ है.
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