रायपुर: रायपुर दक्षिण सीट पर कमल का जलवा बरकरार रहा. सुनील सोनी ने एकतरफा मुकाबले में कांग्रेस के आकाश शर्मा को करारी शिकस्त दी. आंकड़ों के मुताबिक जितने वोट से बीजेपी प्रत्याशी की जीत हुई उतने ही वोट कांग्रेस को मिले. बीजेपी का ये किला एक बार फिर अभेद किला पार्टी के लिए बना. नतीजों के बाद बीजेपी की जीत और कांग्रेस की हार पर चर्चाओं का दौर शुरु हो चुका है.
''बृजमोहन अग्रवाल ही चुनाव लड़ रहे हैं'': चुनाव से ठीक पहले बृजमोहन अग्रवाल ने कहा था कि इस सीट पर बृजमोहन अग्रवाल ही चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में आकाश शर्मा के सामने भाजपा के सुनील सोनी को नहीं देखा जा रहा था बल्कि कांग्रेस उम्मीदवार के सामने खुद बृजमोहन अग्रवाल खड़े वोटरों को नजर आए. उपचुनाव में जो एक चुनौती कांग्रेस की ओर से नजर आ रही थी वो चुनौती नतीजों में पूरी तरह से खत्म हो गई. बृजमोहन अग्रवाल का दबदबा साफ चुनाव में नजर आया.
बीजेपी का चुनाव प्रबंधन:भाजपा ने रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट के लिए चार मंडल बनाए. हर मंडल का प्रभारी एक मंत्री को बनाया गया. एक पूर्व मंत्री और संगठन के एक पदाधिकारी को चारों मंडल का अध्यक्ष बनाया. हर वार्ड का इंचार्ज एक विधायक या पूर्व विधायक को बनाया गया. इन विधायकों को वार्ड के सभी पन्ना प्रभारियों की जिम्मेदारी दी गई. मतदाता सूची में हर 30 मतदाता पर एक कार्यकर्ता प्रभारी बनाया गया. प्रभारी का काम हर 30 मतदाताओं से हर दिन मिलना और उनसे चर्चा करना था.
कैसा था कांग्रेस का चुनावी प्रबंधन: कांग्रेस ने रायपुर दक्षिण विधानसभा में 64 प्रभारी तैनात किए. जो प्रभारी बनाए गए उसमें विधायक, पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक, महापौर, सभापति, पूर्व महापौर, सभापति स्तर के नेता शामिल रहे. प्रभारी के नीचे 64 सह प्रभारी की नियुक्ति की गई. इसमें संगठन पदाधिकारी जैसे महामंत्री, उपाध्यक्ष, सचिव, पार्षदों को जिम्मेदारी दी गई. प्रभारी और सह प्रभारी के नीचे हर बूथ पर एक कार्यकर्ता को संयोजक बनाया गया. संयोजक के जिम्मे हर घर जाकर लोगों से बातचीत करके कांग्रेस के पक्ष में प्रचार करना था.
रायपुर दक्षिण विधानसभा का वार्ड समीकरण: रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट में कुल 19 वार्ड आते हैं. इन 19 वार्डों में 9 वार्ड पर कांग्रेस के पार्षद हैं, दो वार्ड ऐसे हैं जिस पर निर्दलीय पार्षद जीते हैं लेकिन यह सभी कांग्रेस के समर्थक हैं. आठ वार्ड में भाजपा के वार्ड पार्षद हैं. ऐसे में कांग्रेस यह मानकर चल रही थी कि इन वार्डों में कांग्रेस मजबूत है. बीजेपी के विरोध का फायदा कांग्रेस को मिलेगा. पर ऐसा नहीं हुआ. कांग्रेस के सभी सियासी समीकरण गलत साबित हुए. कमल ने अपना कब्जा इस सीट पर कायम रखा.