नई दिल्ली:केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में रेलवे (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया, जिसमें भारतीय रेलवे के कामकाज और ऑटोनॉमी को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव किया गया है. इस दौरान रेलवे निजीकरण और स्वायत्तता पर इसके प्रभाव पर बहस हुई.
बहस के दौरान रेल मंत्री ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य रेलवे बोर्ड को वैधानिक शक्तियां प्रदान करना और रेलवे संचालन को सुव्यवस्थित करना है. वैष्णव ने इस बात पर जोर दिया कि विधेयक का उद्देश्य भारतीय रेलवे बोर्ड अधिनियम, 1905 को रेलवे अधिनियम, 1989 में विलय करके भारतीय रेलवे में दक्षता लाना और इसके कानूनी ढांचे को सरल बनाना है.
बिल के अहम उद्देश्य
बिल का अहम उद्देश्य रेलवे बोर्ड को वैधानिक समर्थन प्रदान करने के लिए रेलवे अधिनियम, 1989 में संशोधन करना है, जो अपनी स्थापना के बाद से बिना किसी मंजूरी के काम कर रहा है. इसके अलावा इसका मकसद परिचालन दक्षता में सुधार करना और शक्तियों का विकेंद्रीकरण और रेलवे क्षेत्रों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करना भी है. इस बिल में टैरिफ, सुरक्षा और निजी क्षेत्र की भागीदारी सहित भारतीय रेलवे के विभिन्न पहलुओं की देखरेख के लिए एक स्वतंत्र नियामक की स्थापना करने के लिए भी पेश किया गया है.
स्वतंत्र विनियामक
इस विधेयक में हितधारकों के हितों की रक्षा करने और प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के लिए एक स्वतंत्र विनियामक (Independent Regulator) के निर्माण के प्रावधान शामिल हैं. इस तरह के विनियामक के लिए सिफारिशें सबसे पहले 2015 में रेलवे के पुनर्गठन पर समिति द्वारा की गई थीं, जिसमें टैरिफ, निजी ऑपरेटरों के लिए बुनियादी ढांचे तक एक्सेस और सर्विस स्टैंडर्ड जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया था.
क्षेत्रों को स्वायत्तता
रेलवे क्षेत्रों के लिए स्वायत्तता (Autonomy) बढ़ाने की मांग लंबे समय से चली आ रही है, जिसका समर्थन 2014 की श्रीधरन समिति सहित विभिन्न समितियों ने किया है. विधेयक में वित्तीय और परिचालन निर्णय लेने का काम क्षेत्रों को सौंपने का प्रस्ताव है, जिससे उन्हें बजट, बुनियादी ढांचे के काम और रिक्रूट मैनेजमेंट करने का अधिकार मिलेगा.