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अमेरिका से लौटे 'डंकी' की कहानी; बोले- 40 लाख देकर झेली मानसिक प्रताड़ना, कई रातें भूखे पेट सोए - DONKEY RETURN FROM AMERICA

डंकी रूट का इस्तेमाल करके अमेरिका से भारत आए मुजफ्फरनगर के रक्षित बालियान और देवेंद्र की जुबानी सुनिए 'एक डंकी यात्रा'.

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अमेरिका से लौटे 'डंकी' की कहानी. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 6, 2025, 2:13 PM IST

मुजफ्फरनगर: ज्यादा पैसे कमाने और परिवार की स्थिति को और बेहतर करने के सपने को लेकर उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के 2 युवा लाखों खर्च करके अमेरिका गए थे. लेकिन, उन्हें क्या पता था कि वे डंकी रूट से जा रहे हैं और इसमें उनके सपने चूर-चूर हो जाएंगे. 29 नवंबर 2024 को अपने गांव से निकले इन युवकों को अमेरिका में घुसते ही पकड़ लिया गया और फिर शुरू हुआ उनको मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना देने का सिलसिला.

मुजफ्फरनगर के रक्षित बालियान पुत्र सुधीर और देवेंद्र पुत्र गुलवीर सिंह उन 104 लोगों में शामिल थे जो डंकी बनकर अमेरिका गए थे. इन सभी 104 भारतीय नागरिकों को अमेरिका ने 4 फरवरी 2025 को डिपोर्ट कर दिया. दोनों का कहना है कि मोदी सरकार की बदौलत ही हम सुरक्षित वापस आ सके. नहीं तो अमेरिका में करीब ढाई महीने जो प्रताड़ना हमने झेली उससे तो लग रहा था कि हम कभी घर नहीं लौट पाएंगे.

मुजफ्फरनगर में देवेंद्र सिंह अपने बच्चों के साथ. (Photo Credit; ETV Bharat)

मुजफ्फरनगर के गांव बडोली थाना पुरकाजी के देवेंद्र ने ईटीवी भारत को घर वापसी के बाद बताया कि मेरी आयु करीबन 38 वर्ष है. मेरे दो बच्चे और पत्नी मेरे पिताजी गुलबीर सिंह खेती करते हैं. वह कैंसर से पीड़ित हैं. उसे किसी ने बताया था कि एक एजेंट मैक्सिको शहर में काम दिलाता है. ज्यादा कमाई के चक्कर में मैक्सिको में ड्राइवरी के लिए मेरा जाना एजेंट से तय हुआ था. वह अमेरिका जाने के लिए 29 नवंबर को गांव से निकला था.

मैंने 40 लाख रुपए एजेंट को अमेरिका जाने के लिए दिए थे. भारत से पहले हमें थाईलैंड ले जाया गया. वहां जिस होटल में हमें ठहराया गया वहां पहले से कुछ लड़के रुके थे. उन लोगों से उनकी बात हुई थी. सभी का कहना था कि अमेरिका में बहुत पैसा कमाया जा सकता है इसलिए जा रहे हैं. थाईलैंड के बाद वह मैक्सिको के लिए निकले लेकिन, वहां प्रवेश करते ही उनको पकड़ लिया गया.

अमेरिका में बाहरी लोगों पर बहुत अत्याचार होता है. ट्रंप सरकार जब से आई है, वहां का माहौल और खराब हो गया है. इन ढाई महीने में उन्हें वहां काफी प्रताड़ित किया गया. एक कमरे में बैठा देते हैं. वहां ठंड तो होती है, उसके बावजूद एसी चला देते हैं. ओढ़ने के लिए कंबल-रजाई की जगह बस एक पन्नी देते थे. पानी भी ठंडा देते थे.

हम करीब वहां 20 दिन कैंप में रहे वहां उन्होंने कोई खाना पीना नहीं दिया. कच्चे चावल देते थे, उसमें भी मीट मिला होता था, वेज नहीं होता था. वहां सभी देश के लोगों पर अत्याचार होता है. चाहे वह पाकिस्तानी हो या बांग्लादेशी या भारत का. भारत सरकार हमें वापस लाई है. हमारा भारत सरकार ने बहुत सहयोग किया. हमारे लिए पूरा इंतजाम किया. खाने-पीने का इंतजाम किया.

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