नई दिल्ली:आंधी और तूफान में हवा की गति 72 किमी प्रति घंटे की रफ्तार होते ही ट्रेनों के पहिए रुक जाते हैं. यदि ट्रेन स्टेशन पर खड़ी है तो उसे ग्रीन सिग्नल नहीं मिलता. अगर ट्रेन चल रही है तो लोको पायलट सुरक्षित रेल लाइन पर ले जाकर ट्रेन रोक देते हैं. कोच, कंडक्टर और सुरक्षा बलों की मदद से सभी कोचों की खिड़कियां खुलवा देते हैं. ताकि, ट्रेन पर हवा का दबाव ना बन सके और यात्री सुरक्षित हो सकें.
ऐसी ही परिस्थितियों को कंट्रोल करने के लिए रेलवे की तरफ से बड़ा कदम उठाया गया है. भारतीय रेलवे पश्चिमी क्षेत्र में हवा की निगरानी के लिए इलेक्ट्रॉनिक एनीमोमीटर उपकरण लगा रहा है. रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ETV भारत को बताया कि यह उपकरण तेज हवाओं और तूफान संभावित क्षेत्रों में ट्रेन सेवाओं के सुरक्षित संचालन को सुनिश्चित करने के लिए लगाया जा रहा है.
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक एनीमोमीटर उपकरण तेज हवाओं और तूफान संभावित क्षेत्रों में हवाओं की निगरानी के लिए लगाया जाएगा. उदाहरण के लिए समझिए कि यदि किसी क्षेत्र में हवा की गति 72 किमी प्रति घंटा से अधिक है, तो यह परिचालन नियंत्रण केंद्र को अलार्म संकेत भेजेगा, ताकि ट्रेनों की गति को समायोजित किया जा सके या परिचालन रोका जा सके.
रेलवे संचालन में एनीमोमीटर के लाभों का जिक्र करते हुए, पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी विनीत अभिषेक ने कहा कि रेलवे तेज हवाओं और तूफान वाले क्षेत्रों में एनीमोमीटर लगा रहा है, ताकि ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए हवा की गति का वास्तविक समय डेटा प्राप्त किया जा सके. यह जानकारी रेलवे अधिकारियों को तेज हवाओं के दौरान ट्रेनों की रफ्तार धीमी करने या रोकने के बारे में सूचित करेगा.
सीपीआरओ ने बताया कि पश्चिमी रेलवे में कम से कम 26 एनीमोमीटर टावर लगाए गए हैं और पास के स्टेशन मास्टर ऑफिस में एक डेटा एकत्रण केंद्र स्थापित किया गया है, ताकि हाई विंड प्रोन एरिया की पहचान की जा सके. रेलवे अधिकारी ने बताया कि पश्चिमी रेलवे में इस तरह के इलेक्ट्रॉनिक एनीमोमीटर का पहली बार इस्तेमाल किया गया है. हालांकि, पहले इन क्षेत्रों में मैकेनिकल एनीमोमीटर का इस्तेमाल किया जाता था.